महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार सुबह अपने दफ्तर में कदम रखा तो उन्हें रत्ती भर अंदाजा नहीं था कि आज क्या होने वाला है. वह कश्मीर मामले के वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा से लंबी बातचीत के लिए मिल रही थीं. लेकिन जैसे ही खबरें आना शुरू हुईं कि बीजेपी गठबंधन सरकार से बाहर निकल सकती है, वह बेचैन हो उठीं. तभी राम माधव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करना शुरू कर दिया और महबूबा के पास कोई फैसला ले पाने के लिए समय ही नहीं बचा. उन्होंने बीजेपी के सरकार से हाथ खिंचने के फैसले को होनी का लिखा मान कर मंजूर कर लिया.
बाद में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने गठबंधन साझीदार से लगाई गई उम्मीदें गिनाईं और अपने कार्यकाल के दौरान उठाए गए कई कदमों के बारे में बताया. यह बताने के लिए कि उन्होंने किस तरह राज्य का विशेष दर्जा कायम रखने की कोशिश की, अदालत के सामने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A के बचाव का हवाला दिया.
निवर्तमान मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने पहली बार पत्थरबाजी में पकड़े गए लोगों के खिलाफ मुकदमे वापस लिए और संघर्ष विराम की तारीफ की. बीजेपी ने महबूबा को राजनीतिक रूप से बेइज्जत किया, ठीक उसी तरह जैसा महबूबा की पार्टी ने अमरनाथ भूमि विवाद के बाद कांग्रेस के मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के साथ 2008 में किया था.
आखिरकार टूट गया 'उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव' का मिलन
मार्च 2015 में मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाने से पहले बीजेपी और पीडीपी में महीनों राजनीतिक वार्ता चली. सईद ने इस गठबंधन को ‘उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव’ का मिलन करार दिया था.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रवक्ता रफी मीर ने कहा कि गठबंधन से निकलने का फैसला बीजेपी का है. उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण मसलों पर असहमति के बाद भी दोनों तीन साल से साथ काम कर रहे थे. मीर ने कहा कि 'यह हमारे लिए अचंभे की बात है, लेकिन एक ना एक दिन तो यह होना ही था. वह कश्मीर को मस्क्युलर पॉलिसी (दमनकारी नीतियों) से चलाना चाहते थे, लेकिन यह चलने वाला नहीं था.'
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने राज्यपाल एनएन वोहरा से कहा है कि कोई भी पार्टी सरकार बनाने की हालत में नहीं है, लेकिन इसके साथ ही राज्यपाल शासन बहुत लंबा भी नहीं चलना चाहिए.
विपक्ष के साथ मतदाता भी मांग रहे हैं जवाब
उमर ने कहा कि 'टाइमिंग ने मुझे अचंभित किया.' उन्होंने कहा कि हालांकि सबसे अजीब बात यह थी कि नेशनल क्रॉन्फेंस की ही तरह पीडीपी भी अचंभे में है. सीपीएम लीडर और कुलगाम के विधायक मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा कि पीडीपी और बीजेपी दोनों ही सिद्धांतहीन गठबंधन के लिए अवाम के सामने जवाबदेह हैं, जो कि आज खत्म हो गया. लेकिन इससे पहले इसने राज्य को गहरे राजनीतिक संकट में डाल दिया है.
तारिगामी का कहना है कि, 'लोग जानना चाहते हैं कि अचानक क्या हो गया? यह बीजेपी की तरफ से जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश है. राज्य और देश की जनता जानना चाहती है कि उन्होंने (बीजेपी) केंद्र में चार साल और जम्मू कश्मीर में तीन साल से ज्यादा लंबे शासन के दौरान गहराते संकट और अनिश्चितता का सामना करने के लिए क्या कदम उठाए?'
पीडीपी-बीजेपी ब्रेकअप के बाद सोशल मीडिया में लोगों की तीखी टिप्पणियां भी सामने आईं. शौकत मोट्टा नाम के एक शख्स ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा: 'अरे मूर्ख, उत्तर उत्तर है और दक्षिण दक्षिण, और ये दोनों कभी नहीं मिल सकते.' पुलवामा के रहने वाले मंसूर अहमद वकील कहते हैं कि 'पीडीपी ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव प्रचार किया था और लोगों से कहा था कि बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए वोट डालें, लेकिन बाद में इसी पार्टी से गठबंधन कर लिया, जिसने अब इसे दरवाजा दिखा दिया है. इसे इस दगाबाजी की कीमत चुकानी पड़ेगी.'
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