बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सबरीमाला मंदिर मुद्दे पर केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन पर करारा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि सबरीमाला श्रद्धालुओं के साथ 'गुलाग कैदियों' जैसा बर्ताव किया जा रहा है और उन्हें कूड़ेदान और जानवरों की गंदगी के पास रात बिताने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
If several reports of flushing resting places for devotees and them having to spend nights next to pig droppings & dustbin are true, then Pinarayi Vijayan must realize that he can’t treat Ayyappa devotees like inmates of Gulag. We won't let LDF crush people's faith with impunity.
— Amit Shah (@AmitShah) November 20, 2018
शाह ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, 'केरल सरकार श्रद्धालुओं की आस्था को कुचलने का प्रयास कर रही है लेकिन बीजेपी ऐसा होने नहीं देगी. हम उनके (श्रद्धालुओं) साथ मजबूती के साथ खड़े हैं.'
If Pinarayi Vijayan thinks he can rise against people’s movement to preserve Sabarimala by arresting K Surendran, our Thrissur District President and 6 others, then he is mistaken. We stand firmly with every Ayyappa devotee, who holds the Sabarimala tradition close to his heart.
— Amit Shah (@AmitShah) November 20, 2018
उन्होंने कहा, 'इस संवेदनशील मुद्दे पर पिनारई विजयन सरकार का बर्ताव निराशाजनक है. केरल पुलिस लड़कियों, महिलाओं और बुजुर्गों के साथ बुरा सुलूक कर रही है. वो उन्हें इस कठिन तीर्थ यात्रा को बगैर भोजन, पानी, साफ टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधाओं के ही करने को मजबूर कर रहे हैं.'
The way Pinarayi Vijayan’s govt is handling the sensitive issue of Sabarimala is disappointing. Kerala police is treating young girls, mothers and aged inhumanly, forcing them to take the arduous pilgrimage, without even basic facilities like food, water, shelter & clean toilets.
— Amit Shah (@AmitShah) November 20, 2018
बता दें कि जब से केरल की लेफ्ट सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सबरीमाला मंदिर में 10-50 साल की महिलाओं के प्रवेश के फैसले को लागू करने का फैसला किया है तब से सबरीमाला और उसके आसपास के क्षेत्र में लगातार विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है.
अक्टूबर और इस महीने (नवंबर) की शुरुआत में कुछ समय के लिए जब मंदिर के दरवाजे खुले थे तो जबरदस्त हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए थे. 10 से 50 साल की कम से कम एक दर्जन महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने के प्रयास के चलते मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए अभूतपूर्व प्रतिबंध लागू किए गए हैं.
क्या हैं 'गुलाग कैदी'?
गुलाग पूर्व सोवियत संघ के दौर के जेल हैं. यह देश के उस सरकारी संस्था का नाम था जो जेलों की देखरेख और उन्हें चलाती थी. इन जेलों में कैदियों से कड़ी मेहनत करवाई जाती थी और अक्सर उन्हें सजा के तौर पर यहां से हजारों मील दूर साइबेरिया के निर्जन इलाकों में भेज दिया जाता था.
गुलाग के जेलों में आने वाले कैदी छोटी-मोटी चोरियों से लेकर सोवियत संघ की सरकार का विरोध करने वाले राजनीतिक बंदी होते थे. एक अनुमान के मुताबिक सोवियत संघ के दौर में गुलाग जेलों में लगभग 1.40 करोड़ कैदियों को रखा गया था.
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