जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है. राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान के बाद इस मामले पर उठापटक शुरू हो गई है. मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार सज्जाद लोन को सीएम बनाना चाहती थी. लेकिन अगर वह ऐसा करते तो बेईमानी होती.
मलिक ने कहा, 'अगर मुझे लोन की सरकार बनवानी पड़ती तो मैं एक बेईमान आदमी के तौर पर जाना जाता इसलिए मैंने पूरे मामले को खत्म कर दिया. जो मुझे गाली देते हैं वह देते रहें लेकिन मैंने जो किया वह ठीक किया.'
न्यूज18 के मुताबिक, 'सज्जाद लोन के पास संख्या थी ऐसे में केंद्र सरकार उनके नाम को ही सामने लाती लेकिन मैंने न्यूट्रल आदमी की तरह काम किया.' गौरतलब है कि महबूबा मुफ्ती के सरकार बनाने के दावे के बाद ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी थी. जिसके बाद से विपक्ष लगातार मलिक पर निशाना साध रहा था.
हालांकि सज्जाद लोन ने कहा था कि अलग-अलग विचारधाराओं वाली राजनीतिक पार्टियों के एक साथ आने से स्थायी सरकार बनना नामुमकिन है. कुछ पार्टियां ऐसी थी जो विधानसभा भंग करने की मांग करती थी. ऐसी पार्टियों के साथ आने का एक ही मकसद हो सकता है सत्ता को हथियाना न कि एक जिम्मेदार सरकार बनना.
इसके अलावा मलिक ने यह भी कहा था कि राजनीतिक पार्टियां विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए हॉर्स ट्रेंडिंग करने वाली थी.
बयान में यह भी कहा गया था कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा के लिहाज से हालात नाजुक हैं. ऐसे में सुरक्षा बलों को दोस्ताना और स्थायी माहौल की जरूरत है. इसलिए विधानसभा भंग करना ही सबसे अच्छा विकल्प है, ताकि राज्य को स्थायित्व और सुरक्षा प्रदान की जा सके.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने के बाद अब किसी भी पार्टी को सरकार बनाने का मौका नहीं मिलेगा. राज्य में अब चुनाव कराए जाएंगे.
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