जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने बुधवार को कहा कि हुर्रियत को मुझे बाहरी व्यक्ति नहीं समझना चाहिए. न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में मलिक ने कहा कि हुर्रियत को आम लोगों पर हो रहे अत्याचार से संबंधित किसी भी मामले पर सीधी बातचीत करनी चाहिए अगर वो इससे गुजर रहे हैं तो.
उन्होंने कहा 'मैं आम आदमी के लिए हमेशा उपलब्ध हूं, मैं हुर्रियत के लिए भी उपलब्ध हूं. यदि आम लोगों पर कोई अत्याचार हो रहा है तो मैं उन्हें न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करुंगा. मैं हुर्रियत के वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करता हूं और जैसे मैं आम आदमी से मिलता हूं वैसे ही हुर्रियत नेताओं से मिलता हूं.'
मलिक से साफ कर दिया कि हुर्रियत नेताओं से बातचीत कोई राजनीतिक चर्चा नहीं थी. उन्होंने कहा कि हुर्रियत से बातचीत कोई राजनीतिक आधार पर नहीं थी. बतौर गवर्नर, मेरे पास राजनीतिक बैठक करने का अधिकार नहीं है. ये अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है.
पीडीपी-बीजेपी गठबंधन टूटने के बाद जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पिछले साल जून में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. बीजेपी और पीडीपी ने 2015 में गठबंधन की सरकार बनाई थी. कई मुद्दों पर दोनों के बीच वैचारिक मतभेद थे.
विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 25 सीटें मिली थीं जबकि पीडीपी के पास 28 सीटें थीं. पिछले 10 साल में ये चौथी बार है जब राज्य में राज्यपाल शासन लगा है.
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