अवैध टेलीफोन एक्सचेंज मामले में मारन बंधुओं को मद्रास हाईकोर्ट से झटका लगा है. हाईकोर्ट ने इस मामले में मारन बंधुओं सहित सभी आरोपियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है.
सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जी जयचंद्रन ने विशेष सीबीआई अदालत को आरोप तय करने और आदेश की कॉपी (प्रति) मिलने की तारीख से 12 महीने के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया.
विशेष सीबीआई अदालत ने मार्च में मामले में दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि और अन्य आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया था. निचली अदालत ने मारन बंधुओं और अन्यों को आरोप मुक्त करने की मांग करने वाली याचिका मंजूर करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता.
Madras High Court sets aside lower court order discharging Maran brothers in BSNL illegal telephone exchange case. High Court orders framing of charges against them within 12 weeks.
— ANI (@ANI) July 25, 2018
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2004-06 के दौरान जब दयानिधि मारन दूरसंचार मंत्री थे तो उनके आवास पर एक गैरकानूनी निजी टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित किया गया और इसका कलानिधि के सन नेटवर्क से जुड़े कारोबारी लेनदेन में इस्तेमाल किया गया.
केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया कि दयानिधि मारन ने सरकारी खजाने को 1.78 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया.
इस मामले में जिन अन्य आरोपियों को बरी किया गया था उनमें बीएसएनएल के पूर्व महाप्रबंधक के ब्रह्मनाथन, पूर्व उप-महाप्रबंधक एम पी वेलुसामी, दयानिधि मारन के निजी सचिव गौतमन और सन टीवी के कुछ अधिकारी शामिल हैं.
'चिदंबरम फोरम शॉपिंग कर रहे हैं, इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती'
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चिदंबरम की याचिका का उसकी विचारणायता के आधार पर विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि चिदंबरम फोरम शॉपिंग (यानी एक ही मामले में राहत पाने के लिए अलग-अलग अदालतों का दरवाजा खटाना) कर रहे हैं जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.
अधिवक्ता अमित महाजन के साथ पेश हुए मेहता ने कहा कि एयरसेल-मैक्सिस मामले में चिदंबरम ने अग्रिम जमानत के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया और आईएनएक्स मीडिया मामले में राहत के लिए वो हाईकोर्ट पहुंचे.
चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ वकील द्यान कृष्ण और वकील पी के दुबे ने कहा कि उन्हें मुख्य मामले में गिरफ्तारी का अंदेशा है क्योंकि सीबीआई ने कहा था कि कांग्रेस नेता से हिरासत में पूछताछ करने की जरुरत है.
वकीलों ने कहा कि यह मामला उसी लेनदेन का है जिसमें सीबीआई ने भी मामला दर्ज किया था. इसमें केवल यही अंतर है कि यह याचिका निदेशालय के मामले से संबद्ध है जबकि दूसरी याचिका सीबीआई की है जिसमें चिदंबरम को पहले ही गिरफ्तारी से संरक्षण मिल गया है.
Delhi High Court grants interim protection from arrest to P. Chidambaram till August 1 in INX Media Case. pic.twitter.com/hL7ML5j08H
— ANI (@ANI) July 25, 2018
वकील अर्शदीप सिंह के जरिए दाखिल की गई याचिका में कहा गया कि निदेशालय ने इस मामले में पूर्व वित्त मंत्री को कोई सम्मन नहीं भेजा लेकिन उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जारी किए गए सम्मन के मद्देनजर गिरफ्तारी का अंदेशा है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता 3,500 करोड़ रुपए के एयरसेल-मैक्सिस सौदे और 305 करोड़ रुपए के आईएनएक्स सौदा मामले में एजेंसियों की जांच के दायरे में हैं.
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