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Kairana Bypolls result: जानें कौन हैं 'अजगर', जिन्हें दोबारा 'जिंदा' करने की जद्दोजहद कर रही RLD

इसी अजगर की फसल चौधरी अजित सिंह ने भी काटी थी. ये ही वजह थी कि सिर्फ दिल्ली से फरमान जारी होने भर से ही अजगर एकतरफा वोट देता था

Updated On: May 31, 2018 01:59 PM IST

FP Staff

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Kairana Bypolls result: जानें कौन हैं 'अजगर', जिन्हें दोबारा 'जिंदा' करने की जद्दोजहद कर रही RLD

2014 के लोकसभा चुनावों में बुरी तरह से मात खाने वाली राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) का 2017 के विधानसभा चुनावों में एक उम्मीदवार जीता था. लेकिन वो भी पार्टी छोड़कर जा चुका है. इससे तिलमिलाई आरएलडी ने सबक लेते हुए पश्चिमी यूपी में अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत (अजगर) को जिंदा करने की कोशिश शुरू कर दी है. ये वो ही 'अजगर' है, जिसके सहारे चौधरी चरण सिंह किसानों की राजनीति करते रहे थे.

इसी अजगर की फसल चौधरी अजित सिंह ने भी काटी थी. ये ही वजह थी कि सिर्फ दिल्ली से फरमान जारी होने भर से ही अजगर एकतरफा वोट देता था. लेकिन 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों ने इस तस्वीर को बदल दिया. रही-सही कसर 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने पूरी कर दी. अजगर बीजेपी के पाले में जा बैठा.

लेकिन मुसलमानों के सहारे अजगर को फिर से जिंदा करने की आरएलडी की कोशिश कैराना के उपचुनाव से शुरु हो गई है. जिसकी जिम्मेदारी छोटे चौधरी जयंत (अजित सिंह के बाद अब लोगों ने जयंत को छोटे चौधरी के नाम से पुकारना शुरू कर दिया है.) को दी गई है. यही वजह है कि कैराना में मुस्लिम उम्मीदवार तबस्सुम बेगम को टिकट दी गई. रात-रात भर जयंत चौधरी कैराना और शामली की गलियों में घूमें. पाल समाज के व्यक्ति के घर बैठकर जाटों संग बैठक की.

गुर्जर और राजपूत युवाओं की टोली बनाकर अपने संग रखी. इतना ही नहीं सोशल मीडिया के सहारे हर जाति के युवाओं को जोड़ा जा रहा है. इस काम में अब कैराना लोकसभा का उपचुनाव जयंत में नई ऊर्जा फूंक रहा है.

कैराना के रिजल्ट से बदलेगी रालोद की रणनीति

सूत्रों की मानें तो कैराना का रिजल्ट आरएलडी को नई ऊर्जा देने वाला है. इसी को ध्यान में रखते हुए आरएलडी ने 2019 के लिए रणनीति बनानी शुरु कर दी है. सूत्रों की मानें तो जयंत और अजित सिंह खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटलैंड को दोबारा से खड़ा करना चाहते हैं. इसी के चलते आगामी लोकसभा चुनावों के लिए बागपत, मथुरा और कैराना को निशाना बनाया है. बागपत से जयंत चौधरी, मथुरा से जयंत की पत्नी चारू चौधरी और कैराना से खुद चौधरी अजित सिंह चुनाव लड़ सकते हैं.

जयंत को राहुल-अखिलेश का साथ पसंद है

अपनी खोई हुई जमीन को पाने के लिए जयंत चौधरी को राहुल गांधी और अखिलेश यादव के साथ चलने से भी कोई गुरेज नहीं है. कैराना में न्यूज18 हिन्दी से बातचीत के दौरान भी जयंत ने साफ किया था कि उनकी राहुल और अखिलेश के साथ अच्छी बनती है. उनकी रणनीति पर काम करने से उन्हें कोई गुरेज नहीं है और न ही उन्हें इस बात से भी कोई परेशानी है कि बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ बैठकर भी उन्हें रणनीतियां तय करनी है.

(न्यूज 18 के लिए नासिर हुसैन की रिपोर्ट)

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