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राहुल को रास आई राजनीति: मोदी के सामने नए अवतार में महारथी

मोदी हों या कोई दूसरा विपक्षी नेता राहुल अब उसकी आलोचना बहुत ही समझदारी के साथ सभ्य तरीके से करते हैं

Updated On: Oct 28, 2017 09:31 AM IST

Sandipan Sharma Sandipan Sharma

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राहुल को रास आई राजनीति: मोदी के सामने नए अवतार में महारथी

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी संभवत: अपनी जिंदगी में पहली राजनीति का लुत्फ ले रहे हैं. अपनी जनसभाओं और रोड शो के दौरान वो खुले दिल से मुस्कुराते, हंसते और चुटकुले सुनाते नजर आ रहे हैं. यही नहीं, वो विपक्षी नेताओं पर तीखे तंज कसना भी सीख गए हैं. रोजाना कोई न कोई नया शब्द या मुहावरा गढ़कर वो अपने सियासी प्रतिद्वंदियों पर निशाना साध रहे हैं.

राहुल गांधी के इस रूप की कल्पना किसी को भी नहीं थी. किसी को गुमान तक न था कि राहुल इस हद तक राजनीति में रुचि लेने लगेंगे. लेकिन राहुल ने सभी कयासों और भविष्यवाणियों को धता बताते हुए राजनीति के अखाड़े में मजबूती के साथ ताल ठोंक दी है. वो आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहे हैं. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय राजनीति में राहुल का शो शुरू हो चुका है.

राहुल के कायाकल्प से हैरत में है बीजेपी

राहुल के इस कायाकल्प ने सबको अचरज में डाल दिया है. यहां तक कि विपक्षी बीजेपी के नेता भी राहुल के इस नए अवतार से हैरत में हैं. सियासी गलियारों में मजाक-मजाक में ऐसी चर्चाएं हो रही हैं कि राहुल बीते कुछ महीनों से ऐसा क्या खा-पी रहे हैं, जिसने उन्हें पूरी तरह से बदल कर रख दिया है.

राहुल की कायापलट एक ऐसे शख्स के रूप में हुई है, जो अपने काम को बखूबी समझता है और जिसे अपना लक्ष्य अच्छी तरह से पता है. राहुल ने राजनीति से विमुख शख्स की अपनी छवि से छुटकारा पा लिया है. अब लोग उन्हें चांदी का चम्मच लेकर पैदा होने वाला राजनेता नहीं मानते हैं. अब जनता राहुल को गंभीरता से सुनती है. वरना कुछ अरसा पहले तक लोगों के बीच उनकी छवि एक ऐसे नेता के तौर पर थी, जिसकी बात-बात पर जुबान फिसल जाती थी और जिसके बेसिर-पैर के बयानों से लोगों का खूब मनोरंजन होता था. लेकिन अब देखिए, राहुल का वो पुराना रूप हवा हो चुका है, और वो तेजी के साथ एक नए रूप में हमारे सामने उभर कर आए हैं.

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पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया में गुरुवार को राहुल ने जो भाषण दिया, उसमें उनके मजबूत इरादों और आत्मविश्वास की झलक साफ नजर आई. राहुल का ये भाषण वैसा ही सटीक और आक्रामक था, जैसे कि उन्होंने बीते दिनों अपने अमेरिका दौरे के दौरान दिए थे. अमेरिका के बर्कले और प्रिंसटन में राहुल ने जो भाषण दिए थे, उनकी तुलना पीएम मोदी के अमेरिका में दिए भाषणों से तो नहीं की जा सकती. लेकिन राहुल ने वहां जो कुछ बोला और जिस अंदाज में बोला उससे यकीनन उनके आत्मविश्वास में खासा इजाफा हुआ.

rahul gandhi

जनता का नब्ज पकड़ने लगे हैं राहुल

उसके बाद से ही राहुल को राजनीति में मजा आना शुरू हो गया. वो तेजी के साथ सियासी तिकड़मों और जुबान की जादूगरी में माहिर होने लगे. जिसका नतीजा ये है कि राहुल अब जनता की नब्ज पकड़ना सीख चुके हैं.

पीएचडीसीसीआई यानी पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया के कार्यक्रम में राहुल अपनी खास नई शैली में नजर आए. उदार और बुद्धिजीवी श्रोताओं के सामने राहुल ने सधे हुए अंदाज में मोदी सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना की. राहुल के भाषण में विनम्रता थी, लेकिन उसमें बेहतरीन मुहावरे, तीखे व्यंग और हंसी-मजाक का जोरदार तड़का लगाया गया था. कार्यक्रम के दौरान राहुल ने लोगों के सामने विजन ऑफ इंडिया का अपना विचार भी पेश किया, जोकि पीएम मोदी के सपनों के भारत से बिल्कुल अलग है.

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राहुल ने मोदी की आलोचना हाजिरजवाबी के साथ बेहद शानदार अंदाज में की. राहुल का ये नया रूप वाकई एक स्वागत योग्य बदलाव कहा जाना चाहिए. बहुत से लोगों का ये मानना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राहुल के इस बदलाव से सबक लेना चाहिए.

एक वक्त था जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना असभ्य तरीके से किया करते थे. तब ये लोग मोदी के लिए मौत का सौदागर और खून का दलाल जैसे भौंडे मुहावरों का इस्तेमाल करते थे. लेकिन अब राहुल ढंग के शब्दों का चुनाव करने लगे हैं.

मोदी हों या कोई दूसरा विपक्षी नेता राहुल अब उसकी आलोचना बहुत ही समझदारी के साथ सभ्य तरीके से करते हैं. राहुल का ये तरीका कामयाब हो रहा है. लोगों पर उनकी बातों का गहरा प्रभाव पड़ रहा है.

नए अवतार में राहुल

पीएचडीसीसीआई के कार्यक्रम में राहुल ने मोदी का अंदाज अपनाते हुए कुछ शब्दों की नई परिभाषा गढ़ी. उन्होंने देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था को एमएमडी का नाम दिया. एमएमडी यानी मोदी मेड डिजास्टर (मोदी का पैदा किया संकट).

अपने भाषण में राहुल ने एक बार फिर जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स कहकर पुकारा. वहीं राहुल ने मोदी सरकार की स्टार्ट अप इंडिया योजना का भी मजाक बनाया. राहुल ने कहा कि, शट अप इंडिया करने से स्टार्ट अप इंडिया योजना कभी कामयाब नहीं हो सकती. दरअसल राहुल का कहने का मतलब था कि मोदी सरकार में लोगों से बोलने की आजादी छीनी जा रही है, ऐसे में सरकार की कोई भी योजना सफल नहीं होगी.

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मोदी की शैली में ही मोदी पर हमला बोलते हुए राहुल ने आगे कहा, 'केंद्र की मोदी सरकार जिस तरीके से काम कर रही है, या यूं कहें कि कोई काम नहीं कर रही है, उससे भारतीय अर्थव्यवस्था दम तोड़ रही है. आतंकियों के चंगुल से बंधकों को छुड़ाने के लिए कमांडो डबल टैप रणनीति अपनाते हैं, यानी कमांडो तेजी के साथ नजदीक से आतंकियों की छाती पर गोली चलाते हैं, ताकि वो आतंकी की मौत को लेकर आश्वस्त हो सकें. मोदी और उनकी सरकार हमारी अर्थव्यवस्था के दिल पर डबल टैप रणनीति के तहत हमला कर रही है. पहले उन्होंने नोटबंदी की, फिर बहुत ही खराब तरीके से जीएसटी को लागू किया गया. सरकार के इन हमलों से भारतीय अर्थव्यवस्था मौत के मुंह में पहुंच गई है.' यही नहीं, राहुल ने 8 नवंबर को नोटबंदी की बरसी करार दिया.

नोटबंदी और जीएसटी पर यूं निशाना साधकर राहुल गांधी पीएम मोदी की 56 इंच की छाती पर लगातार हमला बोल रहे हैं. वो मोदी को उन्हीं के अंदाज में चुनौती दे रहे हैं. भविष्य के गर्भ में क्या है, ये कोई नहीं जानता, लेकिन इतना साफ है कि मोदी जिस खेल में कभी माहिर हुआ करते थे, अब उस खेल के नए महारथी राहुल गांधी बन गए हैं.

EDS PLS TAKE NOTE OF THIS PTI PICK OF THE DAY:::::::::: Dwarka: Congress vice-president Rahul Gandhi offers prayers at Dwarkadhish Temple, Dwarka in Gujarat on Monday. PTI Photo (PTI9_25_2017_000070A)(PTI9_25_2017_000213B)

पिछली गलत से लिया है सबक

राहुल गांधी का फोकस इन दिनों ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी पहुंच बनाना है. वो अपनी पिछली गलतियों से सबक लेकर जनता का विश्वास जीतने की मुहिम में लगे हैं. अब उन्होंने अपनी सोच और सियासत का दायरा काफी बढ़ा लिया है.

अपने पिछले अवतार में राहुल सिर्फ कांग्रेस के परंपरागत वोटरों जैसे, गरीब, आदिवासी और धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग पर ही ध्यान केंद्रित करते थे. जिसके चलते देश का मध्यम वर्ग, युवा वर्ग और पढ़ा-लिखा कुलीन वर्ग कांग्रेस से दूर होता चला गया. लेकिन अब राहुल को अपनी गलती का एहसास हो चुका है, लिहाजा अब वो हर वर्ग को साथ लेकर चलने की बात करते हैं. ऐसा करके राहुल देश में अपना मजबूत आधार बनाना चाहते हैं, ताकि लोग उनमें भविष्य की संभावनाएं देख सकें.

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राहुल जनता को ये जताना चाहते हैं कि वो पीएम मोदी से बिल्कुल अलग हैं. राहुल ये साबित करना चाहते हैं कि उनकी सोच और योजनाएं मोदी से कहीं ज्यादा बेहतर और जनकल्याण वाली हैं. साथ ही राहुल ये भी साबित करना चाहते हैं कि जिस यूपीए 2 सरकार को बीजेपी ने बदतर करार दिया था, वो मौजूदा मोदी सरकार से कहीं ज्यादा बेहतर थी.

राहुल ये बताना चाहते हैं कि यूपीए 2 जिस वक्त सत्ता में थी तब लोगों को बोलने की पूरी आजादी थी, तब सरकार या प्रधानमंत्री की आलोचना करने पर लोगों को गालियां नहीं दी जाती थीं और न ही उन्हें जेल भेजा जाता था.

rahul modi (1)

क्या राहुल का चलेगा जादू?

पीएचडीसीसीआई में दिए अपने भाषण में राहुल ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर भी निशाना साधा. लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के बचाव में जेटली ने जो कुछ बोला था, राहुल ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा, 'ढोंग और पाखंड आपकी रक्षा करे.'

कोई राजनीतिक चाल या रणनीति कितनी पुख्ता और कारगर है, इसका सबूत मतदान के दौरान मिलता है. जल्द ही दो राज्यों हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. कांग्रेस की रणनीति से ये जाहिर हो चुका है कि उसने हिमाचल प्रदेश की कमान वीरभद्र सिंह के जिम्मे छोड़ रखी है. वहीं राहुल को गुजरात फतह की जिम्मेदारी दी है.

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लेकिन जमीनी सच्चाई ये है कि वीरभद्र सिंह का हिमाचल में भारी विरोध है और सियासी हवा उनके खिलाफ बह रही है. ऐसे में राहुल को हिमाचल प्रदेश में भी अहम भूमिका निभानी पड़ सकती है, ताकि राज्य में कांग्रेस की सत्ता बरकरार रह सके.

बरसों बाद कांग्रेस को गुजरात में उम्मीद की किरण नजर आ रही है. कांग्रेस को लग रहा है कि अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो पार्टी बरसों बाद गुजरात में सत्ता में वापसी कर सकती है. मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ गुजरात के लोगों में आक्रोश है. यही वजह है कि राज्य में राहुल की चुनावी जनसभाओं में भारी भीड़ जुट रही है. ऐसे में हर किसी की निगाहें गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों पर टिकीं हैं.

लोग ये जानने को उत्सुक हैं कि क्या राहुल गांधी की जनसभाओं में उमड़ने वाली भीड़ कांग्रेस को वोट देगी या नहीं? लोग ये भी जानने को बेताब है कि क्या राहुल का नया अवतार जनता पर अपना जादू चला पाएगा? या फिर ये सारी कवायद राहुल के मनोरंजक भाषण लिखने वालों की खूबसूरत याद बनकर रह जाएगी?

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