पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की तरफ से कांग्रेस को पाटीदारों के आरक्षण के मुद्दे पर अपना नजरिया साफ करने के लिए दिया गया अल्टीमेटम गुजरात की सियासत को नया मोड़ दे सकता है. हार्दिक ने तीन नवंबर तक कांग्रेस को पाटीदारों के आरक्षण के मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखने को कहा है.
कांग्रेस के साथ सांठ-गांठ की खबरों के बीच हार्दिक पटेल का बयान कांग्रेस को परेशान करने वाला है. खासतौर से तब जबकि कांग्रेस हार्दिक को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपने पाले में रखने को आतुर दिख रही है.
लेकिन, सवाल है कि हार्दिक पटेल आखिर ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्या हार्दिक पटेल कांग्रेस के साथ अपने नजदीकी होने की खबर का खंडन करना चाहते हैं? हो सकता है हार्दिक ऐसा करना चाह रहे हों.
राहुल गांधी के पिछले गुजरात दौरे के वक्त हार्दिक पटेल और राहुल गांधी की मुलाकात की खबर आने के बाद से ही इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि हार्दिक पटेल कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी को पटखनी देने की तैयारी में हैं. अहमदाबाद के ताज उमेद होटल के जिस कमरे में हार्दिक पटेल अंदर गए थे और उनके बाहर निकलने के बाद राहुल गांधी भी उसी कमरे से बाहर आए थे.
सीसीटीवी फुटेज में यह बात साफ हो गई थी. लेकिन, हार्दिक पटेल ने इस तरह की किसी भी मुलाकात से इनकार किया था. हार्दिक पटेल ने साफ कर दिया था कि अगर हमें मिलना होगा तो सबको दिखाकर मिलेंगे.
राजनीतिक हलकों में हार्दिक पटेल और राहुल गांधी की मुलाकात की खबर लीक होने को हार्दिक पटेल की रणनीति की धार कुंद होने का संकेत माना जा रहा है. गुपचुप तरीके से मिल कर बीजेपी को नुकसान पहुंचाने की हार्दिक की रणनीति अब सीसीटीवी फुटेज लीक होने के बाद खत्म होती दिख रही है. बीजेपी को लग रहा है कि इसके बाद हार्दिक पटेल को लेकर पाटीदारों के भीतर भी भरोसा कम होगा और जब बाद वोटिंग की होगी तो पहले की ही तरह एक बार फिर से पाटीदार बीजेपी के ही साथ खड़े रहेंगे.
मजबूर है कांग्रेस
दरअसल, कांग्रेस की मजबूरी है कि खुलकर ना तो वो हार्दिक का साथ दे पा रही है और ना ही हार्दिक से हाथ मिला पा रही है. पाटीदार आंदोलन के दम पर गुजरात में युवा पाटीदारों के चहेते बनकर उभरने वाले हार्दिक पटेल पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं. लेकिन, कांग्रेस को लगता है कि अगर वो उनकी मांग को मानकर इस तरह का वादा कर देती है तो बाकी पिछड़ी जातियों और दलितों को वो अपने साथ नहीं जोड़ पाएगी.
हार्दिक पटेल के आरक्षण आंदोलन के विरोध में पिछड़ी जाति के ही अल्पेश ठाकोर ने आरक्षण का विरोध करने के लिए आंदोलन चलाया था. कांग्रेस ने अभी हाल ही में अल्पेश को पार्टी में शामिल कराकर पिछड़े तबके को जोड़ने की कोशिश की है. लेकिन, हार्दिक के विरोधी अल्पेश के बाद हार्दिक को भी अपने साथ जोड़ना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो रहा है.
इसी विरोधाभास और दुविधा में फंसी कांग्रेस गुपचुप तरीके से हार्दिक को भी साधने में लगी थी. लेकिन, हार्दिक के साथ राहुल की मुलाकात के खुलासे ने अब कांग्रेस की रणनीति को ही बदल कर रख दिया है.
कांग्रेसी सूत्रों के मुताबिक, पाटीदार समेत कई दूसरी जातियों को एसटी,एससी और पिछड़ी जातियों को दिए जा रहे पचास फीसदी के आरक्षण की सीमा के अलावा आरक्षण देने का वादा संभव है. लेकिन, पाटीदारों को पिछड़ी जाति में शामिल कर उन्हें आरक्षण देने का फॉर्मूला शायद ही कांग्रेस आजमाए, क्योंकि इससे उसका खेल और खराब हो सकता है.
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