लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में एनडीए में सीट शेयरिंग से नाराज आरएलएसपी ने यूपीए का दामन थाम लिया. लेकिन, लालू यादव के साथ मुलाकात के बाद भी अब तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सामने नहीं आ पा रहा है. आरएलएसपी के कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि खुद अपने लिए और अपनी पत्नी सुचित्रा सिन्हा के लिए दो लोकसभा सीटों का दावा कर रहे हैं. लेकिन, अबतक कुछ भी फाइनल नहीं हो पाया है. उम्मीद है कि खरमास के बाद बिहार में महागठबंधन में सीटों का फॉर्मूला तय हो जाएगा. लेकिन, उसके पहले ही आरएलएसपी के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि ने ताल ठोंक दी है. नागमणि ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में साफ कर दिया है कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिलता है तो इसका नुकसान यूपीए को उठाना पड़ सकता है. उन्होंने साफ किया कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव को अब तय करना है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराना है या रखना है. प्रस्तुत है नागमणि से इंटरव्यू के कुछ महत्वपूर्ण अंश...
सवाल- नया साल आ गया, लेकिन, महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर कुछ भी फाइनल नहीं हो पाया है. कब तक फॉर्मूला निकल पाएगा?
जवाब- उपेंद्र कुशवाहा जी और तेजस्वी जी मिले थे, उसी दिन शाम में मैं भी मिला था लालू जी से तो उन्होंने कहा था कि खरमास बाद तय हो जाएगा. मोटा-मोटी सब जगह समहति बन गई है. सीट शेयरिंग में एक संसदीय क्षेत्र पर कई लोगों की दावेदारी होती है. एक नेता का आदेश हो जाता है तो सब मामला फिर खत्म हो जाता है. यूपीए में सीट शेयरिंग में कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि सबका यही मकसद है कि मोदी को देश से खत्म होना. इसलिए बड़ा मुद्दा बीजेपी को हटाना है.
सवाल- आप नरेंद्र मोदी को निशाने पर ले रहे हैं, लेकिन, कुछ वक्त पहले तक आपके निशाने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही ज्यादा दिखते थे? अचानक रुख में परिवर्तन क्यों?
जवाब- नीतीश कुमार के खिलाफ इतना बोल चुका हूं कि उनके खिलाफ अब ज्यादा नहीं बोलना चाह रहा हूं. पूरी डिक्शनरी में जितना उनके खिलाफ हो सकता है मैंने बोल दिया है. अब उन पर मुझे दया भी आती है. उनका अब कोई भविष्य नहीं है, क्योंकि उनके पास अब कोई वोट नहीं है. लालू यादव के पास अब भी वोट बैंक है.
सवाल- आरएलएसपी का दावा कितनी सीटों पर बनता है. 20-20 फॉर्मूला से कितने सहमत हैं आप?
जवाब- इसमें कोई शक नहीं है कि लालू यादव का जनाधार बहुत है. तेजस्वी युवा हैं और परिपक्व राजनीति कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में जिसका वोट है उसका महत्व होना चाहिए. आरजेडी के बाद बिहार में सबसे ज्यादा जनाधार वाली कोई विंग है, वो है आरएलएसपी. लेकिन, कांग्रेस ऑल इंडिया पार्टी है तो नेचुरल है कि पार्लियामेंट के हिसाब से ज्यादा हिस्सेदारी कांग्रेस को मिलना चाहिए. हम लोगों को 6 सीटों के आस-पास मिल रही हैं. ऐसा उम्मीदवार दिया जाए जो जीते, हारने वाले उम्मीदवार को नहीं दिया जाना चाहिए.
सवाल- खुद आपको दो सीटें कैसे मिलेंगी? आपका दावा बिहार की जहानाबाद और झारखंड की चतरा सीट पर रहा है?
जवाब- जहानाबाद तो हमारा घर रहा है, जहां से हमारे पिता दो बार एमएलए रहे, हमारी पत्नी एमएलए रही, हम भी रहे एमएलए, इसलिए हमलोग वहां के लिए ज्यादा चिंतित रहते हैं. जहां तक सुचित्रा सिन्हा (नागमणि की पत्नी) का सवाल है, बिहार में उनसे बेहतर और तेज-तर्रार महिला नेता अभी कोई नहीं है. फेमिली बैकग्राउंड भी है, ए-वन ओरेटर हैं, ऐसी स्थिति में उन्हें जहानाबाद या उजियारपुर से टिकट का प्रयास है.
दूसरी तरफ, झारखंड़ में चतरा से हम लड़ना चाहते हैं. झारखंड में कुशवाहा बीजेपी माइंडेड रहा है, ऐसी स्थिति में अगर हम लोग चतरा से नहीं लड़ेंगे तो पूरा कुशवाहा का वोट एनडीए और बीजेपी को चला जाएगा और बीजेपी को हराने से कोई रोक नहीं सकता है. मेरे लोगों का कहना है कि चतरा से हम लड़ें और सारा कुशवाहा वोट बीजेपी से यूपीए की तरफ टर्न कर लिया जाए.
सवाल- अगर पार्टी टिकट नहीं देगी तो फिर क्या करेंगे ?
जवाब- चतरा से सुभाष यादव आरजेडी से चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उनकी छवि खराब रही है, मैंने सभी बातों से लालू जी को अवगत करा दिया है, अब लालू जी को निर्णय करना है कि मोदी जी को हटाना है कि रखना है.
जहानाबाद-उजियारपुर में से कोई एक और दूसरा चतरा नहीं मिलता है तो हम नहीं लड़ेंगे. केवल बिहार से लालू यादव और नागमणि ही ऐसे नेता हैं जो कि लोकसभा और राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद सबके सदस्य रहे हैं. हमें कोई शौक नहीं है एमएलए-एमपी बनने का, लेकिन, इतना जरूर है कि एनडीए को हराने और यूपीए को जिताने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देंगे.
सवाल- अगर आपको टिकट नहीं मिलता है तो क्या बेहतर संदेश जाएगा ?
जवाब- अपनी ओर से तो पूरी कोशिश रहेगी लेकिन, जो हमारे लाखों-लाख समर्थक हैं, वो क्या करेंगे उनका तो मैं जिम्मेदार नहीं हूं. मैं कोशिश करूंगा कि हमारा सारा का सारा वोट यूपीए में जाए, लेकिन, नेचुरल हैं कि हमारे जो समर्थक हैं उनमें तो रिएक्शन होगा ही. जनता तो मालिक है न! वो हमलोंगों की बात थोड़ी सुनती है, वो तो जो सही होता है वही करती है. फैसला लेना है, उनलोगों को लेना है.
सवाल- शरद यादव भी हैं, उनको कैसे एडजस्ट करेंगे? शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रित जनता दल (LJD) और आरएलएसपी के विलय की बात में कितनी सच्चाई है ?
जवाब- शरद यादव की पार्टी और हमलोगों की पार्टी में कोई सिद्धांतत: अंतर नहीं है. हमें लगता है कि शरद यादव से बड़ा लीडर, सीनियर लीडर और सबको साथ लेकर चलने वाला फिलहाल दूसरा कोई लीडर नहीं है. यूपीए को चलाना है तो उसका कन्वेनर शरद यादव को ही बनाया चाहिए.
जहां तक पार्टी के विलय का सवाल है, हम चाहते हैं कि उनकी पार्टी और हमारी पार्टी का विलय हो, लेकिन, समय के अभाव के कारण हो सकता है कि पार्लियामेंट के चुनाव के पहले न हो, लेकिन, पार्लियामेंट के चुनाव के बाद निश्चित रूप से हो जाएगा.
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