कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था ‘मुसलमान भाजपा को वोट नहीं करते फिर भी पार्टी उनका ख्याल रखती है.’ राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह एक आम धारणा है कि मुसलमान बीजेपी पर भरोसा नहीं करते और वे बीजेपी को छोड़कर किसी को भी वोट कर सकते हैं. लेकिन यह एक बड़ी बहस का मसला है कि क्या वाकई मुस्लिम बीजेपी को वोट नहीं करते?
बीजेपी नेताओं का कहना है कि विपक्षी दल मुसलमानों को डर दिखाकर उनका वोट हासिल करते हैं. जबकि बीजेपी ‘सबका साथ सबका विकास’ के मंत्र पर काम कर रही है.
अगर हम वोटिंग के आंकड़ों की बात करें तो लोगों की धारणा के उलट यह स्पष्ट होता है कि चार-सात फीसदी तक मुस्लिम बीजेपी को वोट देते रहे हैं. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डवलपिंग सोसायटी (सीएसडीएस) के मुताबिक 2014 के चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम वोटों का करीब 8.5 फीसदी बीजेपी के पक्ष में गया था. बीजेपी को इससे पहले इतना मुस्लिमों का इतना समर्थन कभी नहीं मिला. यूपी में तो 10 फीसदी मुस्लिमों ने 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट किया.
सीएसडीएस के मुताबिक 2009 में बीजेपी को तीन फीसदी मुस्लिमों ने वोट किया था. 2014 से पहले बीजेपी को सबसे ज्यादा 7 फीसदी मुस्लिमों का सपोर्ट 2004 में मिला था. 1998 में 5 और 1999 में 6 फीसदी मुस्लिम वोट बीजेपी के साथ था. हालांकि यह सच है कि 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा 37.6 मुस्लिम वोट कांग्रेस को मिला था. जबकि यूपी में 58 फीसदी मुस्लिमों ने सपा पर भरोसा जताया था.
सीएसडीएस के निदेशक संजय कुमार के मुताबिक “भाजपा को पिछले तीन-चार इलेक्शन में सात परसेंट वोट मिलता रहा है. ऐसे में यह बहुत ज्यादा नहीं कहा जा सकता. 2009 में उसे सबसे कम मुस्लिम वोट मिला था. यह लोकल एवं परसर्नल कंसीडरेशन भी हो सकता है. जहां दो-चार फीसदी ही मुस्लिम हैं उन्होंने यह देखा होगा कि हवा के रुख के साथ जाना ठीक होगा. इसलिए भी बीजेपी के पक्ष में पहले के मुताबिक थोड़ा मुस्लिम वोट परसेंट बढ़ा है.”
हालांकि वरिष्ठ पत्रकार आलोक भदौरिया का मानना है “मुस्लिम भी हिंदुओं की तरह उम्मीदों की लहर पर सवार थे. उन्हें लगता था कि बीजेपी और खासतौर पर नरेंद्र मोदी देश के लिए कुछ अच्छा करेंगे, जिससे उनके आर्थिक और सामाजिक स्तर में सुधार आएगा. ऐसे में उन्होंने भाजपा के खिलाफ अपना संकुचित दायरा हटाया. भाजपा को जो मुस्लिम वोट मिले हैं वो कांग्रेस के खिलाफ आक्रोश के वोट भी हैं. यह उन क्षेत्रीय पार्टियों के भी वोट थे जिनका मुस्लिम जनाधार शायद खिसक गया है. जैसे यूपी में बीएसपी.”
राजनीतिक विश्लेषक एवं ‘24 अकबर रोड’ के लेखक रशीद किदवई का कहना है कि बीजेपी के कुछ नेताओं की मुस्लिमों में अच्छी पैठ है. वो उनकी निजी छवि के नाते. गुजरात के बोहरा मुस्लिमों का वोट पारंपरिक रूप से बीजेपी को मिलता रहा है. मध्य प्रदेश में बीजेपी के पार्षद स्तर के सौ से अधिक मुस्लिम नेता हैं. अगर हम बारीकी से देखें तो पता चलता है कि मुस्लिमों और बीजेपी के बीच विश्वास की कमी है. इसे दूर करने की जरूरत है.
किदवई के मुताबिक बीजेपी में बहुत कम मुस्लिम नेता हैं. मुख्तार अब्बास नकवी, एमजे अकबर, शहनवाज हुसैन, शाजिया इल्मी जैसे कुछ ही गिने-चुने नेता हैं. मुस्लिमों को टिकट देने के मामले में बीजेपी अन्य पार्टियों से काफी पीछे है. 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी ने एक भी मुस्लिम नेता को टिकट नहीं दिया. जब उन्हें भागीदारी दी जाएगी तो वोट भी मिलेगा.
मुस्लिम भागीदारी
देश में 17.22 करोड़ मुस्लिम हैं. 16वीं लोकसभा में 24 मुस्लिम एमपी हैं. यूपी, जहां करीब 20 फीसदी मुस्लिम आबादी है वहां 2014 के लोकसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम एमपी नहीं है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 428 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें से सात मुस्लिम थे, लेकिन एक भी नहीं जीता. दूसरी ओर कांग्रेस ने 464 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें से 27 पर मुस्लिम थे, जिसमें से तीन जीते.
बीजेपी प्रवक्ता राजीव जेटली का कहना है भारतीय जनता पार्टी ‘सबका साथ सबका विकास’ के मंत्र पर काम कर रही है. विपक्षी दल मुसलमानों को डर दिखाकर उनका वोट हासिल करते हैं. जबकि हम उनके लिए काम करते हैं. मुस्लिम महिलाओं को हमने अधिकार दिया है. इस बार पार्टी को पहले से अधिक मुस्लिम वोट मिलेंगे.
(साभार: न्यूज18 हिंदी की तरफ से ओम प्रकाश)
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