कश्मीर के श्रीनगर और अनंतनाग लोकसभा सीटों के लिए अप्रैल महीने में उपचुनाव होंगे. चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखों का एलान अभी किया है.
इन दो सीटों के चुनाव के लिए तमाम सियासी दलों ने महीनों तो पहले से ही तैयारी करनी शुरू कर दी थी. जब पिछले साल जुलाई से शुरू हुई हिंसा और आजादी समर्थक आंदोलन के सुर कमजोर पड़ने लगे थे.
अब चुनाव का एलान हो जाने के बाद कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस से गठबंधन की वकालत कर रही है. ताकि सत्ताधारी पीडीपी को इन उप चुनावों में जीतने से रोका जा सके.
घाटी में पार्टियों की कोशिश
तारीखों के एलान से पहले तमाम सियासी दल छोटी सभाएं और लोगों से मुलाकातों के लिए बैठकें कर रही थीं. सूबे की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी पहुंच बनाने की पूरी कोशिश में जुटी थीं. इसी कोशिश के तहत महबूबा मुफ्ती ने उन लोगों के परिवार को मुआवजा देने का एलान भी किया, जिन्हों ने हिज़बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद हुई हिंसा में अपनी जान गंवाई थी.
महबूबा सरकार ने खुद इस बात को माना है कि बुरहान वानी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद हुई हिंसा में 75 लोग मारे गए थे. बुरहान वानी पिछले साल जुलाई में दक्षिणी कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था.
अनंतनाग सीट, महबूबा के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस्तीफा देने से खाली हुई थी. वहीं श्रीनगर सीट पीडीपी के एमपी तारिक अहमद कारा के इस्तीफा देने से खाली हुई थी. तारिक, पीडीपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके बाद से ये सीट भी खाली थी और यहां भी उप चुनाव होना था. कारा ने अपनी पद से ऐसे समय में इस्तीफा दिया था जब श्रीनगर में हिंसा का माहौल था.
उन्होंने आरोप लगाया था कि पीडीपी और बीजेपी की साझा सरकार, आम लोगों पर सुरक्षा बलों के जुल्म को रोकने में नाकाम रही थी.
चुनाव की तारीख तय
बहरहाल अब इन दोनों ही सीटों पर 9 और 12 अप्रैल को चुनाव होना है. और चुनाव के नतीजे 15 अप्रैल को आ जाएंगे.
चुनाव आयोग ने ऐसे वक्त उप चुनाव की तारीखों का एलान किया है, जब एक बार फिर कश्मीर के हालात बिगड़ते दिख रहे हैं. सुरक्षा बलों के साथ आतंकियों की मुठभेड़ की कई घटनाएं हुई हैं. ऐसे में हिंसा का ताजा दौर राज्य के सियासी माहौल और चुनाव के लिए कई लोगों को ठीक नहीं लग रहा.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जी.ए.मीर का कहना है 'उप-चुनाव' के लिए हमारी पूरी तैयारी है. हाल ही में राज्य में जो हिंसक वारदातें हुई हैं उससे पीडीपी को इस उप-चुनाव में बड़ा झटका लगेगा. पीडीपी को अपनी हार नजर आ रही है इसीलिए साजिश के तहत उप-चुनाव की तारीखों का एलान अब हुआ है. ताकि हिंसा के चलते कम लोग मतदान करें और पीडीपी की हार टाली जा सके.'
दरअसल राज्य की सरकार ने चुनाव आयोग से सिफारिश की थी कि पंचायती चुनाव और संसदीय क्षेत्र के उप-चुनाव एक साथ करा दिए जाएं. लेकिन चुनाव आयोग ने राज्य सरकार की इस सिफारिश को नहीं माना था. हालांकि राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी अपनी देखरेख में दोनों ही चुनाव कराने के लिए तैयार थे. लेकिन सभी पार्टियां इसके लिए तैयार नहीं थी.
हाल ही में सरकार ने राज्य की पंचायतों का नए सिरे से परिसीमन किया था. और अब करीब 35 हजार पंचायती क्षेत्रों के लिए चुनाव होना है. लेकिन अब ये पंचायती चुनाव श्रीनगर और अनंतनाग लोकसभा उप चुनावों के बाद होंगे.
क्या पीडीपी को हार का डर है?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी ए मीर का कहना है कि, 'केंद्र की बीजेपी सरकार की ये कोशिश थी कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले ही सभी सांसद और विधायकों की सीटों पर चुनाव करवाकर उसे पूरा कर लिया जाए.' मीर के मुताबिक ये पता चलता है कि केंद्र की सरकार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए जिन आंकड़ों की जरूरत है वो उसके पास नहीं हैं.
वरना पीडीपी तो अनंतनाग और श्रीनगर में अभी उप चुनाव के लिए राजी नहीं है. क्योंकि उसे हार का डर लग रहा है. अनंतनाग सीट पिछले एक साल से खाली और श्रीनगर सीट पिछले 6 महीनों से खाली है.
मीर का ये भी कहना है कि, जनता चाहती है नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस चुनावी मैदान में एक साथ उतरें, ताकि सरकार विरोधी वोट बंटने ना पाएं.
कौन-कौन हैं उम्मीदवार
श्रीनगर सीट से नेशनल कांफ्रेंस की तरफ से पार्टी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला का नाम लगभग तय है. जबकि अनंतनाग संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जी ए मीर और पूर्व मंत्री पीरजादा मोहम्मद सईद के नाम पर विचार किया जा रहा है. दक्षिण कश्मीर में मीर का अच्छा असर माना जाता है. पिछले विधानसभा चुनाव में मीर दोरू सीट से बेहद मामूली अंतर से हारे थे.
वहीं, पीडीपी की तरफ से महबूबा मुफ़्ती के भाई तसद्दुक मुफ़्ती, चाचा सरताज मदनी और चचेरे भाई मुफ़्ती सज्जाद के नामों की चर्चा है. श्रीनगर सीट के लिए पीडीपी गांदरबल से पूर्व मंत्री और विधायक काजी मोहम्मद अफजल या उनके बेटे नज़ीर खान को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में है.
पीडीपी के महासचिव अली मोहम्मद सगीर का कहना है कि उप चुनाव के उम्मीदवार और रणनीति तय करने के लिए पार्टी अगले कुछ दिनों में बैठक करेगी.
बिगड़े माहौल में है चुनाव का भविष्य
कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेस दोनों ही पार्टियों की ये कोशिश रहेगी कि अपने चुनाव अभियान में बीजेपी और पीडीपी दोनों ही पार्टियों को निशाने पर लिया जाए. आम लोगों पर सुरक्षा बलों की ज्यादतियों को मुद्दा बनाया जाए.
कांग्रेस नेता मीर ये मानते हैं कि हिंसा के मौजूदा दौर के बीच चुनवा प्रचार मुश्किल होगा. क्योंकि हालात अभी भी बेहतर नहीं हैं. अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस पहले ही लोगों से चुनाव का बहिष्कार करने की अपील कर चुकी है.
पुलिस ने भी गुरुवार को अपने बयान में कहा है कि उत्तरी कश्मीर में जो दो आतंकवादी मुठभेड़ में मारे गए, वो लोगों से चुनाव का बहिष्कार करने के लिए ही कह रहे थे.
गौरतलब है कि गुरुवार को ही सुरक्षा बलों ने अवांतिपुरा के पदगामपोरा के एनकाउंटर में लश्करे तैयबा के दो आतंकियों को ढेर कर दिया था. बताया जा रहा है कि मारे गए दोनों ही आतंकी, सुरक्षा बलों पर हमले, ग्रेनेड फेंकने जैसी कई वारदातों में शामिल थे.
इसके अलावा ये भी आरोप है कि ये आतंकी लोगों से आगामी उप चुनाव का बहिष्कार करने को कह रहे थे.
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