दस विधानसभा सीटों के साथ हिमाचल प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े जिले मंडी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की जंग पर 54 साल बाद जीत हासिल की. कांगड़ा और कुल्लू से सांस्कृतिक करीबी रखने वाले मंडी जिले का कोई विधायक कभी मुख्यमंत्री नहीं बना.
कांग्रेस नेता करम सिंह ने 1952 से 1972 तक चाचिओट से पांच बार विधानसभा चुनाव जीता और 1963 तथा 1967 में मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार थे. लेकिन वह यह मौका चूक गए और डॉक्टर वाई एस परमार मुख्यमंत्री बन गए थे.
सुखराम एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेता थे जो राज्य में सर्वोच्च पद के लिए दावेदार थे. वह भी कभी मुख्यमंत्री नहीं बन पाए. बीजेपी ने इस बार जिले में चौंकाने वाला प्रदर्शन किया और यहां की 10 विधानसभा सीटों में से नौ पर जीत हासिल की. बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे रहे प्रेम कुमार धूमल के चुनाव हार जाने से इस पद के लिए दावे का विकल्प खुल गया था.
अंतत: चाचिओट या पुनर्सीमांकन के बाद सेराज एक बार फिर इस पद की दौड़ के लिये सामने आया और यहां से पांच बार के विधायक जयराम ठाकुर अब 27 दिसंबर को प्रदेश के 14वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे.
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