2019 का लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है एनडीए के घटक दल के नेताओं के बीच सीट और योगाभ्यास के सवाल पर ‘अनुलोम-विलोम और कपाल भाती’ अभद्र तरीके से जोर पकड़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ प्रतिद्वंद्वी (विरोधी) गुट यूपीए ने सीट बंटवारे के झंझट का करीब-करीब समाधान कर लड़ाकुओं (उम्मीदवारों) को अपने-अपने क्षेत्रों में युद्ध अभ्यास करने के लिए भेज दिया है.
'जब चुनाव नजदीक आएगा तो इस मुद्दे पर बात करेंगे और समाधान निकाल लेंगे'
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडी यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने 3 सप्ताह पहले लोकसभा सीटों के बंटवारे पर चल रही जुबानी जंग पर यह कहकर विराम लगाने की कोशिश की थी कि 'जब चुनाव नजदीक आएगा तो इस मुद्दे पर हमलोग बात करेंगे और तुरंत ही इसका समाधान भी निकाल लेंगे.' लेकिन नीतीश कुमार के बयान से ‘बेपरवाह’ बीजेपी के राज्य महासचिव राजेंद्र सिंह ने 4 दिन पहले बयान दिया कि 'बीजेपी 2014 लोकसभा चुनाव में 22 सीटों पर जीती थी. उससे कम सीटों पर लड़ने का सवाल पैदा नहीं होता है. वैसे हमलोग बिहार में लोकसभा के सभी 40 क्षेत्रों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने की तैयारी कर रहे हैं.'
58 साल के राजेंद्र सिंह बीजेपी के कद्दावर नेता हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह सिंह ने भी अपने जीवन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को समर्पित कर दिया है. बतौर बीजेपी के झारखंड के संगठन मंत्री उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. 2015 बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अमित शाह द्वारा गठित 3 रणनीतिकारों में एक फेस राजेंद्र सिंह भी थे. दिनारा क्षेत्र से चुनाव लड़े पर मामूली अंतर से हार गए. मीडिया से लेकर हर सर्कल में इस बात की चर्चा थी कि एनडीए की सरकार बनेगी तो राजेंद्र सिंह बिहार के 'मनोहर लाल खट्टर' होंगे.'
बहरहाल, राजेंद्र सिंह अपने बयान पर अभी तक कायम हैं. अखबार के पन्नों से खुद को अदृश्य रखकर बिहार बीजपी के कई बड़े नेता भी राजेंद्र सिंह के बयान का दिल से समर्थन करते हैं. उनमें से एक ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, 'राजेंद्र सिंह मर्द आदमी हैं. उन्होंने एक नंबर की बात कही है.' एनडीए का घटक दल जनता दल यूनाइटेड भी अदृश्य मोड में रहकर बीजेपी को जवाब दे रहा है.
'NDA का हिस्सा रहकर JDU ने बिहार में बड़ा भाई का रोल अदा किया है'
बीते शनिवार को टाइम्स आफ इंडिया की दूसरी लीड स्टोरी थी, 'जेडी यू किसी कीमत पर 2014 लोकसभा चुनाव में हुए जीत-हार को सीट बंटवारे का आधार नहीं मानेगा.' पार्टी के एक बड़े नेता ने अपनी पहचान छिपाकर अखबार को बताया कि 'एनडीए का हिस्सा रहकर जेडी यू ने बिहार में बड़े भाई का रोल अदा करते हुए 2004 लोकसभा चुनाव में 26 सीटों. और 2009 के लोकसभा चुनाव में 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इस बार भी हमारा दावा उतने ही सीटों पर बनता है.'
State BJP leaders who want to make headlines should be kept under control. There is a lot of difference between 2014 & 2019. BJP knows without Nitish ji it will not be able to win. If BJP does not need allies they are free to fight on all 40 seats in Bihar: Sanjay Singh, JDU pic.twitter.com/NbJ4QJcL6i
— ANI (@ANI) June 25, 2018
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सीट बंटवारे को लेकर एनडीए परिवार के सदस्य उपेंद्र कुशवाहा भी नाराज हैं. लेकिन अभी मौन हैं. कुनबे के दो बड़े भाइयों के बीच इस सवाल पर अगर किचकिच बढ़ती है तो वो अपना मौन व्रत तोड़ सकते हैं. ऐसा उनके करीबियों ने बताया है.
महाभारत की लड़ाई में बिहार की भूमि पर तलवारबाजी करने वाले दूसरे खेमे यानी यूपीए के सदस्यों के बीच सीटों के मसले पर कोई खास खटपट की आहट नहीं सुनाई दे रही है. फ़र्स्टपोस्ट ने अपनी जांच-पड़ताल में पाया कि इस खेमे में एनडीए की तरह सीट के सवाल पर फिलहाल मारामारी नहीं है. लालू यादव के सबसे नजदीकी और विश्वासी होने के साथ राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में हमेशा दूसरे और तीसरे पायदान पर स्थापित एक नेता ने बताया कि ‘हमारी प्राथमिकता ज्यादा सीट लेना नहीं बल्कि बीजेपी को किसी तरह दिल्ली की गद्दी से उतारना है.'
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वो बताते हैं कि 'हमारे नेता लालू यादव ने कह दिया है कांग्रेस, बीएसपी, सीपीआई, सीपीआई-एमएल, तारिक अनवर की पार्टी और जीतनराम मांझी की हम आदि इमानदारी से अपनी हैसियत का आकलन कर जितनी सीटें मांगेगी, हम दे देंगे.' जब उनसे पूछा गया कि- अगर बीएसपी 5 सीटों की डिमांड करेगी तो आप दे देंगे? इसपर उन्होंने कहा 'एबनॉर्मल सिचुएशन में हमलोग इस मांग को भी मान लेंगे. क्योंकि हमें पता है कि मायावती जी यूपी और बिहार में दलितों की असली नेता हैं.'
'RJD 25 सीटों पर, कांग्रेस 8 जबकि अन्य सहयोगी दल 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे'
उन्होंने संकेत दिया कि आरजेडी 25 सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस पार्टी ज्यादा से ज्यादा 8 जबकि अन्य सहयोगी दल 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे. अगर उपेंद्र प्रसाद कुशवाहा एनडीए से बात बिगड़ने के बाद अंतिम समय में लालू यादव की शरण में आएंगे तो उन्हें 5 सीटें मिल जाएंगी. उन्होंने कहा कि '100 प्रतिशत गारंटी है कि मिल जाएगा क्योंकि हम जड़ नहीं चेतन हैं. हमारे नेता (लालू यादव) में नीतीश कुमार के अकड़ स्वभाव के उलट सहनशीला और घुलनशीलता का बोध है.'
इसी बीच भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि आरजेडी नेतृत्व वाले राजनीतिक गठबंधन में तकरीबन 60 प्रतिशत उम्मीदवारों का चुनाव कर लिया गया है. उन्हें सांकेतिक संदेश देकर जंग के क्षेत्र में युद्ध अभ्यास के लिए भेज दिया गया है.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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