हिमाचल प्रदेश के चुनावों को कई सीटों पर बागियों ने दिलचस्प बना दिया है. ऐसी ही एक सीट है रामपुर. रामपुर अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट है. यह सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस के पास रही है. यहां बीजेपी या किसी अन्य दल को 1982 से लेकर अब तक कोई सफलता नहीं मिली है.
इस सीट पर कांग्रेस की टिकट पर सिंघी राम लगातार 6 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. 2003 से 2007 तक वे हिमाचल की कांग्रेस सरकार में बागवानी मंत्री भी रहे हैं.
2007 में कांग्रेस ने सिंघी राम की जगह सीपीएस नंद लाल को टिकट दिया और वे चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 2012 में भी सीपीएस नंद लाल ने यहां से बाजी मारी.
बीजेपी ने फिर अजमाया है प्रेम सिंह ड्रेक पर दांव
सिंघी राम को इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों से टिकट मिलने की उम्मीद थी लेकिन दोनों पार्टियों ने उन्हें टिकट नहीं दिया. ऐसे में सिंघी राम ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में यहां से ताल ठोंक दिया है. सिंघी राम चूंकि यहां से 6 बार विधायक रह चुके हैं और काफी लोकप्रिय भी हैं, इस वजह से वे किसी भी पार्टी का खेल बना और बिगाड़ सकते हैं.
बीजेपी ने यहां से 2012 का चुनाव लड़ चुके प्रेम सिंह ड्रेक को फिर से मौका दिया है. पिछले चुनाव में कांग्रेस के नंदलाल ने प्रेम सिंह ड्रेक को 9 हजार से ज्यादा के मतों के अंतर से पराजित किया था. नंदलाल को कुल पड़े वोटों में से करीब 56 फीसदी वोट मिले थे जबकि ड्रेक को लगभग 37 फीसदी.
2007 के चुनावों में नंदलाल ने बीजेपी के बृजलाल को लगभग 6.5 हजार वोटों के अंतर से पराजित किया था. कांग्रेस को हमेशा इस सीट पर 50 फीसदी से अधिक वोट मिलते रहे हैं.
लेकिन इस बार पुराने कांग्रेसी सिंघी राम के ताल ठोंकने से पार्टी को परेशानी हो सकती है. वैसे कांग्रेस ने सिंघी राम को पार्टी से निकाल दिया है लेकिन पार्टी के भीतर उनकी पकड़ कम नहीं है.
प्रेम सिंह ड्रेक को भी पिछली बार अच्छा समर्थन मिला था. अगर सिंघी राम का जादू चला तो बाजी किसी के हाथ लग सकती है. पूरे राज्य में सत्ता के लिए मुकाबला भले ही द्विकोणीय संघर्ष चल रहा हो लेकिन सिंघी राम ने रामपुर सीट पर इसे त्रिकोणात्मक संघर्ष में बदल दिया है.
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