जींद उपचुनाव का परिणाम गुरुवार यानी आज आने वाला है. मनोहरलाल खट्टर सरकार में यह पहला उपचुनाव है. इसका परिणाम न सिर्फ हरियाणा की भविष्य की राजनीति तय करेगा बल्कि इससे प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी मतदाताओं के दिल और दिमाग के हालात का पता चलेगा. न्यूज 18 की खबर के अनुसार चुनाव में जीत-हार कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला, सीएम मनोहरलाल खट्टर और दो नई पार्टियों का भविष्य तय करेंगे. पता चलेगा कि दुष्यंत चौटाला की जन नायक जनता पार्टी और बीजेपी के बागी सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी अब आगे क्या-क्या कर सकती है.
21 प्रत्याशियों के सियासी भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद
बता दें कि जाट बहुल इस सीट पर 1972 के बाद कोई जाट विधायक नहीं बना है. यहां कभी बीजेपी का भी खाता नहीं खुला है. देखना यह है कि इनेलो, कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी जाट प्रत्याशी को जिता कर रिकॉर्ड बनाते हैं या फिर बीजेपी पहली बार जाटलैंड की इस सीट पर अपना खाता खोलकर इतिहास रचती है. इस उपचुनाव के लिए सोमवार को वोट डाले गए थे. 1.72 लाख से अधिक रजिस्टर्ड वोटरों में से करीब 76 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान करके 21 प्रत्याशियों के सियासी भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद कर दिया था. राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह चुनाव कांग्रेस और बीजेपी से ज्यादा सीएम मनोहरलाल खट्टर और कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला की इज्जत का सवाल है.
बीजेपी ने इस सीट पर पंजाबी (गैर जाट) कार्ड का इस्तेमाल किया है
बीजेपी चुनाव हारती है तो पार्टी के अंदर खट्टर के विरोधी सक्रिय होंगे और अगर सुरजेवाला चुनाव हारते हैं तो हरियाणा में कांग्रेस की ओर से सीएम पद की उनकी दावेदारी बिल्कुल खत्म हो जाएगी. प्राप्त जानकारी के अनुसार बीजेपी ने इस सीट पर पंजाबी (गैर जाट) कार्ड का इस्तेमाल किया है. वहीं कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और इनेलो ने जाट प्रत्याशी पर अपना दांव लगाया है. बीजेपी ने यहां इनेलो के विधायक रहे डॉ. हरीचंद मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा को टिकट दिया है. हरीचंद मिड्ढा की मौत के बाद यह सीट खाली हो गई थी. इसके बाद उनके बेटे बीजेपी में शामिल हो गए थे. वह यहां पर दो बार से विधायक थे. वह पंजाबी समुदाय से हैं.
जननायक जनता पार्टी ने दिग्विजय चौटाला को मैदान में उतारा है
वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने यहां अपने राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो राहुल गांधी के बहुत करीबी माने जाते हैं. वह इस वक्त कैथल से विधायक हैं. दूसरी तरफ जननायक जनता पार्टी ने दिग्विजय चौटाला को मैदान में उतारा है जबकि इनेलो ने उम्मेद सिंह रेढू को. बताया जाता है कि 3 जाट उम्मीदवार बीजेपी के लिए राहत ला सकते हैं. यही कारण है कि पार्टी नेता वोटिंग के बाद लगातार अपनी जीत का दावा ठोक रहे हैं. पार्टी ने तो लड्डू भी बनवाकर रखे हुए हैं.
तीन प्रमुख पार्टियों ने जाटों पर ही अपना दांव लगाया है
लोकनीति-सीएसडीएस (सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटी) के एक सर्वे में जाट बीजेपी से नाराज बताए गए थे. ऐसे में जाट बहुल सीट पर जाटों का वोट लेकर बीजेपी का कदम जमाना सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है. जाटों के बाद यहां सबसे अधिक संख्या पंजाबी और वैश्य समाज की है. यहां पर करीब 1.70 लाख वोटर हैं जिसमें से 55 हजार जाट बताए जाते हैं. ऐसे में बीजेपी को छोड़कर अन्य तीन प्रमुख पार्टियों ने जाटों पर ही अपना दांव लगाया है. किस पार्टी की रणनीति कामयाब रही ये तो परिणाम आने के बाद ही पता चल पाएगा.
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