कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस की सरकार बनने की तैयारियों को देखकर विपक्ष खुश है. फ्लोर टेस्ट से पहले येदियुरप्पा के इस्तीफे से विपक्ष का मनोबल बढ़ गया है. उत्साहित विपक्ष इसे 2019 के आम चुनावों के नतीजों के संकेत के तौर पर देख रहा है. दूसरी तरफ बीजेपी कैराना के उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए चुपचाप रणनीति बना रही है.
कैराना, पश्चिमी उत्तर का अहम चुनाव क्षेत्र है. यहां जाटों की आबादी ज्यादा है. कैराना में 28 मई को उपचुनाव होने वाले हैं. इस साल फरवरी में बीजेपी एमपी हुकूम सिंह की मौत होने के बाद कैराना में उपचुनाव कराया जा रहा है. गोरखपुर और फूलपुर उपचुनावों में मिली करारी शिकस्त को बीजेपी कैराना में नहीं दोहराना चाहती है.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा कैराना में रैली करने वाले हैं. लेकिन बीजेपी कैराना की सीट बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है. इसे बीजेपी का ट्रंप कार्ड भी कहा जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 मई को कैराना से सटे बागपत में रैली करने वाले हैं. दिलचस्प हैकि 26 मई को कैराना में चुनाव प्रचार खत्म हो जाएगा. दूसरी तरफ 27 को पीएम कैराना से लगे बागपत में रैली करेंगे. बीजेपी की यह रणनीति विपक्ष की धार को कुंद कर सकती है.
27 मई को बागपत में मोदी की रैली क्यों?
27 मई को नरेंद्र मोदी बागपत में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करेंगे. 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि किसी भी सूरत में मई के अंत तक 135 किलोमीटर लंबी इस एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया जाए. कैराना के लिए जहां बीजेपी अपने स्टार प्रचारक को उतार रही है वहीं दूसरी तरफ विपक्ष आपसी एकता बनाए हुए है.
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