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गुजरात चुनाव 2017: बीजेपी को लेकर मुसलमानों का नजरिया पहले जैसा है

चुनाव में मुस्लिम समाज किसे वोट करेगा इसका खुलासा वो नहीं करते मगर उनका रूझान राहुल गांधी और कांग्रेस के प्रति झलकता है

Updated On: Nov 26, 2017 01:15 PM IST

Amitesh Amitesh

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गुजरात चुनाव 2017: बीजेपी को लेकर मुसलमानों का नजरिया पहले जैसा है

पोरबंदर में समुद्र के किनारे महबूब साह मस्जिद में जुमे की नमाज अदा कर बाहर निकलते एक युवा लड़के याकूब मेमन से मेरी मुलाकात हो गई. पोरबंदर से सटे जूनागढ़ जिले के कसोध के रहने वाले याकूब इन दिनों पोरबंदर में नौकरी कर रहे हैं.

याकूब से जब हमने मौजूदा चुनाव और समाज के मुद्दों को लेकर चर्चा की तो बड़ी ही साफगोई के साथ जवाब मिला, ‘मुस्लिम समाज को नरेंद्र मोदी पर भरोसा नहीं है’. बातचीत के सिलसिले में याकूब ने धीरे-धीरे अपने अंदर की सारी भड़ास निकाल दी. याकूब का कहना था, ‘सरकार हमारे धार्मिक मामलों में दखल दे रही है. मसलन तीन तलाक के मसले पर सरकार जिस तरह से दखल दे रही है यह जायज नहीं है.’

याकूब ने कहा, ‘इस वक्त गुजरात में मुस्लिम समाज में सबसे ज्यादा गरीबी भी है, पिछड़ापन भी है और शिक्षा का स्तर भी काफी नीचे है. लेकिन, इस पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया. यहां तक कि डिजिटल इंडिया की बात करने वाली सरकार तो प्राथमिक सुविधाएं भी हमें उपलब्ध नहीं करा पा रही.’

Gujrat Porbandar Muslims

मस्जिद से नमाज अदा कर बाहर निकलते हुए याकूब मेमन

'मोदी साहब ने जो बोला उसे किया नहीं'

याकूब के साथ खड़े एम डी साइंस कॉलेज, पोरबंदर में बीएससी की पढ़ाई करने वाले नवाज खान का कहना था, ‘जो भी सरकार बोले वो कर के दिखाना चाहिए. लेकिन, मोदी साहब ने जो बोला उसे किया नहीं’. हांलांकि नवाज खान की वोट देने की अभी उम्र नहीं हुई है लेकिन, उनका कहना है कि इस बार बदलाव होगा. राहुल गांधी और मनमोहन सिंह ने बेहतर काम किया है.

लगातार हफ्ते भर तक सौराष्ट्र के कई इलाकों का दौरा करने के बाद हमें भी लगा कि आखिरकार मुस्लिम समाज इस चुनाव में क्या सोच रहा है. यही जानने के लिए हमने महबूब साह मस्जिद का दौरा किया जहां इन दो युवाओं ने तो मौजूदा सरकार के विकास मॉडल को खारिज कर दिया.

पोरबंदर में ही दवा की दुकान चलाने वाले आमीन का कहना था, ‘इस वक्त मुस्लिम समाज की सबसे बडी समस्या उनका पिछड़ापन और अशिक्षा है. लेकिन, क्या करें मुस्लिम इलाके में कोई काम ही नहीं होता. यहां तक कि स्थानीय सांसद, विधायक और म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में हर जगह बीजेपी वाले हैं फिर भी हमारा काम नहीं होता.’

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ऑटो चलाने वाले सलीम भाई को लगता है कि कांग्रेस बेहतर है मगर इलाके में बीजेपी का ही जोर दिखता है

पोरबंदर में ऑटो रिक्शा चलाकर अपना और अपने परिवार का गुजारा करने वाले सलीम भाई नागोरी मस्जिद के बाहर अपना ऑटो खड़ा कर नमाज अदा करने के लिए पहुंचे थे. लेकिन, उनकी तरफ से भी मुस्लिम इलाके में साफ-सफाई और बाकी मुद्दों को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. चुनाव में पार्टी के समर्थन के मुद्दे पर मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा, ‘हम किस के साथ जाएंगे यह तो नहीं बताएंगे लेकिन, इलाके में जोर तो बीजेपी का ही लग रहा है.’

लेकिन, ऑटो वाले सलीम भाई के बगल में खड़े हासन भाई परमार ने कह दिया कि हम तो कांग्रेस को ही वोट करेंगे. जुमे की नमाज के बाद बाहर आते लोगों से जब हमारी बात हुई तो उसमें उनके इलाके में विकास नहीं होने और उनके हालात को लेकर खूब शिकायतें मिली. फिर हमने उस इलाके का दौरा किया जहां इस समाज के लोग बड़ी तादाद में रहते हैं.

विकास से अछूता है मुस्लिम इलाका?

बापू की जन्मस्थली कीर्ति मंदिर से महज 400 मीटर की दूरी पर शीतला चौक है. शीतला माता के मंदिर होने की वजह से इस चौक का नाम शीतला चौक रखा गया है. शीतला चौक के आगे मेमनवाड इलाका है. यह पूरा इलाका मुस्लिम आबादी वाला है.

इस इलाके में अंदर घुसते ही टूटी-फूटी सड़कें और उन सड़कों पर बहते गंदे नाले का पानी दिख गया. कुछ दूर आगे बढ़ने पर हालात और भी खराब दिखे. कीर्ति मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित इस इलाके में स्वच्छता अभियान पर ही लोग चुटकी लेने लगे. यहां की गलियों में मौजूद गंदगी को देखकर वहां से गुजरना मुश्किल होने लगा.

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इलाके में कंप्यूटर की क्लास कराने वाले अब्दुल गफ्फार का कहना था कि ‘हमारे इलाके में कोई काम नहीं होता है. हमारे यहां विकास 22 साल गांडो छे’. अब्दुल गफ्फार का विकास को पागल कहना इलाके के मुस्लिम समाज की भावना को बताने के लिए काफी था.

क्यों नाराज हैं पोरबंदर के मुस्लिम?

ठेके पर फिशिंग का काम कराने वाले अजीम मोदी का कहना है कि ‘2002 में गुजरात के बाकी इलाकों में दंगे हो रहे थे तो भी यहां कोई फर्क नहीं पड़ा था. कीर्ति मंदिर के बगल का यह इलाका हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है. फिर भी हमारे साथ न्याय नहीं होता’. इनकी शिकायत है कि हमारे साथ भेदभाव होता है. हमारे इलाके में सुविधा नहीं दी जाती है.

अभी कुछ महीने पहले ही राजकोट में लेडी डॉन सोनू डांगर के विवादास्पद बयान को लेकर भी मुस्लिम समाज में नाराजगी है. खफा होने की वजह है, इनके खिलाफ बीजेपी सरकार ने कोई कारवाई क्यों नहीं की?

यह भी पढ़ें: गुजरात चुनाव 2017: राहुल गांधी का ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ देवभूमि के लोगों को रास नहीं आ रहा

मोमिनवाड इलाके में और भी कई लोगों से बात हुई लेकिन, सबकी शिकायत एक ही जैसी थी. अब्दुल गफार ने खराब शिक्षा व्यवस्था को लेकर बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उनका कहना था कि ‘स्कूल में शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है. सारे सरकारी स्कूल-कॉलेज में बेहतर शिक्षा नहीं है. केवल शिक्षा का प्राइवेटाइजेशन किया जा रहा है. इनकी शिकायत है कि इस प्राइवेटाइजेशन का फायदा केवल बीजेपी के ही सांसद-विधायक उठा रहे हैं, क्योंकि अधिकतर प्राइवेट कॉलेज उन्हीं के नाम पर हैं.

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मुस्लिमों की आबादी वाले मोमिनवाड इलाके की ज्यादातर सड़कें टूटी फूटी और उबड़-खाबड़ हैं

पूरे राज्य में मुस्लिम आबादी लगभग 9 फीसदी है, जिसमें 25 से 30 सीटों पर गुजरात के मुसलमान प्रभावी हैं. फिर भी पिछले चुनाव में 182 सीटों में से महज दो सीटों पर ही मुस्लिम विधायक चुनाव जीत पाए थे. यह बात पोरबंदर के मुस्लिम समाज के लोगों को भी कचोट रही है. उनसे बात करने पर उनके अंदर का रोष बाहर आ जाता है. दवा दुकानदार आमीन कहते हैं कि इस बार भी कुछ लोग अपने फायदे और स्वार्थ के लिए बीजेपी को वोट कर देंगे.

पोरबंदर विधानसभा में मुसलमानों की तादाद ज्यादा नहीं है. करीब 15 हजार मुस्लिम मतदाता इस बार भी कांग्रेस के अर्जुन मोढ़वाडिया के साथ ही खड़े दिख रहे हैं.

बीजेपी की कोशिश का असर अभी नहीं

'हांलांकि सबका साथ सबका विकास' की बात करने वाली सरकार की तरफ से इस तबके की नाराजगी को खत्म करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद गुजरात के मुस्लिमों के लिए हज कोटा 4 से बढ़ाकर 15 हजार कर दिया गया है. मुस्लिम तबके की भलाई के लिए कई योजनाओं की शुरुआत भी की गई है.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए तीन तलाक का मुद्दा कारगर हुआ था. माना गया था कि इससे थोड़ा ही सही मगर मुस्लिम महिलाओं का समर्थन बीजेपी को मिल गया था. लेकिन, लगता है अभी बीजेपी को लेकर गुजरात के मुस्लिम समाज के मन में मौजूद धारणा को बदलने में वक्त लगेगा.

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