जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की ओर से विधानसभा भंग किए जाने के फैसले को ‘असंवैधानिक और अनैतिक’ करार देते हुए कांग्रेस ने गुरुवार को बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि यह ताजा घटनाक्रम ‘गुजरात मॉडल’ के तहत हुआ है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ‘जब तक सरकार बनाने के लिए कोई दावा नहीं किया गया था तब तक राज्यपाल विधानसभा को निलंबित रखकर खुश थे. जैसे ही किसी ने दावा किया, उन्होंने विधानसभा भंग कर दी. संसदीय लोकतंत्र शर्मिंदा है.’
उन्होंने बीजेपी पर तंज किया, ‘लोकतंत्र का वेस्टमिंस्टर मॉडल पुराना पड़ चुका है. अन्य सभी मामलों की तरह यहां भी गुजरात मॉडल ही जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को पसंद आया.’
The Westminster model of democracy is outdated. Like in all other matters, it is the Gujarat model that has appealed to the J&K Governor
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 22, 2018
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में जिस तरह के असंवैधानिक, अनैतिक और अनुचित कार्य को वहां के राज्यपाल ने अंजाम दिया है, हम उसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं.’ उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल मलिक ने भारत के संविधान के साथ खिलवाड़ किया है और यह सीधा-सीधा प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय के इशारों पर हुआ है.
तिवारी ने मलिक के फैसले को ‘असंवैधानिक और अनैतिक’ करार देते हुए कहा, ‘हम जम्मू कश्मीर के राज्यपाल से पूछना चाहते हैं कि छह महीने पहले जब पीडीपी के साथ गठबंधन की सरकार से बीजेपी अलग हो गई थी, उस समय विधानसभा क्यों नहीं भंग की गई?’
उन्होंने दावा किया कि बीजेपी ने पिछले पांच-छह महीनों में विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायकों को तोड़ने और लुभाने की पूरी कोशिश की लेकिन उसका यह षडयंत्र पूरी तरह विफल रहा. यह साफ हो गया कि बीजेपी को कोई राजनीतिक पार्टी, कोई विधायक समर्थन देने को तैयार नहीं है.
बता दें कि बुधवार की शाम महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी के 29, नेशनल कान्फ्रेंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर 56 विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा करते हुए सरकार बनाने की पेशकश की थी. इसके बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया.
उधर, विधानसभा भंग करने के फैसले के एक दिन बाद राज्यपाल मलिक ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने राज्य के संविधान के अनुरूप और उसके हित में यह फैसला लिया. मलिक ने कहा कि विधायकों की खूब खरीद-फरोख्त हो रही थी और वह दल-बदल के जरिए सरकार बनाने की अनुमति नहीं दे सकते थे.
राज्य में सरकार बनाने की कवायद के पीछे ‘सीमा पार का आदेश होने’ संबंधी बीजेपी के आरोप पर भी तिवारी ने पलटवार किया और कहा कि सत्तारुढ़ पार्टी बताए कि क्या उसके किसी एक नेता ने भी आतंकवाद से लड़ते हुए शहादत दी है.
तिवारी ने ट्वीट कर बीजेपी पर निशाना साधा और कहा, ‘कांग्रेस-पीडीपी-नेशनल कान्फ्रेंस आतंकवाद के साथ हैं और बीजेपी आतंकवादियों के विरोध में है? क्या बकवास है. बीजेपी को चुनौती देता हूं कि वह अपने किसी एक नेता का नाम बताए जिसने आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हुए बलिदान दिया हो.’
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस अपने 500 नेताओं के नाम बता सकती है जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हुए बलिदान दिया है. मुझे भरोसा है कि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी भी ऐसा कर सकती हैं.’
दरअसल, बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कथित तौर पर कहा कि पीडीपी-नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पिछले महीने निकाय चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था, वो आदेश भी उन्हें सीमा पार से आया था. ऐसा लगता है कि राज्य में सरकार बनाने को लेकर उन्हें नए आदेश मिले होंगे. इसी कारण राज्यपाल को यह फैसला लेना पड़ा.
इस पर एनसी के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि माधव अपना दावा साबित करें या फिर माफी मांगें.
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