कर्नाटक कांग्रेस के लिए एक अहम राज्य है, हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में हमने बीजेपी को यहां कड़ी टक्कर दी. जनता दल सेकुलर (जेडीएस) के साथ तालमेल के बाद हमारी ताकत बढ़ी है जिससे हम यहां पक्के तौर पर सरकार बनाने की दौड़ में हैं.
हालांकि, फिर भी बीजेपी यदि कर्नाटक में अपनी सरकार बनाती है तो भी वो किसी हालत में 2019 के जनादेश को बदल नहीं सकेंगे. इस पर गौर करें: बीजेपी के मेरे मित्रों ने मुझे बताया कि पार्टी के कराए अंदरूनी सर्वे के मुताबिक 2019 के चुनाव में बीजेपी को 210 सीटें आने का अनुमान है. जो 2014 में उन्हें आए 282 सीटों से कम है.
यह सर्वे ये भी बताता है कि उत्तर प्रदेश, जहां 2014 में बीजेपी को 80 में से 71 सीटें आईं थी, वो अब यहां घटकर तकरीबन 65 के आसपास रह जाएंगे, मगर ऐसा तभी होगा जब समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस साथ आएं और महागठबंधन बनाकर चुनाव नहीं लड़ रहे होंगे, जिसकी संभावना नहीं है. जैसा कि हाल ही में संपन्न गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में हुआ जहां, यहां योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी संसदीय सीट बचा नहीं सके.
बीजेपी के अपने अनुमानों और आकलन के अनुसार, इसलिए, यदि तीनों पार्टियां केवल उत्तर प्रदेश में ही गठबंधन करती हैं तो बीजेपी यहां अपनी कम से कम 60 और सीटों को खो देगी, जिससे नेशनल लेवल पर उसका आंकड़ा घटकर 155 रह जाएगा.
2019 चुनाव के लिए कांग्रेस की क्या रणनीति होनी चाहिए?
पार्टी के रूप में हमारे लिए, 2014 के चुनावों के बाद दृढ़ संकल्प के साथ आत्ममंथन की प्रक्रिया शुरू हुई. यह काम लगातार हो रहा है, और हम प्रक्रिया के माध्यम से सीखने, विकसित करने और खुद को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि, हमारे लिए उत्साह से भरी बीजेपी की मौजूदगी का सामना करने के लिए इंद्रधनुष गठबंधन (अलग-अलग पार्टियों से गठबंधन) पर काम करना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.
बीजेपी के मुकाबले के लिए हमें विकास का नारा गढ़ना और उसे लागू करना जरूरी है. इसमें अहम रूप से युवाओं तक पहुंचना, विशेष रूप से देश में बेरोजगारी के मुद्दे को दूर करना शामिल है. मैंने अक्सर कहा है कि केवल विपक्ष के बयानों का जवाब देना, या डेटा और आंकड़ों के संदर्भ में उन तथ्यों की जांच करना ही पर्याप्त नहीं है, इससे चुनाव नहीं जीत सकते. जो बात जीत सुनिश्चित करती है वो यह कि सकारात्मक परिवर्तन की संभावना, आशा जगाने वाला संदेश देना, और सबसे महत्वपूर्ण यह कि उन वायदों को पूरा करना है.
विचारों की अस्पष्ट रूपरेखा या परिवर्तन की बड़ी घोषणाएं काम नहीं करेंगी. हमें बदलाव के लिए ठोस रणनीति तैयार करनी होगी, इस तरह से संवाद करना होगा जिससे मतदाताओं का भरोसा बढ़े, ऐसे विचार लाने होंगे जिसपर वो पूरी तरह विश्वास कर सकें.
सबसे महत्वपूर्ण जो बात है कि एक पार्टी के रूप में हम नागरिकों को न केवल अपने विचारों पर भरोसा करने के लिए कहें बल्कि उन्हें यह विश्वास भी दिलाएं कि इन्हें कुशलतापूर्वक और प्रभावी रूप में लागू करने की हमारी क्षमता है. इसका संदेश देकर और अपने व्यवहार से हमें उन्हें (जनता) यह बताना होगा.
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