संघ के विचारक राकेश सिन्हा का कहना है कि महात्मा गांधी की हत्या की नैतिक जिम्मेवारी जवाहर लाल नेहरू को लेनी चाहिए थी.
उन्होंने कहा कि प्रमुख कांग्रेसी नेता राजगोपालाचारी ने भी अपनी किताब में लिखा है कि गांधी जी की सुरक्षा की कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी. उनके सचिव ने भी यह जानकारी दी थी.
अगर गांधी जी को सुरक्षा दी गई होती तो उनकी जान बचाई जा सकती थी. इसलिए पंडित नेहरू को महात्मा गांधी की हत्या की नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी.
उन्होंने कहा, 'महात्मा गांधी सिर्फ तुषार गांधी या उनके परिवार की प्रॉपर्टी नहीं हैं. अगर कोई महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ी कोई जानकारी लेना चाहता है तो यह उसका मौलिक अधिकार है.'
मामले की दोबारा जांच को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
इस बीच महात्मा गांधी की हत्या के करीब 70 साल बाद हत्या की फाइल दोबारा खुलवाने की मांग शुरू हो गई है. इस संबंध में मुंबई के एक एनजीओ अभिनव भारत ट्रस्ट के ट्रस्टी पंकज फडनिस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. शुक्रवार को कोर्ट में इस पर सुनवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कई सवाल पूछे. कोर्ट ने पूछा कि मामले में दो दोषियों की मौत हो चुकी है और केस से जुड़े तमाम लोग मर चुके हैं. ऐसे में इस केस को दोबारा खोलने का क्या कोई कानूनी औचित्य है?
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि क्या इस मामले में कोई नया सबूत है? अब कोर्ट 30 अक्टूबर को महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच कराई जाए या नहीं, इस पर सुनवाई करेगा.
कोर्ट ने पूर्व एडिशनल सोलिसिटर जनरल अमरेंद्र शरण को मामले में एमिकस क्यूरी बनाया है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि अगर दोबारा हत्याकांड की जांच हुई तो गांधी जी की हत्या की साजिश का बड़ा खुलासा हो सकता है.
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