राजनीति की परिभाषा बदल गई है. आज की तारीख में 'येन केन प्रकारेण सत्ता की प्राप्ति' ही राजनीति की परिभाषा है. यह अलग बात है कि समय के लिहाज से मंच और मंच पर चमकने वाले चेहरे बदल जाते हैं. बावजूद इसके नेतागिरी की चमक के लिए सुपर नेचुरल पावर यानी ईश्वर, अल्लाह, प्रभु येशु या वाहे गुरु का आशीर्वाद भी जरूरी होता है. समय-समय पर यह दिखता भी है और हम आप इसे समझते हैं, महसूस भी करते रहे हैं.
भगवान शिव शंकर के भक्तों का महीना सावन आ गया है. बोल बम के नारों के साथ भोले शंकर का जयघोष भी गुंजायमान है. झारखंड के देवघर में एक महीने तक चलने वाले सावन महोत्सव का शुभारंभ राज्य के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने शनिवार को किया. वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ख्याति प्राप्त भव्य महोत्सव के शुभ उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री रघुबर दास के साथ उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी सहित दर्जन भर विधायक भी मौजूद रहे. एक सुर से भोले शंकर का जयघोष करते हुए माननीयों ने जनता की सेवा का संकल्प भी दुहराया.
2022 तक के लिए मांगा भोलेनाथ से आशीर्वाद
मुख्यमंत्री रघुबर दास ने देवघर को अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्थल बनाने का वायदा किया और यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ही देश को एक दिशा देने का कार्य कर सकते हैं. इस दौरान रघुबर दास ने अपने आपको जनता का दास बताते हुए न केवल केंद्र की बल्कि अपनी सरकार की उपलब्धियों को भी बखूबी गिनवाने का कार्य किया. रघुबर दास ने यह भी कहा कि बाबा बैद्यनाथ से उन्होंने 2022 तक के लिए फिलहाल आशीर्वाद मांगा है ताकि सवा तीन करोड़ की आबादी वाले झारखंड की गोद से गरीबी का नाश वो कर सकें.
मतलब साफ है मौका दीजिए भगवान भोले शंकर 2022 से पहले 2019 है. दरअसल राजनीति की बिसात पर मोहरे की चाल चलने की कला के वर्तमान माहिर खिलाड़ी का अनुसरण रघुबर बखूबी करना सीख गए हैं.
रघुबर दास ने कुछ भाव मन में भी रख लिया हो लेकिन उनके मंत्रिमंडल के दो सहयोगी मंत्री अमर कुमार बाउरी और रणधीर सिंह ने स्वीकार किया कि देवघर में द्वादश ज्योतिर्लिंग में मनोकामना लिंग स्थापित है और बाबा बैद्यनाथ के दरबार में हमने केंद्र से लेकर राज्य तक बीजेपी सरकार के लिए आशीर्वाद मांगा है, मनोकामना की है.
पुजारियों की मानें तो राज्य की महिला बाल विकास मंत्री डॉ श्रीमती लुइस मरांडी ने भगवान भोले शंकर के दरबार मे लिखित अर्जी भी डाली है. पार्टी के विधायक डॉ. जीतू चरण राम और जानकी यादव ने कहा कि मंदिर से मिले लाल धागा को उन्होंने दाहिने बाजू पर बांध लिया है और अब 2019 में फिर जीत का परचम लहराएगा.
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देवघर स्थित भोले शंकर बाबा बैद्यनाथ के प्रति शिव भक्तों की श्रद्धा अटूट रही है. मनोकामना लिंग के तौर पर स्थापित बाबा के दरबार में आने वाले भक्तों की मनोकामना देवाधिदेव जरूर पूरी करते हैं यह विश्वास भी है श्रद्धालुओं को. फिर राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी विधायकों ने महादेव से मनोकामना की है तो गलत क्या है? समय के साथ देवघर श्रावणी मेला की भव्यता में जो बढ़ोतरी हुई है उसके कारण आस्था और भक्ति भी बढ़ी है.
कांवड़ियों की संख्या में हुई है भारी बढ़ोतरी
झारखंड राज्य गठन (15 नवंबर 2000) के बाद से बिहार सीमा रेखा पर स्थित बाबा बैद्यनाथ के दरबार में कांवड़ियों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हई है. हाल के चार सालों में झारखंड सरकार ने देवघर को अंतरराष्ट्रीय मानक के तौर पर विकसित करने की जो पहल की है उससे भी सुविधाएं बढ़ी और श्रद्धालुओं का विश्वास भी बढ़ा है. उदाहरण के तौर पर समझा जा सकता है कि 2016 में सिर्फ सावन महीने में बाबा को जलार्पण करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 48 लाख से ऊपर थी जो 2017 में 56 लाख हुई. इस साल यहां 70 लाख के करीब भोले शंकर के भक्तों के पंहुचने का अनुमान है.
कांवड़ियों के लिए बिहार झारखंड सीमा रेखा दुम्मा से ही सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं. कांवड़िया पथ पर बालू और शिव भक्तों के लिए कृत्रिम इंद्र वर्षा की व्यवस्था भी सुनिश्चित है. सुरक्षा व्यवस्था में बारह हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं तो जरूरत के मुताबिक पांच सौ से ज्यादा मेडिकल टीम भी तत्परता के साथ मौजूद हैं. मंदिर परिसर में डाक बम और सामान्य बम के लिए सुविधनुकूल व्यवस्था. अर्घ्य के जरिए बाबा बैद्यनाथ को जलार्पण. जलाभिषेक के बाद बाजार आपकी जरूरत के अनुकूल. पेड़ा हो या फिर सिंदूर चूड़ी सभी के दुकान उपलब्ध. ठहरने के लिए दो हजार से भी ज्यादा धर्मशाला और होटल. कुल मिलाकर आप बाबा नगरी आकर निराश नहीं होंगे ऐसी व्यवस्था राज्य की रघुबर सरकार ने कर रखी है.
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इस साल पहली दफा शिव भक्तों के लिए राज्य सरकार ने देवघर के मदरसा मैदान में द्वादश ज्योतिर्लिंग का कटआउट मॉडल भी डिस्प्ले किया है. यानी पर्यटकों को प्रारूप के जरिए देवघर में ही सभी बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन सुलभ हो जाएं.
बहरहाल रघुबर सरकार के कार्य की प्रशंसा भी हो रही है. रघुबर अपने कार्य से प्रेरित भी हो रहे हैं और लोगों को भरोसा भी दिला रहे हैं कि विकास की यही गंगा चाहिए तो सेवा का अवसर जरूर दीजिए. योजना के मुताबिक प्रथम चरण का काम 2022 तक पूरा होगा और तभी विकास की यह गंगा अनवरत बहती रहेगी. मतलब साफ है कि 2022 तो दूर है 2019 सामने है. रघुबर दास ने बाबा बैद्यनाथ से मनोकामना की है- शक्ति दें, सेवा का अवसर दें.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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