दिलीप वलेरा सुरेंद्रनगर जिला कांग्रेस समिति के अध्यक्ष हैं. अहमदाबाद से दो घंटे की दूरी पर मौजूद इस जगह को सौराष्ट्र की कपास की खेती वाली पट्टी का आखिरी छोर मान सकते हैं.
65 साल के वलेरा एक इंडस्ट्रियल कंसल्टेन्ट हैं और वो हर चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों की मदद करते हैं. उनका विजिटिंग कार्ड एक तरह से उनके फेसबुक पेज की छायाप्रति है जिस पर लिखा है- 'लोगों से फेसबुक पर अपनी मौजूदगी जताने का यह मेरा तरीका है, यहां मेरे 4800 दोस्त हैं.'
जैसे बाकी कार्यकर्ता अपनी पार्टियों के बारे में कहते हैं वैसे ही वलेरा का भी कहना है कि जिले की पांचों सीटें कांग्रेस जीतेगी. 2012 में कांग्रेस ने केवल एक सीट पर जीत हासिल की थी. वो कहते हैं, 'मैं नहीं जानता कि गुजरात में चुनाव का अंतिम परिणाम क्या रहने वाला है. लेकिन मैं आपको एक बात बता सकता हूं कि मैंने कभी कांग्रेस को गुजरात में इतना अच्छा प्रदर्शन करते नहीं देखा. केंद्रीय नेतृत्व जमीन पर कभी इतनी कड़ी मेहनत करते नहीं नजर आया.'
वो इसका सारा श्रेय राहुल गांधी को देते हैं. वलेरा ने कहा, 'राहुल गांधी गुजरात में बहुत कड़ी मेहनत कर रहे हैं. कार्यकर्ता इससे उत्साह में हैं. उन्हें लग रहा है कि कांग्रेस के लिए उम्मीद बाकी है, उन्हें महसूस हो रहा है कि कांग्रेस जीत सकती है.'
तो क्या मान लें कि यह कुछ और नहीं बल्कि कांग्रेस में चलने वाली चाटुकारिता का ही एक रुप है? वलेरा का जवाब है, 'फर्क हर कोई देख सकता है. क्या आपने देखा कि बीजेपी के कार्यकर्ता अब उन्हें पप्पू कहकर नहीं बुला पा रहे? आज पप्पू बाप बन रहा है उनका.'
डर है कि गुजरात के चुनाव में कहीं ईवीएम में हेराफेरी ना हो जाए
वलेरा ने कहा कि मुझे सबसे बड़ा डर इस बात का है कि गुजरात के चुनाव में कहीं ईवीएम में हेराफेरी ना हो जाए. जिले में कांग्रेस की एक 20 सदस्यों वाली टोली को पार्टी ने ईवीएम की जांच का प्रशिक्षण दिया है. उन्हें ईवीएम चलाने के नियम बताने वाली किताब दी गई है. टोली के सदस्यों ने हर ईवीएम की जांच की. हर मशीन पर प्रत्येक उम्मीदवार के नाम से तकरीबन 1000 वोट डालकर इन लोगों ने देखा कि कहीं मशीन में कोई गड़बड़ी तो नहीं है.
वलेरा ने बताया, 'जिस जगह ईवीएम रखी गई है वहां मेटल डिटेक्शन के गेट नहीं लगे. हमने कहा कि हाथ के सहारे काम करने वाले मेटल डिटेक्टर से काम नहीं चलने वाला क्योंकि नियम साफ-साफ कहता है कि गेट लगे होने चाहिए. उन्हें गेट लगवाने पड़े.'
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वलेरा ने तो ईवीएम के बारे में सैम पित्रोदा से भी चर्चा की है. मजे की बात यह है कि वलेरा को लगता है, बीजेपी ईवीएम को लेकर चिंता ही नहीं कर रही. वो कहते हैं, 'इसी कारण मुझे लग रहा है कि उन्होंने कोई ना कोई चाल जरुर अपने मन में सोच रखी है.'
वो कहते हैं कि ईवीएम की हेराफेरी का भय खूब फैला है क्योंकि मुझे पक्का यकीन है कि इसी चालबाजी से बीजेपी ने उत्तर प्रदेश चुनाव में 312 सीटें जीतीं. लेकिन गुजरात में बहुत से लोगों का कहना है कि कांग्रेस की बड़ी समस्या है उसका कमजोर कैडर. वलेरा आरोप के स्वर में कहते हैं कि कोई वोटर मतदान के लिए नहीं आए तो बीजेपी के कार्यकर्ता इसके नाम पर फर्जी वोट डाल सकते हैं. ऐसा तभी हो सकता है जब मतदान केंद्र पर तैनात कांग्रेस के कार्यकर्ता अपनी जगह से हट जाएं.
कांग्रेस के कार्यकर्ता दोपहर बाद मतदान केंद्र से चले जाते हैं
गुजरात में कई लोगों का कहना है कि कांग्रेस के कार्यकर्ता दोपहर बाद मतदान केंद्र से चले जाते हैं. लेकिन वलेरा का कहना है कि 'इस बार ऐसा नहीं होगा'. उनकी बातों का जाहिर संकेत है कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ यह समस्या रही है. लेकिन वलेरा ने बताया कि 'इस बार ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने प्रशिक्षण और निगरानी के मोर्चे पर बहुत काम किया है. एआईसीसी ने इस बार निगरानी बरतने के लिए कई स्तरों पर इंतजाम किए हैं.'
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वलेरा को लगता है कि राहुल गांधी के मंदिर जाने से कांग्रेस को मदद मिली है. कांग्रेस को सिर्फ मुसलमानों की पार्टी बताना मुश्किल हो गया है. वो कहते हैं, 'हम बता रहे हैं कि हमलोग भी हिंदू हैं और इसी कारण सांप्रदायिक दुष्प्रचार का उनका हथकंडा काम नहीं कर रहा है.'
वलेरा को नहीं लगता कि चुनावी मोर्चे पर राहुल गांधी के आगे बढ़कर नेतृत्व करने से अहमद पटेल के प्रभाव में कोई कमी आई है. वो इशारों में बताते हैं कि पटेल का प्रभाव कायम है लेकिन उसे जग-जाहिर नहीं किया जा रहा. वलेरा के मुताबिक, 'बीजेपी हर चुनाव में अफवाह फैलाती है कि कांग्रेस जीती तो अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. लेकिन इस बार वो लोग ऐसा नहीं कर पाए हैं.'
भरत सिंह सोलंकी मुख्यमंत्री पद के लिए सही उम्मीदवार हो सकते थे
वलेरा का ख्याल है कि कांग्रेस ने अगर मुख्यमंत्री पद के लिए अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया होता तो फायदा मिलता. गुजरात कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी इसके लिए सही उम्मीदवार हो सकते थे. वलेरा ने कहा, 'ज्यादा अहम बात यह है कि शंकरसिंह बाघेला का जाना हमारा लिए फायदेमंद रहा. इस बार के चुनाव में अंदरुनी उठापटक और गुटबाजी नहीं है.'
तो फिर इस चुनाव में मुख्य मुद्दा क्या है? वलेरा ने कहा, 'मुख्य मुद्दा यह है कि बीजेपी ने अपना वादा पूरा नहीं किया. मोदी सरकार ने उम्मीदों को पूरा नहीं किया बल्कि हालात और भी बदतर हुए हैं. खेती करना घाटे का सौदा बन गया है और नौजवानों को नौकरी नहीं मिल रही.'
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