हाल ही में आरटीआई के जरिए सामने आई जानकारी से खुलासा हुआ है कि कर्नाटक चुनाव से पहले ही सिद्धारमैया सरकार ने अपनी उपलब्धियां गिनाने और वोट बैंक तैयार करने के मकसद से पिछले तीन महीने में 56 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं. जानकरी के मुताबिक ये पैसे होर्डिंग्स पर खर्च कि गए जो सरकार द्वारा किए गए कामों का बखान करने के लिए बसों, मेट्रो रेल के खंभों, ऑटो रिक्शा जैसी जगहों पर लगाए गए. बताया जा रहा है कि होर्डिंग्स और बिलबोर्ड्स के अलावा डिजिटल प्लेटफॉर्म, टीवी चैनल पर भी विज्ञापन दिए गए, जिसके लिए अलग से फंड आवंटित किया गया था.
जानकारी के मुताबिक प्रचार के दौरान हर दिन एक करोड़ रुपए खर्च किया गया जिसमे सरकार के पांच साल के कामों को गिनाया गया. इससे पहले कर्नाटक सरकार ने 2017-18 के बजट में सूचना और जनसंपर्क विभाग को 280 करोड़ रुपए आवंटित किए थे. इस साल फरवरी में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा था कि सरकार 2017-18 में अपनी योजनाओं के प्रचार के लिए 123 करोड़ रुपए खर्च करेगी.
कर्नाटक सरकार के इस फैसले को बीजेपी ने जनता के पैसे की बर्बादी बताया. बीजेपी प्रवक्ता एस. प्रकाश ने कहा कि लोगों के पैसे को उन योजनाओं के प्रचार के लिए खर्च किया गया जो अब तक लागू भी नहीं किए गए हैं. इस सरकार ने प्रचार के लिए 600 करोड़ से ज्यादा का खर्च किया है. जनता को नहीं कांग्रेस पार्टी को ये खर्च उठाना चाहिए.
बीजेपी ने जब इस पर सवाल उठाया तो कांग्रेस सांसद सईद नासिर हुसैन ने कहा कि यह बजट पूरे साल के लिए आवंटित किया जाता है. जब तक यह सीमा से अधिक नहीं होता, तब तक इसमें कोई गड़बड़ नहीं. यह कांग्रेस या आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है.
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