तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय जे जयललिता की मौत पर राज्य सरकार द्वारा गठित एक जांच आयोग तीन महीनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा. एआईडीएमके की ओर से पिछले साल उनकी मौत के बाद से ही जांच की मांग उठती रही है. अब राज्य की ई पलानीसामी सरकार ने अब जांच आयोग का गठन किया है.
जयललिता के मौत की वजह स्पष्ट न होने के कारण पहले से ही इसपर शक के बादल मंडरा रहे थे, अब एक के बाद एक इस मामले को लेकर खुलासे हो रहे हैं. जयललिता के अस्पताल में एडमिट होने के वक्त को लेकर पार्टी के ही नेता अलग-अलग बयान दे रहे हैं.
अब तक इस मामले में कितनी बातें कही जा चुकी हैं, कितने तथ्य सामने आए हैं, क्या-क्या किया गया है, सबका लेखा-जोखा-
- पिछले हफ्ते में पार्टी के नेताओं की तरफ से बयान आया था कि जयललिता के आखिरी वक्त में उन्हें उनसे मिलने नहीं दिया गया था. इसके बाद ही इस नेता की मौत को लेकर षड्यंत्र जैसी बातें उठने लगी थीं.
- जयललिता का इलाज करने वाले ब्रिटिश डॉक्टर रिचर्ड बेल की पहली मेडिकल रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि जयललिता को 22 सितंबर को जब अस्पताल लाया गया था, तो वो सुस्त थीं, उनकी हालत कमजोर थी लेकिन वो बात करने के हालत में थीं.
- जयललिता को 22 सितंबर, 2016 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दिसंबर के शुरुआती दिनों में उनकी हालत में सुधार हुआ था. डॉक्टरों ने ये भी कह दिया था कि वो जब चाहे, घर जा सकती हैं लेकिन अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई और 5 दिसंबर, 2016 को उनका निधन हो गया.
- जे जयललिता की मौत की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एक जांच आयोग तीन महीनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा. ये आयोग पिछले साल जयललिता के अस्पताल में भर्ती होने की परिस्थितियों और उसके बाद के इलाज की जांच करेगा. लोक विभाग के 27 सितंबर की तारीख से एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने आयोग को यह जिम्मेदारी सौंपी है.
- तमिलनाडु के वनमंत्री सी श्रीनिवासन ने कहा था कि कोई भी जयललिता के अस्पताल में भर्ती होने के दौरान नहीं मिला था. पहले श्रीनिवासन ने ही बयान दिया था कि वो लोग जयललिता से मिले थे, उन्होंने झूठ बोलने के लिए माफी मांगी, उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं का शशिकला का डर था, इसलिए उन्होंने झूठ बोला था. लेकिन सेल्लूर के राजू ने कहा है कि सरकार के सभी मंत्री जयललिता से अस्पताल में मिले थे.
- इसके पहले उप-मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने जांच की मांग सबसे पहले उठाई थी. उन्होंने ही सबसे पहले इस मौत पर सवाल उठाए थे. उन्होंने ये भी बताया था कि उन्हें जयललिता के आखिरी वक्त में उनसे मिलने नहीं दिया गया था.
- ये जांच आयोग तब बनाई गई है, जब एआईडीएमके के दोनों धड़ों का विलय हो गया है. पन्नीरसेल्वम इसी शर्त पर पार्टी में शामिल होने काे राजी हुए थे, कि राज्य सरकार पूर्व मुख्यमंत्री की मौत की जांच कराएगी.
- जेल में बंद एमएस शशिकला और उनके भतीजे टीटीवी दिनाकरण अलग मोर्चा खोले हुए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री की करीबी शशिकला इस वक्त जेल में हैं. वहीं दिनाकरण पॉवर में आने की कोशिश में लगे हैं. इस जांच की सूई शशिकला पर भी टिकेगी क्योंकि वो जयललिता का सालों से करीबी रही थीं और उनके आखिरी वक्त में उनके साथ थीं.
- एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, दिनाकरण ने कहा था कि शशिकला ने अस्पताल में जयललिता का एक वीडियो बनाया था, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया गया. इसके लिए वजह दी गई कि पूर्व मुख्यमंत्री नाइटी में थीं, इसलिए इसे पब्लिक नही किया जा सकता.
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