साध्वी की वेशभूषा में नजर आने वाली केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने मंगलवार को ऐलान किया कि वह अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. उत्तर प्रदेश के झांसी से 2014 में लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचने वाली उमा भारती ने ये भी कहा कि वह अगले डेढ़ सालों तक गंगा सफाई और राम के लिए काम करेंगी.
आगामी चुनाव न लड़ कर गंगा नदी की सफाई का संकल्प लेने वाली उमा भारती को साल 2014 में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. हालांकि इस दौरान वह वादों और तसल्ली के अलावा कुछ खासा बदलाव करने में विफल रहीं.
जुलाई 2015 में, जब उन्हें इस मंत्रालय का प्रमुख बने हुए एक साल हो गया था. तब उन्होंने एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया था. इस इंटरव्यू में भारती ने दावा किया था, '2015 जुलाई में हम बैठे हैं आप 2018 जुलाई में मुझे बुलाइएगा, या तो मरूंगी या गंगा को निर्मल कर के रहूंगी.'
पहले भी कर चुकी हैं निर्मल गंगा के दावे
खैर जुलाई 2018 तक वह खुद ही इस पद पर न टिक सकीं और उनकी पार्टी ने इस कालखंड से नौ महीने पहले ही उन्हें इस मंत्रालय की जिम्मेदारियों से निवृत्त कर दिया. उनकी जगह इस मंत्रालय का प्रभार नितिन गडकरी को दे दिया गया. इसके पीछे का कारण बताते हुए जानकार कहते हैं कि इस मंत्रालय में काम की रफ्तार काफी धीमी थी.
साल 2015 में भी उमा भारती ने ऐसे ही दावे किए थे जैसे वह आज कर रही हैं. उस समय भारती ने कहा था, 'गंगा की टोटल (पूर्ण) निर्मलता का फेज हम तीन से चार साल में, निर्मलता और अविरलता चार से सात साल में, और निर्मलता और अविरलता की निरंतरता 10 साल में हम आपको कर के दिखाएंगे.' हालांकि गंगा की मौजूदा स्थिति इन तमाम दावों की पोल खोल देती है.
अगस्त 2018 में इंडिया टुडे में छपी खबर के मुताबिक चार साल बाद भी गंगा की स्थिति नहीं सुधर सकी है. रिपोर्ट के मुताबिक गंगा कि स्थिति बद से बदतर हो गई है और कानपुर शहर में तो वह एक नाले की तरह दिखती है. गौरतलब है कि जुलाई 2015 में उमा भारती ने मंत्री रहते हुए कहा था कि पिछले 29 सालों में तीन हजार रुपए खर्च हुए हैं जबकि एनडीए सरकार चार साल में 20 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी.
थेम्स और राइन से जल्दी गंगा की सफाई का दावा भी किया था
जुलाई 2015 में उमा भारती ने कहा था, 'अभी गंगा में 1619 गांवों, 118 बड़े नगरों और 764 उद्योगों की गंदगी जा रही है. जिसे आने वाले कुछ सालों में बंद कर दिया जाएगा.' राइन और थेम्स नदियों का उदाहरण देते हुए उमा भारती ने दावा किया था, 'लोग भारत आएंगे ये देखने के लिए कि राइन नदी की सफाई में 30 साल, थेम्स को 40 साल लग गए और मोदी ने 10 साल में गंगा की सफाई कर दी.'
हालांकि इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल स्थिति जस की तस है. रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय नागरिकों का कहना है कि गंगा का पानी अभी भी गंदा बना हुआ है और गंगा के घाट आज भी कचरा फेंकने के लिए सबसे सुरक्षित स्थान बने हुए हैं. उद्योगों के कचरे से लेकर जानवरों की चमड़ी और अन्य रसायनिक पदार्थ गंगा में फेंके जा रहे हैं.
गंगा सफाई के लिए अपना तन-मन तक लगा देने का दावा करने वाली उमा भारती ने कहा था, 'मेरे शरीर में अब खून नहीं बहता गंगा बहती है.' वह दावा करती थीं कि साल 2018 में गंगा को साफ कर के दिखा देंगी. लेकिन अब उनका यह कहना कि 2019 में भी वह गंगा की सफाई के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगी. मौका देने के बाद भी कुछ खास न कर पाने वाली उमा भारती चुनाव न लड़ने की बात कहते हुए भी गंगा सफाई के दावे कर रही हैं.
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