लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करने के बाद भारत के संसदीय इतिहास में यह 27 वां मौका होगा जब संसद में किसी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी. इससे पहले 26 बार सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है. आखिरी बार अगस्त 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था और वाजपेयी सरकार के खिलाफ लाए गए इस अविश्वास प्रस्ताव में विपक्ष को हार का मुंह देखना पड़ा था. 15 साल बाद एक बार फिर से एनडीए को ही अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा और इस बार अटल बिहारी वाजपेयी की जगह नरेंद्र मोदी होंगे.
संसदीय इतिहास में पहली बार अगस्त, 1963 में आचार्य जेबी कृपलानी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था. यह अविश्वास प्रस्ताव भारत-चीन युद्ध के बाद लाया गया था. हालांकि यह प्रस्ताव भारी अंतर से गिर गया. इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 वोट पड़े और विरोध में 347 वोट.
भारतीय इतिहास में सबसे अधिक बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने का रिकॉर्ड इंदिरा गांधी का है. इन्होंने 15 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया था. 12 बार उनके खिलाफ 1966 से 1975 के बीच अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और 1981 से 1982 के बीच 3 बार. हालांकि यह भी एक तथ्य है कि इंदिरा गांधी खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव कभी भी पास नहीं हो पाया.
इंदिरा गांधी के अलावा लालबहादुर शास्त्री और नरसिम्हा राव को 3-3 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा है. मोरारजी देसाई को दो बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा. दूसरी बार जब जुलाई, 1979 में कांग्रेस नेता वाई बी चाह्वाण ने मोरारजी देसाई के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया तो राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए बिना वोटिंग करवाए मोरारजी देसाई को इस्तीफा देना पड़ा. अविश्वास प्रस्ताव की वजह से इस्तीफा देने वाले वे अब तक के एकमात्र प्रधानमंत्री हैं.
इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री बने उनके बेटे राजीव गांधी को भी एक बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था.
इस नेता ने किया है सबसे अधिक बार अविश्वास प्रस्ताव पेश
अब तक अविश्वास प्रस्ताव में हुई वोटिंग में सबसे नजदीकी मामला जुलाई, 1993 में रहा है. तब सीपीआई के नेता अजय मुखोपाध्याय ने नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था. यह अविश्वास प्रस्ताव महज 14 वोटों के करीबी अंतर से गिर गया था और नरसिम्हा राव की सरकार पर सांसदों के खरीद-फरोख्त के आरोप लगे थे. कई दिनों तक मुद्दा चर्चा में रहा था.
लोकसभा में सबसे अधिक 4 बार अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का रिकॉर्ड सीपीएम के नेता ज्योतिर्मय बसु के नाम पर है. हर बार इन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था.
यह भी एक रोचक तथ्य है कि अटल बिहारी वाजपेयी दो बार प्रधानमंत्रियों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर चुके हैं. एक बार इंदिरा गांधी के खिलाफ और दूसरी बार नरसिम्हा राव के खिलाफ. खुद अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ भी एक बार अविश्वास प्रस्ताव पेश हो चुका है. वाजपेयी भारत के संसदीय इतिहास में एकलौते ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पेश भी किया है और पीएम रहते हुए इसका सामना भी किया है.
अविश्वास प्रस्ताव और विश्वास प्रस्ताव में अंतर होता है. अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष द्वारा लाया जाता है जबकि विश्वास प्रस्ताव सरकार द्वारा अपने बहुमत को साबित करने के लिए. यह दो स्थितियों में सरकार द्वारा लाया जाता है, पहली स्थिति में सरकार के गठन के वक्त और दूसरी स्थिति में राष्ट्रपति के कहने पर. अब तक राष्ट्रपति के दिशा-निर्देश पर 11 बार विश्वास प्रस्ताव पेश किए जा चुके हैं. जिसमें से 6 बार सरकारें सफल हुई हैं और 5 बार असफल. विश्वास प्रस्ताव के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें.
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