दलितों के हित से जुड़े मुद्दों पर पार्टीलाइन के खिलाफ जाने वाली सांसद सावित्रीबाई फुले फैसला किया है कि वह अविश्वास प्रस्ताव में वोटिंग के दौरान सरकार के समर्थन में वोट करेंगी. फुल उन 4 चार सांसदों में से एक हैं जिन्होंने इस साल दलितों के मुद्दे पर इस्तीफा देने की बात कही थी.
यूपी स्थित बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्रीबाई फुले ने लखनऊ में एक रैली के दौरान आरोप लगाया था कि आरक्षण खत्म करने की साजिश की जा रही है जिसको दलित समाज बर्दाश्त नहीं करेगा. सावित्री बाई ने आरोप लगाया कि आंबेडकर की मूर्ति तोड़ने वालों वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. सारे विभाग का निजीकरण कर आरक्षण खत्म किया जा रहा है.
इसी साल मई में फुले ने कहा था, 'सावित्री बाई फुले ने मीडिया से कहा कि 'इस 4 सालों में बहुजन समाज का कोई भला नहीं हुआ है. जब तक भारत का संविधान पूरी तरह से लागू नहीं होगा, तब तक नहीं होगा बहुजन समाज का उत्थान नहीं हो पाएगा'.
शुक्रवार को News18 से बातचीत में फुले ने कहा, 'मैं पार्टी के साथ धोखा नहीं कर सकती. लोकसभा में रह कर ही अपनी आवाज उठायी जा सकती है.' हालांकि उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी से खुश नहीं हैं. फुले ने कहा, ह'म सभी नाखुश हैं कि जिस तरह से हमारी पार्टी ने दलितों के खिलाफ घटनाओं की बढ़ती संख्या पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है. लोगों को पीटा जाता है, धकेल दिया जाता है, आंबेडकर की मूर्तियों को तोड़ दिया जाता है और उनके खिलाफ कोई नहीं कार्रवाई हो रही है.'
उत्तर प्रदेश के नगीना से बीजेपी सांसद यशवंत सिंह ने प्रधानमंत्री को संबोधित एक पत्र लिखा था, जिसमें दावा किया गया था कि पिछले चार वर्षों से मोदी सरकार ने दलितों के लिए कुछ नहीं किया . उन्होंने यह भी कहा कि वह आरक्षण के कारण एक सांसद बन गए, लेकिन दलित एमपी के रूप में उनकी क्षमताओं का उपयोग नहीं किया गया.
सिंह ने कहा, 'बीजेपी के दलित सांसदों पर सवाल उठाया जा रहा था और समुदाय ने हर समय हमला किया था हमें जवाब देना मुश्किल हो रहा है.'
रॉबर्ट्सगंज के एमपी छोट लाल खरवार ने भी 5 अप्रैल को मोदी को लिखे अपने पत्र में खारवार ने कहा था कि उन्हें दलित पहचान की वजह से भेदभाव का सामना करना पड़ा. उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उसी पत्र में 'जातिवादी' कहा है और अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग में आधिकारिक शिकायत जमा कर दी है.
शुक्रवार की सुबह News18 से बात करते हुए खारवार ने कहा, 'मैंने कुछ शिकायतें को बताते हुए प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है. इसका मतलब यह नहीं है कि मैं पार्टी से नाखुश हूं. मोदीजी हमारे सर्वोच्च नेता है और मैं एक प्रतिबद्ध सदस्य हूं पार्टी. मैं शुक्रवार को पार्टी के लिए मतदान करने जा रहा हूं. इसमें कोई संदेह नहीं है.'
(साभार: न्यूज़18)
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