जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की तो उन्हें अपने 86 वर्षीय पिता देवगौड़ा के बारे में प्रशंसा सुनने को मिली. कुमारस्वामी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेडी (एस) चीफ को जल विवादों और सिंचाई प्रोजेक्ट्स का 'चलता फिरता इनसाइक्लोपीडिया' बताया. उन्होंने कहा कि पीएम ने तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच चल रहे 140 साल पुराने कावेरी विवाद की गहरी जानकारी के लिए गौड़ा की प्रशंसा की.
दिल्ली से लौटने के बाद कुमारस्वामी ने कहा कि केंद्र ने बिना कर्नाटक की चिंता को ध्यान में रखते हुए कावेरी मैनेजमेंट अथॉरिटी का गठन किया है ताकि वह कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुड्डुचेरी के बीच पानी के बंटवारे का निरीक्षण कर सकें. कुमारस्वामी के कड़े लहजे ने इस बात के संकेत दिए कि जल विवाद के चलते दक्षिण के दो बड़े राज्यों में फिर से कानूनी लड़ाई का दौर चलेगा. हालांकि शांति से सबकुछ देख रहे पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने कुमारस्वामी को रविवार के दिन अपने घर बुलाया. गौड़ा ने कुमारस्वामी को सलाह दी कि वह कोई भी विवादित रास्ता न अपनाएं. गौड़ा ने सलाह दी है कि वह केंद्र और तमिलनाडु के साथ एक नरम रणनीति अपनाएं.
परिवार के सूत्रों के अनुसार गौड़ा ने बेटे को कहा है कि सुप्रीम कोर्ट न जाकर, एक समझौता करें जो राज्य और उनके डगमगाते गठबंधन की सरकार के लिए फायदेमंद हो. गौड़ा ने कुमारस्वामी से यह भी कहा है कि मामले को केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखने से पहले वह इस सौ साल पुरानी समस्या पर एक बुकलेट बनाएं जिसमें सारे तथ्य हों.
पिता से मुलाकात के तुरंत बाद कुमारस्वामी ने एडवोकेट जनरल उदय होला और सिंचाई विशेषज्ञ वेंकटरमन से कोई रास्ता खोजने की ही बात की. उन्होंने जल्द से जल्द बुकलेट तैयार करने के लिए कहा. माना जा रहा है कि कुमारस्वामी पीएम मोदी और जलसंसाधन मंत्री नितिन गडकरी को एक हफ्ते के भीतर विस्तार से पत्र लिखेंगे. गौड़ा ने अपने बेटे से कहा है कि वह इसकी कॉपी कर्नाटक और तमिलनाडु के सभी सांसदों को भेजें.
केंद्र ने बीते हफ्ते बिना कर्नाटक के प्रतिनिधियों के विवादित कावेरी मैनेजमेंट अथॉरिटी का गठन किया है. इससे पहले राज्य ने पहले प्रक्रिया के असंगत होने का हवाला देते हुए अपने सदस्यों को नामांकित करने से इंकार कर दिया था. News18 से बातचीत करते हुए गौड़ा ने कहा कि वह बिना कर्नाटक के प्रतिनिधियों के अथॉरिटी के गठन के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सशर्त अपने दो प्रतिनिधि अथॉरिटी के पास भेजेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली फरवरी को अपना अंतिम फैसला दिया. इसमें कर्नाटक को 11 हजार मिलियन क्यूबिक फीट कावेरी का पानी आवंटित किया और राज्य ने फैसला स्वीकार कर लिया. हालांकि कर्नाटक ने पानी के वितरण की निगरानी के लिए कावेरी मैनेजमेंट अथॉरिटी के गठन पर सवाल उठाया है. सर्वोच्च न्यायालय की ओर से ऐसा करने के आदेश के बाद अथॉरिटी का गठन किया गया.
(न्यूज18 के लिए डीपी सतीश की रिपोर्ट)
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