बीजेपी कन्वेंशन में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को सुनने के बाद मुझे लगता है कि उन्होंने जो कुछ भी किया है, वो महत्वपूर्ण है. उनके भाषण की गहराई में उतरने और दावों की पड़ताल करने पर मैंने पाया कि उन्होंने जितने काम पूरे किए हैं, वो उनके पूर्ववर्ती (या पूर्ववर्तियों) की तुलना में बेमिसाल हैं. मैंने पॉलिसी, पत्रकारिता और अर्थशास्त्र में तीन अलग-अलग पोस्ट ग्रेजुएट डिग्रियां ले रखी हैं और अपने कार्यक्षेत्र से अच्छी तरह से वाकिफ हूं. भारत में पढ़ाई के साथ ही विदेशों में इन डिग्रियों को हासिल करने में खासा समय बिताने के साथ, मैं हर बार भारत लौटने पर बदलाव और संक्रमण को देखने के लिए बहुत उत्सुक रहती हूं. मैं कई सकारात्मक बदलावों को देख सकती हूं, जो देश महसूस कर रहा है. मौजूदा सरकार ने दीर्घकालिक योजनाओं की शुरुआत की है और कई लाभ अभी से महसूस किए जाने लगे हैं: उदाहरण के लिए आयुष्मान भारत योजना जिसने अभी केवल 100 दिन ही पूरे किए हैं, इसमें 6.85 लाख मरीजों का अस्पताल में इलाज किया जा चुका है. इन शुरुआतों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि मैं भारत को ‘न्यू इंडिया’ बनाने के लिए मोदी में एक नॉनस्टॉप एनर्जी देख रही हूं. ऐसा देश जहां क्वालिटी ऑफ लाइफ की तुलना अमेरिका और ब्रिटेन में मेरे जीवन स्तर से की जा सकती है. मुझे प्रधानमंत्री मोदी के शनिवार को दिए भाषण के अनुरूप उनकी उपलब्धियों के आंकड़े साझा करने की इजाजत दें.
पारदर्शिता
पीएम मोदी ने यह कहते हुए अपने भाषण की शुरुआत की कि बीजेपी ने साबित कर दिया है कि बिना भ्रष्टाचार के भी सरकार चलाई जा सकती है. पिछली सरकार का कार्यकाल भ्रष्टाचार और घोटालों से भरा था. जब मैंने एनडीए के तहत शुरू की गई वित्तीय योजनाओं पर ध्यान दिया, तो पाया कि जीएसटी और आईबीसी आर्थिक पारदर्शिता के लिए दो सबसे अच्छे वित्तीय सुधार थे. मैं निर्णय लेने की प्रक्रिया में हर राज्य को शामिल कर के जीएसटी लागू करने के लिए सरकार की सराहना करती हूं. आईबीसी (इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड) ने भी भारतीय सिस्टम के लिए चमत्कार किया है और कई नेता इस बात से सहमत होंगे. हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि 66 मामलों में बकायादारों से 80 हजार हजार करोड़ रुपए की वसूली की गई है और ऐसे कई मामले चल रहे हैं, जिनसे अधिक धन (करोड़ों में) वसूला जाएगा.
यह मत भूलिए कि यूपीए हमारी अर्थव्यवस्था के प्रति किस कदर लापरवाह था. बेहद ऊंची मुद्रास्फीति दर, गिरता मुद्रा भंडार और एक पूरी तरह से असंगठित हाउसिंग मार्केट ने देश के अधिकांश युवाओं को अपने जीवन की शुरुआत करने में असमर्थ बना दिया था. आज जीएसटी रियल एस्टेट मार्केट सहित कई क्षेत्रों में जीवन को आसान बना रहा है. टैक्स की वजह से पूरा बाजार व्यवस्थित होने की राह पर है. सहस्त्राब्दि की करवट के उन दिनों को याद कीजिए जब मकान मालिक घटिया सेवाओं के लिए भी मनमानी कीमत वसूल सकते थे और भुगतान केवल नकद (कैश) में लेते थे?
जीएसटी की बदौलत वो दिन गुजरे जमाने की बात हो चुके हैं. भुगतान का पूरा हिसाब सही-सही देखा सकता है. रेरा एक्ट (एनडीए का लागू किया गया) के चलते, बड़ी संख्या में अफोर्डेबल हाउस उपलब्ध हैं और नौजवान इन्हें खरीद रहे हैं. CoHo जैसे छोटे लेकिन संभावनाओं से भरे रियल एस्टेट स्टार्ट-अप ने कई शहरों में मिलिनिएल्स (वर्ष 2000 में युवा हुई पीढ़ी) को एक व्यावहारिक आवास विकल्प देने की शुरुआत की है. अब मिलिनिएल्स किसी भी शहर में रहने और काम करने के लिए मनमाने किराए की परेशानी के बिना, मकान मालिकों के झगड़ों और घटिया जीवन-स्तर से आजादी के साथ रहने का सपना साकार होता देख सकते हैं. अब हम पूरे देश में कहीं भी विचरण सकते हैं और भारत में ऐसे क्षेत्रों का विकास कर सकते हैं, जिनमें सुधार की बुरी तरह जरूरत है.
कर्ज
अपने भाषण में, मोदी ने बैंकों से कर्ज हासिल करने का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने दावा किया कि कर्ज प्राप्त करने के पहले दो तरीके थे:
कॉमन प्रोसेस और कांग्रेस प्रोसेस- उनका इशारा पैसा हासिल करने के नाजायज तरीकों की तरफ था. आज, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में उल्लेखनीय सुधार की बदौलत युवा उद्यमी आसानी से कर्ज पा सकता है. भारत वर्ल्ड बैंक के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस सूचकांक में 142 से 77वें पायदान पर पहुंच गया है. यह उद्यमियों और भारत की उत्साही, नौजवान जमात के लिए मौकों का भंडार है. आज, भारत में नव-उद्यमियों की अपनी जमात है, जिन पर वो गर्व कर सकता है. इनमें ओला, पेटीएम, ज़ोमैटो और फ्लिपकार्ट शामिल हैं. यहां तक कि आज एक उद्यमी एक घंटे से भी कम समय में एक करोड़ रुपए का कर्ज ऑनलाइन हासिल कर सकता है. इसमें यह भी जोड़ लें कि, मोदी सरकार ने युवाओं और नव-उद्यमियों के लिए MSME और स्टार्ट-अप को साथ-साथ विकास का मौका देने के लिए सहायक योजनाएं बनाई हैं. MSME के लिए 12 प्वाइंट का सपोर्ट प्लान है, जो मालिकों को कागजी कार्यवाही और नियमों के अनुपालन की बाधाओं के बजाय विकास पर ध्यान केंद्रित करने का मौका देता है.
इसी तरह आर्थिक रूप से कमजोर और ग्रामीण वर्गों के युवाओं के लिए भी काम किया गया. पहले से कहीं ज्यादा लोग अब बैंकिंग सिस्टम से जुड़ चुके हैं. यह एक ज्ञात (जाना हुआ) तथ्य है कि जब वित्तीय समावेशन होता है, तो देश की उत्पादकता और जीडीपी में बढ़ोतरी होती है. भारत की 1.3 अरब आबादी में 35 साल से कम उम्र की 65 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सबसे वाइब्रेंट वर्कफोर्स है. सिर्फ एक कार्यकाल में, पीएम ने यह सुनिश्चित करने में कामयाबी पाई है कि सभी जरूरत वाले लोगों का बैंक खाता हो. 33 करोड़ से अधिक जनधन खाते खोले गए हैं. इससे क्या होता है? इन लोगों को मिलने वाला कल्याणकारी स्कीमों का पैसा भ्रष्ट बिचौलियों के हाथ नहीं जाता और सीधे उनके खातों में पहुंच जाता है. एनडीए से पहले, वित्तीय समावेशन का यह स्तर मौजूद ही नहीं था. जैसा कि पीएम मोदी ने अपने भाषण में ठीक ही कहा है, ऐसा लगता है कि कांग्रेस के लिए किसान सिर्फ ‘वोट बैंक’ है. इसके अलावा, कोटा बिल से देश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देना युवा भारतीयों के लिए अविश्वसनीय जीत है. अब धार्मिक आधार के बिना समान अवसर युवाओं के लिए एक हकीकत है. जैसा कि होना भी चाहिए.
जॉब्स
बीजेपी कार्यकर्ताओं को दिए अपने भाषण में, प्रधानमंत्री ने भारत के भविष्य के लिए युवाओं के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि युवाओं को मार्गदर्शन और सुविधाएं मुहैया कराने से वो किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे. यह भी किया जा रहा है. यूपीए ने वर्षों-वर्ष इस मोर्चे पर कुछ खास नहीं किया. एनडीए इस खामी को स्मार्ट और स्ट्रेटजिक तरीके से दुरुस्त कर रहा है.
पहला, सरकार डिजिटल इंडिया के माध्यम से टेक्नोलॉजी को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित कर रही है. जो युवा कुशल हैं उनके सामने कई अवसर हैं. आज, ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीक-केंद्रित प्लेटफॉर्म युवाओं को कुशल बनाने में मदद कर रहे हैं. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म पर अब शिक्षक की मौजूदगी की जरूरत नहीं है.
दूसरा, एनडीए जबरदस्त तरीके से उद्यमशीलता को आगे बढ़ा रहा है. विशाल युवा आबादी (65 प्रतिशत से अधिक आबादी की उम्र 35 साल से कम है) के साथ, यह देश के लिए एक शानदार स्ट्रेटजिक और स्मार्ट कदम है. अगर नौकरियों की कमी है, तो लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वो रोजगार पैदा कर सकें. इसके लाभ दिखाई देने लगे हैं. मुद्रा लोन से 13 करोड़ उद्यमी लाभान्वित हुए हैं. और भारत में ईज ऑफ डूइंग के साथ माहौल सुधरने के कारण, कारोबार के फलने-फूलने, समृद्धि हासिल करने और ज्यादा लोगों को काम देने के मौके पहले से कहीं ज्यादा हैं.
सभी आलोचकों के लिए, मेरा सवाल है. क्या कांग्रेस ने जॉब्स (रोजगार) पैदा करने के लिए किसी भी तरह की स्ट्रेटजी अपनाई जो सचमुच सफलतापूर्वक लागू की गई और उसके नतीजे भी मिले? अगर आप आंकड़ों को देखें, तो जवाब होगा- नहीं. तो मैं उस पार्टी को क्यों वोट दूंगी जिसकी कोई स्ट्रेटजी नहीं है और उसके मुकाबले वो पार्टी है, जो कि इस समस्या से निपटने की कोशिश कर रही है? यही बात मुझे मेरे अगले बिंदु पर ले जाती है.
NDA बनाम विपक्ष: आंकड़े झूठ नहीं बोलते
अपने भाषण में पीएम मोदी का कहना था, विपक्ष सिर्फ बातें कर रहा है और एनडीए सरकार की योजनाओं के नतीजे कांग्रेस के निराधार आरोपों और झूठ का बेहतर जवाब हैं. मैंने आंकड़ों पर गौर किया और पाया कि मोदी के दावे में सच्चाई है. एनडीए सरकार ने राजमार्ग क्षेत्र को पूरी तरह से नया जीवन दे दिया है. 2017-18 से रोजाना 27 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है. ग्रामीण सड़क संपर्क 90 प्रतिशत से अधिक हो चुका है. पीएम मोदी से पहले यह 70 प्रतिशत ही था.
सेतु भारतम योजना के माध्यम से, सभी राष्ट्रीय राजमार्ग (नेशनल हाईवे) रेलवे के लेवल क्रॉसिंग से मुक्त होंगे, जो दोनों ट्रांसपोर्ट माध्यमों की दक्षता और कनेक्टिविटी बढ़ाएगा. 2017-18 में माल ढुलाई लोड 1160 मीट्रिक टन के उच्च स्तर पर पहुंच गया.
एमएबीएच निर्मल के लिए नए दौर के हवाई अड्डों के माध्यम से आने वाले हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ रही है. 2017 में 26.50 करोड़ यात्री थे. अगले दशक में यह संख्या और बढ़ेगी. रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत इस्तेमाल नहीं हो रहे और पूरी क्षमता से इस्तेमाल नहीं हो रहे एयरपोर्ट्स को विकसित किया जा रहा है. मेरे ख्याल में शायद सबसे महत्वपूर्ण विकास योजना सागरमाला पोर्ट स्कीम है. केवल दो वर्षों के भीतर, इस योजना से बंदरगाह की क्षमता, एक जगह से दूसरी जगह माल ले जाने की क्षमता और समन्वित कनेक्टिविटी में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है. इस कनेक्टिविटी ने न सिर्फ कारोबार बढ़ाया है, बल्कि रोजगार भी पैदा किया है. जैसे-जैसे बंदरगाह और विकसित होंगे, यह ना केवल कारोबार बढ़ाएंगे बल्कि और अधिक रोजगार भी पैदा करेंगे.
मोदी के स्वच्छता अभियान से ग्रामीण स्वच्छता का स्तर 96.72 प्रतिशत हो गया है. उनके पद संभालने से पहले यह 38.7 प्रतिशत था. अब ज्यादा लड़कियां पूरे दिन स्कूल में रह सकती हैं, क्योंकि वहां शौचालय है. इससे शिक्षा के आंकड़े में वृद्धि होगी और ज्यादा युवा महिलाएं जीडीपी में योगदान दे रही होंगी. इसके अलावा, एनडीए ने अभी हाल ही में आधिकारिक तौर पर छह करोड़वां एलपीजी कनेक्शन दिया है. साल 2014 में, सिर्फ 54 प्रतिशत घरों में यह कनेक्शन था. आज, यह आंकड़ा 90 प्रतिशत पर पहुंच चुका है सरकार का निकट भविष्य में 100 प्रतिशत कवरेज का लक्ष्य है. नतीजन, अधिक युवा पढ़ाई कर सकते हैं और कनेक्टेड रह सकते हैं. और विद्युतीकरण के बारे में क्या कहना है? 2018 तक 95 प्रतिशत घरों का विद्युतीकरण किया जा चुका है. सरकार 100 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करने के लिए पूरी शिद्दत से जुटी हुई है.
न्यू इंडिया
और अगर इस सब के बाद भी, मैं अभी भी आपको भरोसा नहीं दिला सकी हूं कि मोदी देश के लिए सबसे अच्छे उम्मीदवार हैं, तो आइए रामलीला मैदान के भाषण के अंतिम शब्दों पर ध्यान दें. पीएम मोदी पूछते हैं, 'आप किस तरह का प्रधानमंत्री चाहते हैं?'
ठीक है. हमारे पास दो विकल्प हैं. एक के पास अनुभव की कमी है और उसने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कुछ खास नहीं किया है. दूसरे में कमियां हो सकती हैं (किसमें नहीं होतीं), लेकिन उसके पास गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में और अब भारत के प्रधानमंत्री के रूप में एक शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है. उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी की तुलना में नागरिकों की प्रगति में आंकड़ों में भी अधिक मदद की है.
जनता के सामने किसी की आलोचना करना बहुत आसान है. आपके पास अपना लैपटॉप या फोन लेकर सोफे पर बैठकर ऑनलाइन अपमानजनक बातें टाइप करने की विलासिता है. लेकिन जब आप ऐसा कर रहे होते हैं, तो आपके पास एक शख्स होता है जो आपके लिए दिन में 18 घंटे काम कर रहा होता है ताकि आपकी एक्सेसेबिलिटी, कनेक्टिविटी और सुविधाओं में वृद्धि हो सके.
मैं सभी नौजवानों को प्रेरित करने के एक संदेश के साथ अपनी बात खत्म करूंगी: ढेर सारी नकारात्मक बातों में से नकारात्मक चुनने के बजाय, एनडीए बनाम यूपीए सरकारों के दौरान हुए सकारात्मक विकास की मात्रा को देखें. इस लेख में मैंने जिन नई शुरुआतों की चर्चा की है, वो सिर्फ चंद मुट्ठी भर हैं. ऐसी कई पहल हैं जिन्हें सफलतापूर्वक लागू किया जा रहा है, जिनके बारे में आप जानते हो सकते हैं और नहीं भी जानते हो सकते हैं!
पीएम मोदी वो शख्स हैं जो हमारे देश के युवाओं की परवाह करते हैं. यही वो उम्मीदवार है जो हमारे विचारों, हमारे करियर और हमारे जीवन को आगे ले जाएगा. बीती गर्मियों में हार्वर्ड की पढ़ाई पूरी करने के बाद, मैंने न्यूयार्क सिटी, बोस्टन और शिकागो में सिक्स फिगर (छह अंकों) सेलरी की पेशकश को नजरअंदाज कर दिया क्योंकि मेरा मानना है कि भारत अब अवसरों का देश है. मेरे नेता के रूप में पीएम मोदी के साथ, न्यू इंडिया एक संभावना है. और मैं निश्चय ही इसका हिस्सा बनना चाहती हूं.
(प्रियंका देव न्यू इंडिया जंक्शन में एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर और एंकर हैं. वो हार्वर्ड, यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री रखती हैं)
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