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गुरमीत राम रहीम दोषी करार: एक ‘रेपिस्ट बाबा’ के समर्थन में इतनी हिंसा कितनी जायज?

क्या बाबा राम रहीम की अपील का असर उनके समर्थकों पर नहीं है? या फिर बाबा की तरफ से महज दिखाने भर की अपील की गई थी?

Updated On: Aug 25, 2017 06:27 PM IST

Amitesh Amitesh

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गुरमीत राम रहीम दोषी करार: एक ‘रेपिस्ट बाबा’ के समर्थन में इतनी हिंसा कितनी जायज?

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बाबा गुरमीत राम रहीम को रेप के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद डेरा समर्थकों का उत्पात चरम पर है. पंचकूला की सीबीआई अदालत ने बाबा गुरमीत राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी करार क्या दिया, उनके समर्थकों की तरफ से भारी हिंसा शुरू हो गई.

पंचकूला से लेकर बठिंडा तक हर जगह हिंसा ही हिंसा देखने को मिल रही है. हरियाणा से लेकर पंजाब तक डेरा समर्थकों ने तोड़-फोड़ और आगजनी कर कई दफ्तरों को भारी नुकसान पहुंचाया है. गुंडागर्दी का आलम यह है कि अब आगजनी की आंच राजधानी दिल्ली और आस-पास के इलाकों तक पहुंच गई है.

हरियाणा-पंजाब में भयंकर स्थिति

पंचकूला के आयकर दफ्तर से लेकर टेलीफोन एक्सचेंज तक हर जगह आग लगा दी गई. पुलिस के सामने देखते ही देखते सौ से ज्यादा गाड़ियों में आग लगा दी गई. यहां तक कि मीडिया कर्मियों को पीटने के साथ-साथ उनकी भी ओबी वैन में आग लगा दी गई.

पूरे हरियाणा और पंजाब में अफरा-तफरी का माहौल दिख रहा है. पत्थरबाजी, आगजनी, हो-हंगामा और बाबा राम रहीम के लिए कुछ भी करने को तैयार दिखते उनके अंधभक्तों ने माहौल इस कदर खराब कर दिया है कि पुलिस-प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं.

एक ‘बलात्कारी बाबा’ के प्रति समर्थकों की अंधभक्ति का आलम यह है कि अपनी जान की परवाह किए बगैर बाबा राम रहीम समर्थक इस तरह हंगामे पर उतारू हैं.

बाबा के अपील का कोई असर नहीं?

हालांकि बाबा राम रहीम ने अपने समर्थकों से पहले ही हिंसा ना करने की अपील कर रखी थी. बाबा की तरफ से यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा था कि वो हिंसा नहीं करने की सलाह दे रहे हैं. अपने समर्थकों को चुप और शांत रहने को कह रहे हैं. लेकिन बाबा के रेपिस्ट करार देने के बाद उनके समर्थकों के उत्पात के बाद बाबा की नीयत पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं.

क्या बाबा राम रहीम की अपील का असर उनके समर्थकों पर नहीं हो रहा है? क्या बाबा की अपील को उनके समर्थक इस कदर नजरअंदाज कर सकते हैं या फिर बाबा की तरफ से महज दिखाने भर की अपील की गई थी?

हंगामे और भारी हिंसा के बाद अब रेपिस्ट बाबा की नीयत पर ही सवाल खड़ा हो रहा है. ऐसा लगता है बाबा की अपने समर्थकों से शांति की अपील महज दिखावा भर ही थी. एक तरफ बाबा का शांति का दिखावा तो दूसरी तरफ शक्ति प्रदर्शन की कोशिश नजर आ रही है.

Security in Chandigarh

पहले से थी हिंसा का प्लानिंग?

अभी हाल ही में पानीपत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था जिसमें बाबा के समर्थन में उनके समर्थकों की धमकी साफ-साफ दिख रही थी. बाबा के समर्थकों की तरफ से पहले ही परिणाम भुगतने की चेतावनी से साफ था कि बाबा राम रहीम की अपील का नहीं उनकी अंधभक्ति का असर उन पर है.

इस वीडियो में कुछ महिलाएं इस तरह का बयान देती दिख रही हैं, जिसको देखकर डेरा समर्थकों की प्लालिंग का अंदाजा लगाया जा सकता है.

क्या कर रही थी सरकार?

लेकिन तमाम चेतावनी के बावजूद हरियाणा की खट्टर सरकार एक बार फिर से पूरी तरह फेल होती दिख रही है. मनोहर लाल खट्टर एक बार फिर से इस बड़ी हिंसा को रोकने में असफल रहे हैं.

सवाल इसलिए भी खड़ा हो रहा है कि जब डेरा सच्चा सौदा समर्थकों की तादाद और उनकी तरफ से इस तरह की हिंसक प्रतिक्रिया का अंदाजा था तो फिर सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं किए गए? बाबा के समर्थक आखिर एक साथ कैसे जमा हो गए? क्या उन्हें जमा होने से पहले ही तितर-बितर नहीं किया जा सकता था?

सवाल है रेपिस्ट बाबा के समर्थकों की गुंडागर्दी का अंदाजा क्या सरकार को नहीं था? अगर था तो फिर इस तरह की व्यवस्था क्यों की गई थी? सरकार पर सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं क्योंकि सरकार ने तमाम आशंकाओं के बावजूद वक्त रहते कदम नहीं उठाया.

बाबा राम रहीम के साथ सैकड़ों गाड़ियों के काफिले को पंचकूला के भीतर आने देने की इजाजत क्यों दी गई. बाबा का संदेश शांति के लिए है. लेकिन अपने समर्थकों को अपने साथ महंगी और लग्जरी गाड़ियों के काफिले में भरकर लाने की उनकी कोशिश अपनी ताकत का एहसास कराने के लिए थी.

बाबा राम रहीम की कोशिश मीडिया के साथ-साथ सरकार को भी अपनी हैसियत, अपनी बड़ी पर्सनलिटी और अपने रूतबे को दिखाने की थी. बाबा के इन सारे कदमों को देखकर साफ-साफ लग रहा है कि बाबा राम रहीम का समर्थकों से शांति कायम रखने को कहना महज दिखावा भर था. रेपिस्ट बाबा का फोकस तो कानून को ठेंगा दिखाकर अपनी ताकत का एहसास कराना था.

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