तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने गुरुवार को राज्य विधानसभा को भंग करने की सिफारिश की थी. जिसे राज्यपाल ने मान लिया. अब राज्य में विधानसभा चुनाव तय समय से पहले होगा. केसीआर के इस फैसले ने क्षेत्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है. जिस रणनीति के तहत केसीआर ने विधानसभा को भंग किया है, अगर वह सही रहा तो यहां पर चार राज्यों के साथ ही विधानसभा चुनाव होंगे.
इस साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. केसीआर की चाहत है कि इन्हीं के साथ तेलंगाना में भी चुनाव हो. अगर ऐसा होता है तो यह 2019 लोकसभा चुनाव से पहले दक्षिण भारत में एक दिलचस्प मुकाबला होगा.
केसीआर के इस फैसले के पीछे एक सोची समझी रणनीति है. आइए जानते हैं केसीआर ने राज्य विधानसभा भंग कराने का फैसला क्यों लिया...
कांग्रेस की चुनाव के लिए तैयारी नहीं
न्यूज-18 की खबर के मुताबिक, राज्य में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के लिए सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस ही है. केसीआर ने एक ऐसा दांव खेल दिया है जिसे समझने और तैयारी करने तक वह बहुत आगे निकल जाएंगे. तेलंगाना में चुनाव के लिए कांग्रेस की अभी तैयारी ही नहीं है और पार्टी कई धड़ों में बटी हुई है. हर धड़े का मुखिया अपने आप को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार मान रहा है. वहीं कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी ही पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार होंगे.
चुनाव से पहले फंड की वर्षा
पिछले कुछ दिनों से केसीआर चुनावी मोड में नजर आ रहे हैं. उन्होंने कई समुदाय, मंदिर के पुजारी, सरकारी कर्मचारी और महिलाओं के स्वयं सहायता समूह को तमाम तरह की सहायता राशि देने की घोषणा की है. पिछले कुछ सप्ताह से उन्होंने मंत्रियों को आदेश दे रखा है कि वो बड़े प्रोजेक्ट के लिए फंड तुरंत जारी कर दे.
अच्छा मॉनसून
तेलंगाना में इस बार बारिश अच्छी हुई है जिससे किसान को सीधा लाभ मिल रहा है. इसके अलावा केसीआर ने एक योजना के तहत 58 लाख किसानों को इंस्टॉलमेंट में 8 हजार रुपए देने की घोषणा की है. इस योजना से राजनीतिक तौर पर उन्हें काफी लाभ मिल रहा है.
एक साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव का खतरा
केसीआर बिल्कुल भी नहीं चाहते थे कि विधानसभा और लोकसभा का चुनाव एक साथ हो. उन्हें इस स्थिति में नुकसान का डर था. दूसरी तरफ राज्य में बीजेपी का कोई खास असर नहीं है. ऐसी स्थिति में वो नहीं चाहते थे कि विधानसभा और लोकसभा दोनों में लोग कांग्रेस को वोट करे.
किंगमेकर केसीआर
तय समय से पहले चुनाव कराने के पीछे की सबसे खास वजह यह है कि केसीआर 2019 में खुद को किंगमेकर के तौर पर देख रहे हैं. वो विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर 2019 लोकसभा चुनाव में किंगमेकर की भूमिका में आने की चाहत भी रखते हैं. तेलंगाना में 17 लोकसभा सीटें हैं. अगर बीजेपी बहूमत के आंकड़े को नहीं पार कर पाई तो वो मोलभाव की स्थिति में होंगे.
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