वामदलों ने हजयात्रा के लिए तीर्थयात्रियों को मिलने वाली सब्सिडी खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए इसे भेदभावपूर्ण और मनमाना कदम बताया है.
सीपीएम पोलित ब्यूरो की ओर से बुधवार को जारी बयान के अनुसार केंद्र सरकार ने हजयात्रियों की सब्सिडी पर एकाएक रोक लगा दी है, जबकि उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2012 में दिए फैसले में सरकार को दस साल की अवधि में चरणबद्ध तरीके से सब्सिडी खत्म करने का आदेश दिया था.
सरकार द्वारा अचानक सब्सिडी रोकने का फैसला मनमाना और अन्य निहितार्थों से प्रेरित है. बयान के मुताबिक धर्मनिरपेक्ष राज्य के सिद्धांत के तहत सीपीएम सरकार द्वारा सहायता प्राप्त धार्मिक तीर्थयात्राओं की पक्षधर नहीं है.
यह किसी भी धर्म से जुड़ी क्यों न हो. इस लिहाज से ऐसी किसी धार्मिक गतिविधि को केंद्र या राज्य सरकारों की ओर से आर्थिक मदद नहीं दी जानी चाहिए, जबकि यह सिलसिला अभी भी जारी है.
सीपीआई नेता अतुल कुमार अंजान ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले को गैरजरूरी बताया है. अंजान ने कहा कि सरकार का यह अनावश्यक कदम देश में सांप्रदायिकता की भावना को उभारने वाला साबित होगा.
उन्होंने कहा ‘केंद्र और राज्य सरकारें कुंभ से लेकर गुरु पर्व, ईस्टर और बुद्ध और महावीर जयंती समारोहों जैसे अनुष्ठानों के लिए आर्थिक और प्रशासनिक सहयोग करती है. यह करना भी चाहिए. इसी कड़ी में हज यात्रियों की कठिनाई को भी दूर करना सरकार का दायित्व है.’
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