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मोदी सरकार के खिलाफ जंतर-मंतर पर सत्याग्रह, विपक्षी एकता की कवायद में कितना दम दिख रहा है?

राजधानी दिल्ली में जंतर-मंतर पर विपक्षी दलों के नेताओं का जमावड़ा लगा. 13 फरवरी को मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान संसद के आखिरी सत्र का आखिरी दिन था.

Updated On: Feb 13, 2019 08:18 PM IST

Amitesh Amitesh

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मोदी सरकार के खिलाफ जंतर-मंतर पर सत्याग्रह, विपक्षी एकता की कवायद में कितना दम दिख रहा है?

राजधानी दिल्ली में जंतर-मंतर पर विपक्षी दलों के नेताओं का जमावड़ा लगा. 13 फरवरी को मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान संसद के आखिरी सत्र का आखिरी दिन था. लिहाजा संसद से लेकर सड़क तक कुछ अलग माहौल दिख रहा था.

संसद के बाहर जंतर-मंतर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुआई में सत्र के आखिरी दिन मोदी सरकार के खिलाफ माहौल तैयार करने की कोशिश हो रही थी. सरकार के खिलाफ सत्याग्रह का ऐलान था और नाम दिया गया तानाशाही हटाओ और लोकतंत्र बचाओ.

लोकतंत्र बचाने के नाम पर जुटे नेताओं में आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया भी थे, सांसद संजय सिंह और गोपाल राय भी थे. लेकिन, इसके अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की मौजूदगी ने रैली में जान फूंक दी. इन नेताओं के अलावा विपक्ष से सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, एलजेडी के नेता शरद यादव, एनसी से फारूक अब्दुल्ला और एसपी से रामगोपाल यादव भी पहुंचे. कांग्रेस की तरफ से आनंद शर्मा भी शिरकत करने पहुंचे.

arvind kejriwal

इन सभी नेताओं के निशाने पर सरकार थी और सबकी जुबां पर एक ही बात थी मोदी हटाओ. लेकिन, एक मंच पर आने के बावजूद इनके भीतर का अंतरविरोध दिख रहा था. दिल्ली में कांग्रेस और आप एक-दूसरे खिलाफ हैं. जबकि पश्चिम बंगाल में भी कमोबेश यही हाल है. टीएमसी किसी भी तरह से लेफ्ट और कांग्रेस को भाव नहीं दे रही है और न ही उनके साथ किसी तरह का गठबंधन करना चाहती है. लेकिन,चुनाव बाद की हर संभावना को ध्यान में रखते हुए टीएमसी की तरफ से विपक्षी एकता की दुहाई दी जा रही है.

आप की रैली को संबोधित करते हुए बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की बातों से यह अंतरविरोध साफ दिख रहा था. उन्होंने कहा कि आने वाले दिन में इकट्ठा होकर लड़ेंगे. हमारे साथ कांग्रेस, सीपीएम जो भी फाइट रहेगा राज्य में रहेगा, नेशनल लेवल में हम एक साथ लड़ेंगे. उन्हें हमारे खिलाफ लड़ने दो. मैं उसकी फिक्र नहीं करती. मैं राष्ट्र के लिए खुद को समर्पित करने को तैयार हूं.

रैली में सभी नेताओं की तरफ से हमला बोला गया. कोशिश थी कि संसद के आखिरी सत्र के आखिरी दिन संसद के बाहर विपक्षी एकता के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक माहौल तैयार किया जाए. उन पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाकर दोबारा सत्ता में आने की हर संभावना को खत्म किया जाए. लेकिन, ऐसा हो न सका.

संसद के बाहर विपक्षी दलों के कुनबे में एसपी के प्रधान महासचिव रामगोपाल यादव पहुंचे थे, जबकि, संसद के अंदर लोकसभा में एसपी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़ने लगे. मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा में मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि वो चाहते हैं कि मोदी दोबारा पीएम बनें. मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा में कहा, 'पीएम को बधाई देना चाहता हूं कि पीएम ने सबको साथ लेकर चलने की कोशिश की है. मैं कहना चाहता हूं कि सारे सदस्य फिर से जीत कर आएं और पीएम मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनें.'

mulayam singh yadav

मुलायम सिंह यादव की तरफ से आए बयान ने विपक्षी दलों को बैकफुट पर ला दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हालांकि मुलायम सिंह यादव के बयान से अपनी असहमति जताई, लेकिन, विपक्षी दलों के बाकी नेताओं की मुलायम के मोदी प्रेम के बाद बोलती बंद हो गई है. संसद के बाहर विपक्षी दलों की तरफ से मोदी को घेरने की जो रणनीति बनाई गई थी, मुलायम सिंह यादव के बयान ने हवा निकाल दी.

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