कर्नाटक में पांच सीटों पर उपचुनाव के नतीजों से कांग्रेस-जेडी (एस) गठबंधन को अपनी साझेदारी के बारे में आकलन करने का मौका मिलेगा. तीन लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर शनिवार को मतदान हुआ था. इनका नतीजा मंगलवार को आना है. इन नतीजों से 2019 लोक सभा चुनावों में राजनीतिक समीकरण और उम्मीदवारों के चयन का रास्ता नजर आएगा.
रामनगरम विधानसभा और मांड्या लोक सभा सीटों को जेडीएस बचाने की कोशिश कर रही है. यहां पर स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने अपने पारंपरिक विरोधी के खिलाफ जमकर प्रचार किया. वे ये मानने में भी संकोच नहीं कर रहे जिससे दशकों से लड़ रहे थे, उनके साथ ही गठबंधन थोप दिया गया है. जेडीएस के लिए सौभाग्य से इन सीटों पर बीजेपी की उपस्थिति खास नहीं है.
ऐसे में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की पत्नी अनिता कुमारस्वामी के लिए जीतना मुश्किल नहीं होना चाहिए. वो आराम से विधानसभा में पहुंच सकती हैं. दूसरी तरफ एलआर शिवराम गौड़ा पांच महीने के कार्यकाल के लिए लोकसभा में प्रवेश पा सकते हैं.
कैंपेन खत्म होने से दो दिन पहले बीजेपी के लिए शर्मनाक स्थिति तब बनी, जब उसके उम्मीदवार एल. चंद्रशेखर ने मुकाबले से हटकर कांग्रेस के साथ जुड़ने का फैसला किया. बीजेपी ने इसे धोखा और जेडीएस के मनी पावर का खेल बताया. लेकिन नुकसान तो हो चुका था. चंद्रशेखर ने कहा था कि उन्हें अकेला छोड़ दिया गया. बीजेपी का कोई नेता उनका प्रचार करने नहीं आया. येदियुरप्पा ने कहा कि उन्होंने चंद्रशेखर की अनदेखी इसलिए की, क्योंकि कुछ गलत होने की आशंका को भांप लिया था.
शिवमोगा लोकसभा सीट पर राघवेंद्र बनाम मधु बंगारप्पा
येदियुरप्पा के सामने एक और चुनौती है. शिवमोगा लोक सभासीट से उनके बेटे बीएस राघवेंद्र चुनाव लड़ रहे हैं. यह सीट येदियुरप्पा ने छोड़ी थी. राघवेंद्र पहले भी चुने गए हैं. लेकिन अब उन्हें जेडीएस के मधु बंगारप्पा से कड़ा मुकाबला मिल रहा है.
शिवमोगा पारंपरिक तौर पर कांग्रेस की सीट है. यहां 15 चुनावों में 11 बार कांग्रेस जीती है. ये तब तक था, जब येदियुरप्पा का उदय नहीं हुआ था. पूर्व मुख्य मंत्री बंगारप्पा यहां से आठ बार विधानसभा के लिए चुने गए हैं. तीन बार उन्होंने शिवमोगा लोकसभा सीट जीती है. तीनों बार वो अलग-अलग पार्टियों के लिए जीते हैं. कांग्रेस, बीजेपी और समाजवादी पार्टी के लिए.
बंगारप्पा की लोकप्रियता को भुनाने के लिए जेडीएस ने मधु को उतारा है. हालिया चुनाव में मधु को उनके बड़े भाई बीजेपी के कुमार बंगारप्पा ने सागर विधानसभा से हराया था. 2013 में मधु ने इसी जगह से कुमार को हराया था.
बेल्लारी में मुकाबला जे शांता बनाम वीएस उग्रप्पा
बेल्लारी लोकसभा सीट को लेकर भी गहमागहमी रही. विधानसभा के लिए चुने जाने पर बीजेपी के श्रीरामुलु ने यहां से अपनी बहन जे. शांता को खड़ा किया. कांग्रेस के वीएस उग्रप्पा उनके सामने हैं. हालांकि उग्रप्पा इस क्षेत्र के लिए बाहरी माने जाते हैं, लेकिन उन्हें सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार का समर्थन मिल रहा है.
बेल्लारी ने 90 के दशक में सोनिया गांधी और सुषमा स्वराज की जंग देखी है. जिसमें सोनिया जीती थीं. लेकिन अब यह कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट नहीं रही है. जेडीएस ने कांग्रेस को समर्थन दिया है, लेकिन उसकी उपस्थिति यहां कम है.
जामखंडी में कांग्रेस ने सिद्दू न्यामगौड़ा को खड़ा किया है. जो न्यामगौड़ा के पुत्र हैं. न्यामगौड़ा का निधन मई में हुए चुनाव के बाद एक सड़क दुर्घटना में हो गया था. बीजेपी के श्रीकांत कुलकर्णी पिछली बार करीबी अंतर से हारे थे. वो भी वोटर्स से सहानुभूति की उम्मीद कर रहे हैं. नतीजा जो भी हो, उससे तीनों पार्टियों को अपना घर बेहतर करने में मदद मिलेगी. अप्रैल-मई में होने वाले लोक सभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने में मदद मिलेगी.
(भाषा से इनपुट)
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