कर्नाटक में टीपू सुल्तान जयंती को लेकर राजनीति इस साल भी गरमाने लगी है. बीजेपी ने कर्नाटक सरकार के फैसले की हर साल की तरह इस साल भी विरोध कर रही है. वहीं राज्य सरकार का कहना है, बीजेपी टीपू जयंती समारोह के मुद्दे पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रही है. मैसूर रियासत के 18वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान के जयंती समारोह को 2016 से राज्य सरकार 10 नवंबर को मनाते आ रही है और इस मौके पर इस बार भी कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है.
राज्य सरकार ने इस मौके पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटने की चेतावनी दी है. उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर ने कहा, बीजेपी टीपू जयंती मुद्दे पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास कर रही है. हम उन्हें ऐसा नहीं करने देंगे. कानून-व्यवस्था खराब करने के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनों के बावजूद कार्यक्रम बिना किसी हस्तक्षेप के आयोजित होगा.
Government will celebrate #TipuJayanti, but all processions, both for and against have been banned. We have requested 10 companies of RAF from Centre. All officers have been informed: G Parameshwara, Karnataka Deputy Chief Minister pic.twitter.com/SkpS6ruZmB
— ANI (@ANI) November 5, 2018
उन्होंने कहा, सरकार 10 नवंबर को टीपू जयंती मनाएगी लेकिन इसके समर्थन और खिलाफत की जुलूस पर बैन लगा दिया गया है. उन्होंने कहा, हमने केंद्र से 10 आएएफ कंपनियों की मांग की है. इस बारे में सारे अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है.
OSD to Union Min Ananth K Hegde in a letter to Karnataka Chief Secy stated, "Union minister Hegde condemns govt's move to celebrate Tipu Jayanti on 10 Nov despite opposition from people. I'd like to inform you to not mention my (Hegde's) name in the invitee's list for the event." pic.twitter.com/8xqq3F2xDB
— ANI (@ANI) November 5, 2018
इसी बीच, बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के ओएसडी ने कर्नाटक के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है, लोगों के विरोध के बाद भी 10 नवंबर को टीपू जयंती मनाए जाने के सरकार के फैसले का केंद्रीय मंत्री हेगड़े निंदा करते हैं. उन्होंने पत्र में राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि केंद्रीय मंत्री को इस कार्यक्रम में न बुलाया जाए.
हालांकि, परमेश्वर ने कहा कि हेगड़े का नाम पहले ही शामिल किया जा चुका है और अब यह उनके ऊपर है कि वह कार्यक्रम में शामिल होना चाहते हैं, या नहीं. हेगड़े ने पिछले साल भी इस तरह का आग्रह किया था.
बीजेपी और आरएसएस ने 10 नवंबर 2016 को समारोह आयोजित करने के सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए इसे अल्पसंख्यक तुष्टीकरण करार दिया था. वर्ष 2016 में उन्होंने टीपू जयंती समारोह मनाने को लेकर सरकार को आड़े हाथ लिया था. उन्होंने दावा किया था कि टीपू कन्नड भाषा और हिंदू विरोधी थे.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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