बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्राइवेट मेंबर बिल लाने का ऐलान कर दिया है. राज्यसभा सांसद सिन्हा ने प्राइवेट मेंबर बिल लाने की बात कहते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती समेत कई विपक्षी पार्टी के नेताओं को चुनौती देते हुए उनका स्टैंड पूछा है.
जो लोग @BJP4India @RSSorg को उलाहना देते रहते हैं कि राम मंदिर की तारीख़ बताए उनसे सीधा सवाल क्या वे मेरे private member bill का समर्थन करेंगे ? समय आ गया है दूध का दूध पानी का पानी करने का .@RahulGandhi @yadavakhilesh @SitaramYechury @laluprasadrjd @ncbn
— Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) November 1, 2018
Will write Preface (introduction)of my private member bill on Ram temple in Ayodhya.request तारीख़ पूछने वालों को 2send me feedback.if @RahulGandhi @laluprasadrjd @yadavakhilesh Mayawati ji @ncbn ask me to visit their residences I would go to know their valuable opinion.
— Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) November 1, 2018
बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा की तरफ से किए गए इस ऐलान के बाद से मंदिर मुद्दे पर सियासत गरमा गई है. आखिरकार राकेश सिन्हा ने इस तरह का बयान क्यों दिया. क्या राकेश सिन्हा ने अपनी मर्जी से बयान दिया या फिर उनके पीछे बीजेपी की भी सोच है या फिर संघ के लाइन को ही आगे बढ़ाते हुए सिन्हा ने एक कदम आगे बढ़ा दिया है.
सिन्हा को संघ का समर्थन!
दरअसल, राकेश सिन्हा संघ विचारक हैं. मीडिया में सघ की बात प्रमुखता से रखने वाले राकेश सिन्हा को संघ के आलाकमान का वरदहस्त प्राप्त है. संघ के समर्थन की बदौलत ही उन्हें राज्यसभा भेजा गया है. ऐसे में उनकी तरफ से प्राइवेट मेंबर बिल के जरिए अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर रास्ता साफ करने के लिए कदम उठाए जाने के पीछे संघ का ही हाथ माना जा रहा है.
गौरतलब है कि सरसंघचालक मोहन भागवत ने विजयादशमी की अपनी सालाना बैठक में साफ-साफ शब्दों में सरकार से अयोध्या विवाद के समाधान करने और वहां राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त करने के लिए रुकावटों को दूर करने के लिए कानून बनाने की मांग कर दी है. संघ परिवार के मुखिया की तरफ से आए इस बयान के बाद भगवा ब्रिगेड इस मुद्दे पर अब और आक्रामक हो गया है.
वीएचपी और साधु-संतों का कड़ा रुख
विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी के अलावा साधु-संतों ने भी अपना रुख कड़ा कर लिया है. संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक में पहले ही इस बात का ऐलान किया जा चुका है कि राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर देश भर में जनजागरण कार्यक्रम चलाने के अलावा उनकी तरफ से सांसदों को उनके ही संसदीय क्षेत्र में मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा जाएगा. वीएचपी के साथ मिलकर साधु-संतों की योजना हर राज्य मे गवर्नर से भी मिलने की है. आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर भी कानून बनाने की मांग की जाएगी.
दूसरी तरफ, संतों के एक वर्ग ने 3 और 4 नवंबर को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राम मंदिर निर्माण के लिए माहौल बनाने के लिए एक सम्मेलन करने जा रहा है. यह सम्मेलन अखिल भारतीय संत समिति की तरफ से कराया जा रहा है जिसका नेतृत्व जगद्गुरू रामानंदाचार्य हंसदेवाचार्य जी कर रहे हैं. संतों की मांग है कि सरकार कानून बनाकर या फिर अध्यादेश के जरिए अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करे.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले की सुनवाई अगले साल जनवरी तक टाल देने के बाद आरएसएस, वीएचपी और कई दूसरे हिंदू संगठनों की तरफ से केंद्र की मोदी सरकार पर राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाने का दबाव बनाया जा रहा है.
भागवत के बयान से भगवा ब्रिगेड को मिला मौका
खासतौर से मोहन भागवत के बयान ने बीजेपी के उन नेताओं को भी खुलकर बोलने का मौका दिया है जो इस मुद्दे पर प्रखर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से लेकर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी राम मंदिर के मुद्दे पर बयान देकर माहौल गरमा दिया है.
बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा के अलावा बीजेपी के यूपी के अंबेडकर नगर से लोकसभा सांसद हरिओम पांडे ने भी प्राइवेट मेंबर बिल लाने की बात कही है. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा है कि इस बार अयोध्या में दीवाली के दौरान वे राम मंदिर निर्माण से जुड़ी अच्छी खबर लेकर जाएंगे.
उधर, शिवसेना ने भी इस मसले पर सहयोगी बीजेपी पर दबाव बढ़ा दिया है. शिवसेना पहले से ही राम मंदिर मुद्दे को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साध रही है. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे 25 नवंबर को अयोध्या भी जा रहे हैं.शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि ठाकरे अयोध्या पहुंचकर मोदी जी और बीजेपी सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए याद दिलाएंगे. शिवसेना का मानना है कि अगर कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे तो हमें एक हजार साल इंतजार करना पड़ेगा. ऐसे में जल्द से जल्द कानून के जरिए सरकार इस मसले पर आगे बढ़े.
विपक्षी दलों का बीजेपी पर हमला
लेकिन, विपक्षी दलों की तरफ से इस मुद्दे पर बीजेपी पर प्रहार हो रहा है. विपक्षी दल अगले चुनाव को ध्यान में रखकर मूल मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिश के तौर पर मंदिर मुद्दे को देख रहे हैं. बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा के ऐलान पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि राम या अल्लाह वोट करने नहीं आएगें, जनता को ही वोट करना होगा.
उधर, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बीजेपी पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा ने कहा है कि ‘कांग्रेस का स्टैंड क्लीयर है, हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानेंगे. राकेश सिन्हा यह नौटंकी बंद करें.’ॉ
सरकार के लिए सहयोगियों को साधना मुश्किल
लेकिन, बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनी ही सहयोगी दलों से है. सहयोगी जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि, ‘अगर न्यायपालिका समाधान का रास्ता खोज रही हो तो उस पर ज्यादा भरोसा करना चाहिए.’
संघ परिवार, साधु-संतों, सहयोगी शिवसेना के अलावा अपनी ही पार्टी के सांसदों की मांग के बाद बीजेपी पर भी राम मंदिर मुद्दे को लेकर दबाव बन रहा है. लेकिन, जेडीयू जैसी सहयोगी की तरफ से आ रहे बयान और गठबंधन की राजनीति की मजबूरी को बीजेपी भी समझ रही है. पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा के इस बयान में इस बात की झलक भी मिल रही है.
पात्रा ने इस मसले पर कहा, ‘प्राइवेट मेंबर बिल पार्लियामेंट की संपत्ति होती है, भविष्य में इस विषय पर बिल संसद में आएगा, इसपर मैं अभी से टिप्पणी करूं यह उचित नहीं होगा. मगर इसमें कोई संशय नहीं है कि जहां तक राम मंदिर निर्माण का सवाल है बीजेपी एक मात्र ऐसी पॉलिटिकल पार्टी है जिसने 1989 के पालनपुर के कांक्लेव में यह प्रतिज्ञा की है कि मंदिर का निर्माण हमारा लक्ष्य है, यह हमारा ध्येय है, हमारा लक्ष्य है और यह हमेशा ध्येय रहेगा.’
संबित पात्रा के बयान से साफ है कि बीजेपी के सांसद भले ही प्राइवेट मेंबर बिल की बात करें लेकिन, अभी पार्टी की तरफ से इस मुद्दे को गरमाए रखने से उसे ही फायदा होगा. पार्टी की तरफ से पात्रा ने आधिकारिक तौर पर इस बिल के पक्ष में कुछ नहीं कहा, लेकिन, उनकी तरफ से विपक्षी दलों को राम विरोधी दिखाना बीजेपी की रणनीति को दिखा रहा है.
विपक्ष पर पात्रा का प्रहार
पात्रा ने विपक्षी दलों को कठघड़े में खड़ा करते हुए कहा, ‘अगर आप एक सूची बनाएं और एक तरफ यह लिखें की मंदिर बनाने वाले और दूसरी तरफ लिखें मंदिर नहीं बनाने वाले, तो मंदिर बनाने वालों में विश्व हिंदू परिषद, संघ, बीजेपी और साधु-संतों का नाम आएगा. लेकिन, मंदिर नहीं बनाने वालों में पहले कांग्रेस का नाम आएगा, जिसने राम के वजूद को ही नकारा है. समाजवादी पार्टी का नाम आएगा, बीएसपी का नाम आएगा और इसके अलावा वो तमाम विपक्षी पार्टी जो हमारी उलाहना करने का काम कर रही हैं उन सबका नाम आएगा.’
हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि संघ परिवार की तरफ से मुद्दा गरमाए जाने के बावजूद बीजेपी की तरफ से इस मुद्दे पर आगे बढ़ना आसान नहीं होगा, क्योंकि पार्टी को अपने सहयोगियों को भी साधना है. पार्टी की रणनीति देखकर यही लग रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का परिणाम ही राम मंदिर मुद्दे पर अगले कदम और अगली रणनीति तय करेगा.
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