देश भर में लोग अभी गर्मी के दस्तक को महसूस ही कर रहे थे कि भारतीय मौसम विभाग और मौसम से जुड़ी जानकारी मुहैया कराने वाली वेबसाइट स्काईमेट ने इस बारे में लोगों को आगाह करना शुरू कर दिया है.
स्काईमेट के अनुसार इस साल भी मानसून सामान्य से कम यानी मॉनसून 95% के करीब रहेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर-पूर्व के राज्यों में प्री-मॉनसून बारिश जल्दी शुरू हो जाएगी.
जून से सितंबर के बीच मॉनसून में 95 प्रतिशत तक हो सकती है. वैसे ये भी कहा जा रहा है कि अनुमान में 5 प्रतिशत से कम या ज्यादा का अंतर भी हो सकता है. हालांकि भारतीय मौसम विभाग ने अभी तक इस बारे में किसी तरह का कोई बयान जारी नहीं किया है.
हालांकि मौसम विभाग और राष्ट्रीय आपदा नियंत्रण विभाग ने सभी राज्य सरकारों को आगाह करते हुए उन्हें ताकीद की है कि वे ‘हीट वेव’ यानि 'गर्मी की तेज लहर' से बचने के उपायों की तैयारी कर ले.
अंग्रेजी अखबार द हिंदू में छपी खबर के अनुसार, एनडीएमए ने जो कदम उठाए जाने की खासतौर पर बात की है, उनमें 'गर्म लहर के बारे में लोगों को जानकारी देना, उन्हें लू या लहर लगने की हालत में फर्स्ट एड देना, स्कूलों में जल्द से जल्द गर्मी की छुट्टियों का एलान कराना और मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को दिन के समय काम पर न लगाना जैसे उपाय करना शामिल है.'
राज्यों को किया आगाह
अब तक जिन राज्यों ने इन हिदायतों को अमल करना शुरू कर दिया है, उनमें तेलंगाना, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं.
इसके अलावा जिन राज्यों को तुरंत ऐसे उपाय करने के लिए कहा गया है उनमें उत्तर-प्रदेश और राजस्थान शामिल है.
इस संबंध में दिल्ली में आयोजित दो दिनों की वर्कशॉप में कई राज्यों के अधिकारी और प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. जहां उन्हें राज्यों के मुताबिक प्लान पर जानकारी दी जा रही है.
हालांकि, हर राज्य की स्थिति एक दूसरे से अलग होगी लेकिन फिर भी मौसम विभाग इस राय पर कायम हुआ कि जिस भी जगह का तापमान सामान्य से 5-6 डिग्री ज्यादा पाया जाएगा उसे हीट वेव से प्रभावित माना जाएगा.
28 फरवरी को मौसम विभाग ने अनुमान लगाया था कि इस साल दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना में तापमान सामान्य से ऊपर रहेगा.
ऐसे में ये नई सूचना मौसम विभाग के पहले किए गए अनुमान से अलग नहीं है. इससे पहले साल 2016 पिछली एक सदी में देश का सबसे गर्म साल रहा है.
अल-नीनो का असर
पिछले साल मार्च से मई तक के महीने में तापमान में जो बढ़त दर्ज की गई थी वो लगातार तीन सालों तक कमजोर मॉनसून के बाद हुई थी.
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मंगलवार को मौसम विभाग ने कहा, ‘उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में जिस तरह से तेज हवाएं बह रही हैं और आसमान पूरी तरह से साफ है उससे पश्चिमी राजस्थान, गुजरात और पश्चिमी मध्यप्रदेश में हीट वेव की स्थिति पैदा हो रही है.
दिल्ली का तापमान इस समय सामान्य से 7 डिग्री ज्यादा दर्ज किया गया है.
न्यूज वेबसाइट एनडीटीवी के अनुसार, ‘कमजोर मानसून के लिए इस बार अल नीनो जिम्मेदार माना जा रहा है. ऑस्ट्रेलिया मौसम विभाग के मुताबिक अल-नीनो बढ़ने से एशिया में सूखा और दक्षिण अमेरिका में भारी बारिश की संभावना बन रही है. अल-नीनो का असर जुलाई से दिखने को मिल सकता है.’
साल 2016 में अच्छे मानसून से हमें मजबूत खरीफ फसल मिला था लेकिन इस साल एक बार फिर खराब मानसून की आशंका है जिसका असर खरीफ की फसल पर पड़ सकता है.
इससे पहले 2014 और 2015 में भी अल-नीनो के चलते सूखे का दंश झेलना पड़ा था.
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