आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने का संविधान संशोधन (124वां) विधेयक लोकसभा के बाद बुधवार को राज्यसभा से भी पारित हो गया. संसद के उच्च सदन में विपक्षी सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया. इस बिल के पक्ष में 165 तो विपक्ष में 7 वोट पड़े. हालांकि राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान जोरदार बहस हुई और यह करीब 10 घंटे तक चली.
राज्यसभा में एनडीए उतनी मजबूत नहीं है जितनी वह लोकसभा में है. इसलिए सरकार को लग रहा था कि संसद के उच्च सदन से विधेयक को पारित कराने में दिक्कत होगी. चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने सरकार के नीयत पर सवाल उठाए और तीखे प्रहार किए. लेकिन इनको जवाब देने का जिम्मा 9 बार के लोकसभा सांसद और लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान ने उठाया.
राज्यसभा में ऐसा 4 बार हुआ जब बहस के दौरान पासवान एकाएक बोलने के लिए उठ पड़े और हिंदी हार्टलैंड में पिछड़े वर्ग की राजनीति करने वाली पार्टियों बीएसपी, एसपी और आरजेडी के सवालों का मुंहतोड़ जवाब दिया.
इस बिल ने सामान्य वर्ग के हितों की रक्षा की है
कांग्रेस के एक सवाल पर पासवान ने पूछा, 'जैसा कि आप मंडल कमीशन की एक रिपोर्ट पर बात कर रहे हैं, तो क्या आप बता सकते हैं आप अब तक इस कमीशन की सिफारिशें क्यों नहीं लागू करवा पाए, जबकि मंडल कमीशन ने अपनी सिफारिशों की रिपोर्ट 1980 में ही दे दी थी. फिर इनकी सिफारिशों को लागू कराने के लिए हमें 10 साल तक इंतजार क्यों करना पड़ा?'
पासवान ने कहा, 'प्रधानमंत्री सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं और उन्होंने इसपर अमल भी किया है. मोदी सरकार ने जहां SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटकर उसके पुराने मूल स्वरूप में बहाल करने के लिए संशोधन विधेयक लाने का फैसला किया. वहीं, इस बिल (124वां संविधान संशोधन विधेयक) के जरिए सामान्य वर्ग के हितों की रक्षा भी की है.'
वहीं, जब बीएसपी नेता सतीश मिश्रा ने बिल का समर्थन करते हुए सवाल किया कि एनडीए सरकार गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन कर सकती है, तो प्रमोशन में आरक्षण के लिए नया बिल क्यों नहीं ला सकती? यह बिल सालों से पेंडिंग पड़ा हुआ है. इसपर पासवान ने एनडीए का बचाव करते हुए कहा कि सरकार अभी क्या कर सकती है, जब मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
दो दिन की चर्चा में पासवान हर मुद्दे पर किए सरकार का बचाव
दरअसल, बीते दो दिनों में रामविलास पासवान संभवत: सत्ताधारी गठबंधन सरकार की तरफ से सबसे ओजस्वी वक्ता के रूप में उभरकर सामने आए हैं. हालांकि, वह इकलौते सहयोगी नहीं हैं, जिन्होंने संसद में एनडीए सरकार का बचाव किया. पासवान की तरह कुछ अन्य सहयोगी दलों के नेताओं ने भी एनडीए सरकार का बचाव किया.
एनडीए में ओबीसी और कुर्मी समुदाय का चेहरा जेडीयू ने भी इस बिल का समर्थन किया है. जेडीयू के मुताबिक, ये बिल लंबी दूरी तय करेगा और मील का पत्थर साबित होगा. जेडीयू नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह ने राज्यसभा में कहा कि ये जनरल कोटा बिल सामाजिक सुधार की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. इस बिल से सामान्य वर्ग के मन में वंचित होने का भाव खत्म होगा.'
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