बीते 2 दिसंबर को जब जयललिता अपोलो हॉस्पिटल के अपने हाई डिपेंडेंसी वार्ड में टीवी देख रही थीं. उस हालत में उन्होंने बेहद मुश्किल से तमिलनाडु के मुख्य सचिव पी राम मोहन राव के नाम एक छोटा-सा नोट लिखा.
इस नोट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम एक सन्देश था. उस एक लाइन के नोट में जयललिता ने प्रधानमंत्री को सलाह दी थी कि भारतीय जनता के पास जो सोना है, उस पर कोई दखल न दें क्योंकि ये उनकी भावनाओं से जुड़ा हुआ मामला है.
यह दिखाता है कि जानलेवा दिल के दौरे से हुई मौत से दो दिन पहले तक जयललिता अपने आसपास घट रही बातों से पूरी तरह वाकिफ थीं. वो नोट बंदी के देश के अलग-अलग हिस्सों पर पड़ रहे असर को भी जानती थीं.
उनके अंदर समझने-बूझने की ताकत बनी हुई थी. यह बात अपोलो के डॉक्टरों की बात की पुष्टि करती है कि जया धीरे-धीरे ही सही, पर ठीक हो रही थीं.
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार जया का लिखा वह नोट बाद में तमिलनाडु के राज्यपाल विद्यासागर राव को दिखाया गया. शायद इस इरादे से कि राज्य में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होने के नाते वे इसे प्रधानमंत्री तक पहुंचाएंगे.
हालात कब बिगड़ना शुरू हुए
रविवार को शाम 4:30 से 5:00 के बीच जब जयललिता को दिल का दौरा पड़ा तब भी वो टीवी ही देख रही थीं. जब वे अचेत हुई तब एक क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ वहां मौजूद थे.
उन्होंने स्क्रीन पर पैरामीटर्स गिरते देखे और तुरंत सीपीआर देकर जया को होश में लाने की कोशिश की. इसके बाद ही जया के ह्रदय को मदद देने के लिए ईसीएमओ पर डाला गया.
22 सितम्बर को जब लगभग अचेतावस्था में जया को अस्पताल लाया गया था, तबसे लेकर अब तक का इलाज इस दिल के दौरे से बेकार हो गया. उनकी हालत बिगड़ रही थी और डॉक्टरों की बात से यह जाहिर हो गया था कि हालत निराशाजनक है.
शशिकला का सुप्रीम लीडर के रूप में उदय
ऐसे समय में दो लोगों ने सामने आकर हालात संभाले. पहली थीं जया की करीबी शशिकला नटराजन और दूसरे थे राज्यपाल विद्यासागर राव.
राव दिल के दौरे के समय मुंबई में थे दिल के दौरे की खबर आते ही उन्हें फ़ौरन चेन्नई भेजा गया. राव चेन्नई भागे आए और एअरपोर्ट से सीधे अपोलो हॉस्पिटल जा पहुंचे.
सूत्र बताते हैं कि इसके बाद से कैसे क्या होगा, यह सब फैसले शशिकला की सहमति से लिए गए.
एआईडीएमके के नेताओं के सार्वजानिक रूप से शशिकला के पैरों में गिरकर उनसे पार्टी चलाने के निवेदन से बाहर लोगों को भले ही अचरज हुआ हो. अपोलो के अन्दर किसी को इस बात पर संदेह नहीं था कि शशिकला ही पार्टी कि अगली नेता होंगी. ओ पन्नीरसेल्वम हों, मुख्य सचिव या फिर कोई मंत्री, आखिरी निर्णय शशिकला की राय से ही लिए जा रहे थे.
वो अंतिम 30 घंटे
उस समय वहां मौजूद लोगों की मानें तो संकट के उन 30 घंटों में किसी को भी शशिकला से निर्देश लेने में कोई परेशानी नहीं थी. यह उन्हीं का ही निर्णय था कि जया को मरीना बीच पर एमजीआर मेमोरियल के पास दफनाया जाएगा.
एक चश्मदीद के अनुसार ये पता नहीं कि ये सब सोच समझ कर किया जा रहा था या हालात के चलते ऐसा हो रहा था पर पार्टी और सरकार के लोग शशिकला के इर्दगिर्द ही घूमते नजर आ रहे थे.
इसी समय राज्यपाल विद्यासागर राव प्रधानमंत्री मोदी को जयललिता की सेहत का हाल बता रहे थे जो उस समय अस्पताल की क्रिटिकल केयर यूनिट में भर्ती थीं.
सोमवार और मंगलवार को मोदी और राव के बीच कई बार फोन पर बातचीत हुई, प्रधानमंत्री इस बात की तसल्ली चाहते थे कि किसी भी तरह कानून और व्यवस्था न बिगड़े. राव को अगली सरकार के आने तक व्यवस्थाओं को सँभालने को कहा गया.
आखिरकार
एक विश्वस्त सूत्र ने यह भी खुलासा किया कि शाम को लगभग 4 बजे यह फैसला लिया गया कि जयललिता की मृत्यु की खबर 7 बजे शाम को घोषित की जाए. पर साढ़े पांच बजे के करीब ही तमिल समाचार चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज़ में जयललिता की मौत की खबर चलने लगी. अपोलो अस्पताल के बाहर अफरातफरी मच गई.
हालात से डर कर अधिकारियों ने अस्पताल प्रशासन से फौरन इसका खंडन करने को कहा. डर इस बात का था कि कहीं भावनाओं में बह कर एआईडीएमके के कार्यकर्ता कानून अपने हाथ में न लें और पुलिस उन्हें काबू न कर पाए.
इसी लिए यह फैसला लिया गया कि जयललिता की मृत्यु की सूचना आधी रात के करीब दी जाएगी, क्योंकि तब भीड़ भी कम होगी और पुलिस व्यवस्थाएं अपने काबू में ले लेगी.
हालांकि अपोलो हॉस्पिटल ने इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने किसी भी राजनैतिक दबाव में आकर कोई गलत सूचना दी.
उनका कहना है कि एम्स के जिन डॉक्टरों में शाम 6 बजे के बाद जयललिता का चेकअप किया था उन्होंने कहा था कि जयललिता की स्थिति में कोई सुधार मुश्किल है पर सब कुछ अभी ख़त्म नहीं हुआ है. अस्पताल इस बात पर कायम है कि जया की सांस रात 11.30 पर ही टूटी थी.
अब क्या!
आने वाले दिनों में केंद्र तमिलनाडु में नए प्रशासन के साथ नजर आ सकता है. इसकी बानगी अभी से दिख गयी है. राज्यपाल विद्यासागर राव ने तमिलनाडु पुलिस फोर्स को एक पत्र लिखकर 6 दिसंबर को पुलिस द्वारा व्यवस्थाओं को कुशल संचालन की तारीफ की है.
विद्यासागर वाजपेयी सरकार में गृह मंत्रालय में थे, एक चुनी हुई सरकार के होते हुए राज्यपाल का सीधे पुलिस की पीठ थपथपाना लोगों को खटका तो है. पर फिलहाल उस पत्र से एक पॉजिटिव माहौल बना है.
सूत्रों के अनुसार तमिलनाडु के डीजीपी टीके राजेंद्रन राज्यपाल के इस कदम से काफी खुश हैं, उन्होंने कहा भी कि इससे पहले किसी ने भी पुलिस की मेहनत की इस तरह प्रशंसा नहीं की थी.
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