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तेलंगाना चुनाव नतीजे 2018: कैसे तैयार हुआ KCR की जीत का रास्ता, नतीजों के बाद अब क्या बदल जाएगा

टीआरएस की जीत से बहुत कुछ बदलने वाला है. इसके संकेत भी मिल गए हैं. जीत के बाद केसीआर बोले- अब वो राष्ट्रीय राजनीति में जल्दी ही कुछ बड़ा करने वाले हैं

Updated On: Dec 11, 2018 06:23 PM IST

Vivek Anand Vivek Anand
सीनियर न्यूज एडिटर, फ़र्स्टपोस्ट हिंदी

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तेलंगाना चुनाव नतीजे 2018: कैसे तैयार हुआ KCR की जीत का रास्ता, नतीजों के बाद अब क्या बदल जाएगा

तेलंगाना में जब केसीआर ने अचानक से विधानसभा भंग करने का फैसला लिया तो ये हैरानी भरा कदम था. उनके इस कदम का ठीक-ठाक आंकलन करना मुश्किल हो रहा था. हालांकि अपने इस फैसले के पहले उन्होंने राज्य में अपनी हैसियत का अनुमान लगा लिया था. केसीआर ने 2 सितंबर 2018 को हैदराबाद में एक बड़ी रैली की.

प्रगति निवेदन सभा में केसीआर ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं, पिछले 4 साल में राज्य सरकार के कामकाज के आंकड़े जनता के सामने रखे और विपक्ष के खिलाफ जबरदस्त हुंकार भरी. ये किसी चुनाव प्रचार सरीखा था. 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों की आहट के बीच केसीआर ने मास्टरस्ट्रोक चल दिया था. उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए तैयार रहने का फरमान जारी कर दिया था.

इसके बाद वो 6 सितंबर को राज्यपाल ई एस एल नरसिम्हन से मिले और अपना इस्तीफा सौंपते हुए विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी. उस वक्त उनके इस फैसले के रिस्क का अंदाजा लगाना मुश्किल लग रहा था. लेकिन आज के नतीजों ने ये साबित कर दिया को वो एक कैलकुलेटेड रिस्क उठाने की रणनीति में कामयाब रहे.

चुनावों के पहले ऐसा लग रहा था कि राज्य की जनता के लिए अपने लोकलुभावन योजनाओं के जरिए केसीआर सत्ता में वापसी करेंगे. लेकिन जीत के इस आंकड़ें की कल्पना नहीं की जा रही थी. कांग्रेस के साथ मिलकर टीडीपी ने ‘प्रजा कुटमी’ का जो गठबंधन बनाया था, वो केसीआर को सत्ता में वापसी से रोक न सका. चंद्रबाबू नायडू की रणनीति फेल साबित हुई. चुनावी रैलियों में राहुल गांधी के बार-बार टीआरएस को बीजेपी की बी टीम बताने पर जनता ने यकीन नहीं किया. बीजेपी के फायरब्रांड हिंदुत्ववादी नेता योगी आदित्यनाथ को तेलंगाना की चुनावी रैलियों में झोंकने का फायदा बीजेपी को नहीं मिला. तेलंगाना में बीजेपी की सरकार आने पर करीमनगर का नाम बदलकर करीपुरम और हैदराबाद का नाम भाग्यनगर कर देने के वादे को जनता ने सिरे से खारिज कर दिया. केसीआर की ये बड़ी उपलब्धि है कि जनता ने उन्हें पहले से बेहतर नतीजों के साथ सत्ता की चाबी सौंपी है.

2014 के विधानसभा चुनाव में टीआरएस को 63 सीटें मिली थीं. 21 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी. टीडीपी 15 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. जबकि AIMIM ने 7 और बीजेपी ने 5 सीटें हासिल की थीं. इस बार के चुनाव को लेकर कई बातें कही जा रही थीं. ‘प्रजा कुटमी’ में कांग्रेस, टीडीपी, टीजेएस और सीपीआई जैसी पार्टियों के शामिल होने की वजह से इस गठबंधन के लिए बेहतर नतीजों की उम्मीद जताई जा रही थी. क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव के लिहाज से इन सारी पार्टियों का वोटशेयर करीब 40 फीसदी बनता है.

टीआरएस के लिए इस अभूतपूर्व जीत के कुछ निश्चित मायने निकाले जा सकते हैं-

केसीआर का पहले चुनाव करवाने का फैसला उनके फेवर में रहा.

चंद्रबाबू नायडू का प्रजा कुटमी बुरी तरह से फेल रहा.

प्रजा कुटमी का फेल होना 2019 के लिए विपक्ष की रणनीति को बदलने पर मजबूर करेगा.

तेलंगाना को हिंदुत्ववादी लहर में झोंकने की बीजेपी की रणनीति फेल रही.

अब ये देखना दिलचस्प होगा कि 2019 के लिए केसीआर का रुख क्या होता है?

इन नतीजों ने केसीआर का कद बड़ा कर दिया है. इसका असर 2019 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा.

केसीआर ने चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस से बराबर की दूरी बनाकर रखी थी. वो दोनों पर बराबर हमले कर रहे थे. लेकिन अब ये देखना रोचक होगा कि 2019 के लिए वो किस पाले के करीब आते हैं.

Hyderabad: Telangana Rashtra Samithi (TRS) Party workers celebrate after the initial trends show the party leading in the states Assembly elections, at Telangana Bhavan in Hyderabad, Tuesday, Dec.11, 2018. (PTI Photo)(PTI12_11_2018_000046B)

जीत का जश्न मनाते टीआरएस के कार्यकर्ता

एग्जिट पोल में केसीआर के जीत के दावे किए जा रहे थे. इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल में टीआरएस को 79 से 91 सीटें मिलने का अनुमान दिया था. जबकि कांग्रेस-टीडीपी गठबंधन को 21 से 33 सीटें, AIMIM को 4 से 7 और बीजेपी को 1 से 3 सीटें दी गई थीं. टाइम्स नाउ-सीएनएक्स के सर्वे में टीआरएस को 66 सीटें, कांग्रेस गठबंधन को 37 सीटें दी गई थीं. रिपब्लिक सी वोटर के सर्वे में टीआरएस को 48 से 60 सीटें, कांग्रेस गठबंधन को 47 से 59 सीटें और बीजेपी को 5 से तीन सीटें दी गई थीं. टीवी9 तेलुगू-एएआरए ने टीआरएस को 75-85 सीटें, कांग्रेस को 25-35 और बीजेपी को 2 से 3 सीटें मिलने का अनुमान जताया था.

इन सर्वे के बाद भी कांग्रेस-टीडीपी की प्रजा कुटमी अपनी जीत को लेकर इस तरह से आश्वस्त थी कि वोटों की गिनती के एक दिन पहले तक कांग्रेस के नेता कह रहे थे कि अगर प्रजा कुटमी को सबसे ज्यादा सीटें मिलती हैं तो इस गठबंधन को ही सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए, क्योंकि ये चुनाव पूर्व गठबंधन है.

जब रुझानों ने टीआरएस की जीत का इशारा करना शुरू किया तो कांग्रेस के नेता ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत करने लगे. राज्य कांग्रेस के नेताओं ने चुनाव आयोग को शिकायती पत्र भेजा है. टीआरएस की सांसद के कविता ने कहा कि हारने वाली पार्टियां ईवीएम का रोना रोती हैं. इसमें कुछ नया नहीं है. टीआरएस की जीत से बहुत कुछ बदलने वाला है. इसके संकेत भी मिल गए हैं. जीत के बाद केसीआर बोले- अब वो राष्ट्रीय राजनीति में जल्दी ही कुछ बड़ा करने वाले हैं.

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