राजस्थान के अजमेर और अलवर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में कांग्रेस के इस शानदार प्रदर्शन ने सचिन पायलट की सीएम कैंडिडेट की उम्मीदवारी को और मजबूत कर दिया है. अजमेर सीट को इससे पहले बीजेपी का गढ़ माना जाता था, क्योंकि बीते आठ लोकसभा चुनावों में से छह बार यहां उसी ने जीत हासिल की है. कद्दावर जाट नेता सांवरलाल जाट के निधन के बाद जब इस सीट पर उपचुनाव की घोषणा हुई तो ये तय माना जा रहा था कि सचिन पायलट ही दावेदार होंगे. हालांकि पायलट ने अपनी सीट पर रघु शर्मा को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी के किले में सेंध लगा दी.
राजस्थान के नतीजों से पायलट को सियासी परवाज़
बता दें कि सांवरलाल जाट ने 2014 के लोकसभा चुनावों में सचिन पायलट को शिकस्त दी थी. पायलट ने जब रघु शर्मा को उम्मीदवार चुना तब कहा जा रहा था कि ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि अगर एक बार फिर पायलट अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे तो अशोक गहलोत का सीएम कैंडिडेट बनना तय हो जाएगा. दूसरी तरफ अगर वह इस पर जीत भी जाते तो 2019 के लोकसभा चुनावों में एक साल बाद ही उन्हें फिर से इसी अग्निपरीक्षा से गुजरना होता. दोनों ही स्थितियों में उनकी सीएम कैंडिडेट बनने की दावेदारी खतरे में पड़ जाती.
हालांकि यह कहना भी पूरी तरह सही नहीं होगा कि पायलट ने रघु शर्मा को बस सीएम पद की अपनी उम्मीदवारी बचाने के लिए आगे किया. असल में पायलट ने भी कांग्रेस के पुराने स्टाइल की तरह ही जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर उम्मीदवार चुने हैं.
बता दें कि अजमेर जाट और गुर्जर बहुल इलाका है, हालांकि यहां मुस्लिम, राजपूत, ब्राह्मण, वैश्य और रावत समुदाय से जुड़े लोग भी बड़ी तादाद में हैं. बीजेपी के उम्मीदवार रामस्वरूप लांबा जाट समुदाय से आते हैं, वहीं पायलट गुर्जरों के नेता माने जाते हैं. ब्राह्मण और वैश्य बीजेपी के परंपरागत वोटर्स माने जाते हैं. हालांकि पायलट ने रघु शर्मा के जरिए इसी वोट बैंक में सेंध लगा दी. उधर कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर से नाराज़ राजपूतों को भी पायलट ने अपनी तरफ मिलाने के लिए कई मुलाकातें की.
राजे के दो मंत्रियों की भी है ये हार!
अजमेर से आने वाले विधायक वासुदेव देवनानी और अनीता भदेल वसुंधरा कैबिनेट में मंत्री भी हैं. इसे सिर्फ वसुंधरा ही नहीं बल्कि उनके दोनों मंत्रियों की हार के तौर पर भी देखा जा रहा है. बीजेपी ने सांवरलाल जाट के बेटे रामस्वरूप लांबा को उतार कर कांग्रेस के लिए ये चुनाव और मुश्किल कर दिया था. हालांकि पायलट की सोशल इंजीनियरिंग के आगे बीजेपी के सहानुभूति कार्ड की चलती नहीं दिखाई दी.
अजमेर में बीजेपी के थे आठों विधायक...
दूदू- प्रेमचंद किशनगढ़- भागीरथ चौधरी पुष्कर- सुरेश सिंह रावत अजमेर उत्तर- वासुदेव देवनानी अजमेर दक्षिण- अनिता भदेल नसीराबाद- सांवर लाल मसूदा- सुशील कुमार पलाड़ा केकड़ी- शत्रुघन गौतम
कौन हैं रघु शर्मा?
रघु शर्मा राजस्थान के एक छोटे से गांव सावर से हैं. रघु शर्मा अजमेर जिले के सावर गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने साल 1982-83 में एलएलबी किया और साल 1986-87 में राजस्थान यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है. राजस्थान यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने डाक्टरेट भी पूरी की है.
रघु शर्मा 2008-2013 तक केकड़ी के विधायक भी रहे हैं. बता दें कि रघु शर्मा राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष रहे. रघु प्रदेश कांग्रेस में अभी उपाध्यक्ष हैं इससे पहले वो युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं. हालांकि रघु शर्मा का राजनैतिक इतिहास बहुत अच्छा नहीं रहा है. अभी तक वे तीन विधानसभा और एक बार लोकसभा चुनाव लड़कर सिर्फ एक बार विधायक बन पाए हैं.
(साभार न्यूज 18)
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