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दुनिया के लिए एक सबक हैं अवैध अप्रवासी, भारत में बसने वालोंं की संख्या 2 करोड़

एनआरसी को लागू करने की प्रक्रिया अपने शुरुआती चरण में है और इतनी बड़ी प्रक्रिया में थोड़ी-बहुत गलतियां कहीं-कहीं रह ही जाती हैं. लेकिन इन छोटी-मोटी गलतियों को हौवा बना दिया गया

Updated On: Aug 07, 2018 07:15 AM IST

Arun Anand

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दुनिया के लिए एक सबक हैं अवैध अप्रवासी, भारत में बसने वालोंं की संख्या 2 करोड़

असम में 'नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन' के ड्राफ्ट के चलते, भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी, आज कल देश के राष्ट्रीय एजंडे पर हैं. विपक्षी दल या तो इसका विरोध कर रहे हैं, या फिर कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं. एक ऐसी कोशिश पर सवाल उठा रहे हैं, जो असम में अवैध तौर पर रह रहे लोगों की पहचान करने और उन्हें वापस उनके देश भेजने से जुड़ी है.

फिलहाल, एनआरसी को लागू करने की प्रक्रिया अपने शुरुआती चरण में है और इतनी बड़ी प्रक्रिया में थोड़ी-बहुत गलतियां कहीं-कहीं रह ही जाती हैं. लेकिन इन छोटी-मोटी गलतियों को हौवा बना दिया गया और सवाल किया जाने लगा कि अवैध अप्रवासियों की पहचान और उन्हें वापस उनके देश भेजने का मूल आधार क्या है. ये अवैध आप्रवासी ज्यादातर बांग्लादेशी हैं. आइए देखते हैं कि दुनिया के दूसरे देश इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं, इसे कैसे देखते हैं. आपको बता दें कि थॉमस नेल ने अपनी किताब 'द फिगर ऑफ द माइग्रेंट' में इस मुद्दे पर काफी विस्तार से लिखा है.

'इक्कीसवीं सदी विस्थापितों की सदी साबित होगी. सदी के मोड़ पर, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विस्थापितों की जो बड़ी संख्या है, वह इतिहास में पहले कभी नहीं रही. आज विस्थापितों की संख्या पूरी दुनिया में करीब एक अरब है.' विस्थापितों की ये समस्या अब किसी छोटे से इलाके तक सीमित नहीं रही है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय चुनौती बन चुकी है.

यूरोपियन यूनियन इस मसले से जूझने वालों में फिलहाल सबसे आगे है. यूरोपियन यूनियन एजेंसी 'यूरोस्टैट' की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, '2017 में, लगभग 6 लाख 20 हजार लोग जो यूरोपियन यूनियन के नागरिक नहीं थे, अवैध रूप से यूरोपियन यूनियन में रहते हुए पाए गए. ये संख्या एक साल पहले से 37 फीसदी कम थी और 2015 के मुकाबले तो ये 71 फीसदी कम पाई गई.

योजनाबद्ध तरीके से मसले से निपट रहे यूरोपियन यूनियन के सदस्य देश

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इस कमी की सीधी वजह, यूरोपियन यूनियन के देशों द्वारा, अवैध रूप से रहने वाले लोगों के प्रति, देश की नीतियों में आया बदलाव था. ये नीतियां इन देशों ने अपने-अपने हिसाब से लागू की थीं.' रिपोर्ट आगे बताती है, '2017 में यूरोपियन यूनियन के एक सदस्य देश में जैसे ही अवैध आप्रवासियों को देश की सीमाएं छोड़ने का आदेश दिया गया, वे उन देशों में घुस गए, जो यूरोपियन यूनियन के सदस्य नहीं थे.

ये संख्या करीब 18 लाख 89 हजार के करीब थी. यूरोपियन यूनियन के देशों में घुसने से जिन लोगों को 2017 में रोका गया उनकी संख्या करीब 4 लाख 39 हजार 500 थी और ये संख्या 2009 के बाद से सबसे ज्यादा थी. संकेत बहुत साफ हैं कि यूरोपियन यूनियन के सदस्य देश बहुत एकाग्र होकर, बड़े योजनाबद्ध तरीके से इस मसले से निपट रहे हैं, जिसके नतीजे भी बड़े अच्छे दिख रहे हैं.

2015 में यूरोपियन यूनियन के देशों में अवैध विस्थापितों का जाना अपने चरम पर था और ये संख्या 22 लाख तक पहुंच गई थी. लेकिन दो साल के भीतर ही ये संख्या 2017 में गिर कर 6 लाख 18 हजार 780 तक पहुंच गई. रिपोर्ट आगे कहती है, 'संख्या में ये गिरावट सिर्फ, जब-तब आने वाले अप्रवासियों की संख्या में आई कमी ही नहीं बताती है, बल्कि यूरोपियन यूनियन के देशों में विस्थापितों की समस्या से निपटने के लिए नीतियों में आए बदलाव की ओर भी इशारा करती है.

जाहिर है यूरोपियन यूनियन के देशों में अवैध ढंग से रह रहे लोगों की पहचान करने के लिए जो सलीका अपनाया गया , वह बहुत कारगर सिद्ध हुआ.' जिन अवैध विस्थापितों को यूरोपियन यूनियन के देश छोड़ने को कहा गया, उनकी संख्या में 2008 से लेकर 2013 तक लगातार कमी आती रही. लेकिन उसके बाद के सालों मे ये बढ़ती रही और 2015 तक 5 लाख 33 हजार 400 तक जा पहुंची.

2015 में चरम पर थी  ग्रीस और जर्मनी में अवैध ढंग से रह रहे अप्रवासियों की संख्या

A Rohingya refugee man walks on as he carries a child on his shoulder at the Kutupalang Makeshift Refugee Camp in Cox's Bazar, Bangladesh, June 1, 2017. REUTERS/Mohammad Ponir Hossain - RTX38IMU

उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि यूरोपियन देश छोड़ने का आदेश जिन अवैध अप्रवासियों को दिया गया, उनकी संख्या पहले गिरी और फिर बढ़ कर 2017 में 5 लाख 16 हजार 100 तक पहुंच गई. अलग-अलग देशों के आंकड़ों पर भी अगर हम गौर करें, तो पाएंगे कि ग्रीस और जर्मनी में अवैध ढंग से रह रहे अप्रवासियों की संख्या 2015 में अपने चरम पर थी.

ग्रीस में ये संख्या 9 लाख 11 हजार 470 तक जा पहुंची, लेकिन फिर 2016 में ये घट कर 2 लाख 4 हजार 820 तक आ गई. 2017 तक तो ये संख्या और कम हो गई और 68 हजार 110 तक गिर गई. इसके उलट जर्मनी में अवैध विस्थापितों की संख्या 2015 में 3 लाख 76 हजार 435 थी, 2016 में ये संख्या लगभग उतनी ही बनी रही, यानी 3 लाख 70 हजार 555. लेकिन ताजा रिपोर्ट बताती हैं कि 2017 में ये संख्या घट कर 2016 के मुकाबले आधे से भी कम हो गई और 1 लाख 56 हजार 710 तक आ गई.

फ्रांस और इंग्लैंड में अवैध अप्रवासियों की संख्या 2014 और 2015 में बढ़ी और फिर 2016 में जैसे ही इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई, ये संख्या काफी घट गई. भारत में देखें तो धारा उलटी बहती दिखाई पड़ती है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2004 से लेकर 2016 तक बांग्लादेश से भारत की सीमाओं में घुसे अवैध अप्रवासियों की संख्या 80 लाख बढ़ी है.

संसद में एक सवाल के जवाब में यूपीए सरकार ने बताया था कि भारत में करीब 1 करोड़ 20 लाख अवैध बांग्लादेशी रह रहे हैं. 31 दिसंबर 2001 के आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 50 लाख तो सिर्फ असम में रह रहे हैं. जबकि पश्चिम बंगाल में इनकी संख्या सबसे ज्यादा करीब 57 लाख है. ये उस समय की यूपीए सरकार के गृह राज्यमंत्री श्री प्रकाश जायसवाल के जवाब का हिस्सा है, जो उन्होंने संसद मे दिया था.

भारत में रहने वाले अवैध बांग्लादेशियों की संख्या 2 करोड़: किरन रिजिजू

Kiren Rijiju

साल 2016 में, एनडीए सरकार के गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू ने एक सवाल के जवाब में राज्यसभा को बताया कि, 'सरकार के पास जो जानकारियां हैं, उनके मुताबिक भारत में रहने वाले अवैध बांग्लादेशियों की कुल संख्या लगभग 2 करोड़ है.' अपनी किताब 'द फिगर ऑफ द माइग्रैंट' में नेल लिखते हैं, 'उन विस्थापितों की संख्या ज्यादा बढ रही है, जिनका नाम कहीं, किसी कागज या रजिस्टर पर नहीं है. और यही लोग लोकतंत्र और राजनैतिक प्रतिनिधित्व के लिए गंभीर खतरा हैं.'

साफ है कि इस गंभीर मसले से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वसम्मति बनाई जा चुकी है कि कैसे इस खतरे से निपटा जाय, क्योंकि इस समस्या के शिकार हुए कई देश, कड़े कानून लागू कर, अब इस संकट से सफलतापूर्वक उबर भी रहे हैं.

कुंजी बस एक है, कड़े अप्रवासी कानून बनाए जाएं और अवैध विस्थापितों की पहचान और उन्हें वापस भेजने के तरीकों को लेकर देश में आम सहमति कायम की जाए. इसी तरह दुनिया के कई देशों ने अवैध अप्रवासियों की संख्या घटाने में सफलता पाई है. उम्मीद करें कि भारत की जो राजनैतिक पार्टियां 'नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन' का विरोध कर रही हैं, दुनिया के दूसरे देशों से इस मामले में एक-दो सबक सीखने की कोशिश करेंगी.

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