बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि उनकी पार्टी जेडीयू अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरकार का साथ देगी. जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री की तरफ से दिया गया यह बयान मोदी सरकार के लिए राहत वाला है. जेडीयू के लोकसभा में दो सांसद हैं. फिर भी नंबर से ज्यादा समर्थन का संकेत बड़ा माना जा रहा है. संकेत इसलिए बड़ा है क्योंकि, बीजेपी की सबसे बड़ी सहयोगी शिवसेना ने ऐन मौके पर लोकसभा से गैर-हाजिर रहने का फैसला कर लिया है.
हालांकि जेडीयू के साथ भी बीजेपी की तनातनी चलती रहती है. रह-रह कर दोनों दलों के बीच कुछ इस तरह की बयानबाजी हो जाती है जिससे गठबंधन को लेकर भी सवाल पैदा होने लगता है. बिहार में जेडीयू-बीजेपी की गठबंधन सरकार है. लेकिन, अगले लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर कई बार खींचतान देखने को मिल जाती है. लेकिन, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बिहार दौरे के वक्त उनकी नीतीश कुमार के साथ एक दिन में दो-दो बार मुलाकात ने रिश्तों की कड़वाहट को काफी हद तक धो दिया है.
मोदी सरकार जब अपने कार्यकाल के अंतिम साल में पहले अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रही है, तो, इस वक्त उसे समर्थन के साथ-साथ सहयोगियों के सहयोग और साथ की ज्यादा जरूरत है. अकेले बीजेपी के पास ही लोकसभा के भीतर इतना बहुमत है कि वो अविश्वास प्रस्ताव को गिरा देगी. लेकिन, इस दौरान संसद में सरकार और विपक्ष के साथ-साथ कौन-कौन से लोग खड़े होते हैं इसका महत्व काफी ज्यादा होने वाला है. ऐसे वक्त में नीतीश कुमार का बीजेपी का साथ होना काफी राहत वाला है, क्योंकि जिस विशेष राज्य के दर्जे की मांग के नाम पर टीडीपी ने बीजेपी का साथ छोड़ा था, बिहार के लिए उसी विशेष राज्य के दर्जे की मांग को नीतीश कुमार भी उठाते रहे हैं.
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