बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सीट शेयरिंग के फॉर्मूले ने फिर तूल पकड़ लिया है. लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के महासचिव माधव आनंद ने स्पष्ट किया है कि सीट शेयरिंग पर कोई भी औपचारिक फैसला नहीं हुआ है. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने कहा है कि इन दोनों पार्टियों के लिए सीटें अलग करने के बाद बची सीटें बीजेपी के साथ बराबर-बराबर की संख्या में बंटेंगी.
नीतीश कुमार के करीबी और जदयू के महासचिव संजय झा ने पार्टी की पुरानी लाइन दोहराते हुए कहा कि उनकी पार्टी को रालोसपा और लोजपा के साथ समझौता नहीं करना है, बल्कि बीजेपी ये काम करेगी. उन्होंने कहा कि इन दोनों दलों को सीटें देने के बाद जो सीटें बचेंगी, वो अगर सम संख्या में है तो बीजेपी और जदयू के बीच बराबर की संख्या में बंटेगी. अगर ये विषम संख्या में है तो अतिरिक्त सीट बीजेपी के खाते में जाएगी.
संजय झा ने संकेत दिया कि अगर लोजपा को पांच और रालोसपा को दो सीटें मिलती है तो बची 33 सीटों में 17 पर बीजेपी और 16 पर जदयू उम्मीदवार उतारेगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि रालोसपा अगर गठबंधन से हटने का फैसला करती है तो उसके खाते की दो सीटें दोनों दलों में बंट जाएंगी. संजय झा ने कहा कि दिवाली से पहले सीट शेयरिंग की सार्वजनिक घोषणा हो जाएगी.
उधर लोजपा संसदीय दल के नेता चिराग पासवान ने सीट शेयरिंग पर किसी अंतिम फैसले से इनकार किया है. उन्होंने कहा, "लगभग दो-तीन हफ्ते पहले बीजेपी के साथ अनौपचारिक बातचीत हुई थी लेकिन उसके बाद बात आगे नहीं बढ़ी. इसलिए हम कैसे कहें कि कितनी सीटों पर बात हुई है."
ये पूछने पर कि जदयू के एनडीए में आने के बाद अगर बीजेपी 2014 में जीती सीटों से भी कम पर चुनाव लड़ने को तैयार है तो क्या लोजपा भी कुछ सीटों का बलिदान करेगी, चिराग ने कहा, "ये सब बातें तो तब होंगी, जब हम बैठकर बात करेंगे. अभी तो ऐसी स्थिति आई ही नहीं हैं. तो कुछ भी कयास लगाना बेकार है."
पिछले चुनाव में लोजपा सात सीटों पर लड़ी थी और पांच पर उसे जीत हासिल हुई थी. वहीं रालोसपा ने अपने खाते की तीनों सीटें जीती थीं.
रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव माधव आनंद ने बीजेपी से कन्फ्यूजन खत्म करने की मांग करते हुए पारदर्शी तरीके से जल्द ही इस मसले पर बात करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि किसी भी फॉर्मूले के तहत रालोसपा को दो सीटें स्वीकार्य नहीं हैं.
माधव आनंद ने कहा, "2014 में हमने तीनों सीटों पर जीत हासिल की और आज चार साल बाद पार्टी कहीं मजबूत स्थिति में है. हम कैसे दो सीटें स्वीकार कर पार्टी हितों से समझौता करें? पर दो या चार या पांच कोई बात हो तभी न. अभी तो सारी चीजें हवा में चल रही हैं."
16 सितंबर को पटना में जदयू की कार्यकारिणी की बैठक में ही नीतीश कुमार ने कह दिया था कि बीजेपी के साथ सीटों के बंटवारे पर सम्मानजनक समझौता हुआ है, लेकिन उन्होंने इसका खुलासा करने से इनकार कर दिया था.
(साभार न्यूज 18)
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