पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का लोगों के बीच प्रार्थना करने का तरीका बड़ा दिलचस्प है. उनकी रैलियों में भाषण से पहले मां दुर्गा की स्तुति में भजन बजता है. भजन जब शुरू होता है तो पटेल अपने फोन का फ्लैश लाइट ऑन कर देते हैं मानो यह कोई दीया हो या फिर अगरबत्ती जलाई गई हो. भजन जब अपने लय-ताल के साथ एकदम ऊंचाई पर चला जाता है तो मंच पर हमेशा आगे की पांत में बीचों बीच बैठने वाले हार्दिक पटेल हिलना शुरू कर देते हैं मानो तंद्रा में लीन हो गए हों.
चूंकि हार्दिक ने अपने लिए नियम बना रखा है कि देवता का आशीर्वाद हासिल करना है तो उसे खुश करने के लिए मोबाइल की फ्लैश लाइट जलानी होगी सो उम्मीद यही की जाती है कि हार्दिक को चाहने वाले भी उनके लिए कुछ ऐसा ही करें. हार्दिक जब भी मंच पर आते हैं, वहां मौजूद वक्ता लोगों से कहते हैं कि आप मोबाइल अपने हाथ में ऊपर उठा लें और उसकी फ्लैश लाइट जला दें. इसके बाद एक गुजराती गीत बजता है जिसमें ‘हार्दिक... हार्दिक’ एक टेक की तरह आता है और गीत की धुन पर हार्दिक के चाहनेवाले दाएं-बाएं हिलने लग जाते हैं.
पटेल समुदाय के लोगों के बीच हार्दिक बहुत कुछ देवता की तरह हो गए हैं
अगर आपको ऊपर लिखी बातों को पढ़कर लग रहा है कि पटेल समुदाय के लोगों के बीच हार्दिक बहुत कुछ देवता की तरह हो गए हैं तो आपका अनुमान बिल्कुल ठीक है. 23 साल के इस पाटीदार नेता की छवि अब खुद उसकी शख्शियत से कहीं ज्यादा बड़ी हो चुकी है. हार्दिक पटेल के आने तक उनका इंतजार कर रही भीड़ काफी बेचैन रहती है. हार्दिक जब मंच पर आते हैं तो लोगों की भीड़ अपने जोश में उन्माद की हदों को छूने लगती है, भीड़ जोरदार जयकारा लगाती है मानो ऊपर बादल गरजे हों, बिजली कड़की हो. हार्दिक जब बोलते हैं तो भीड़ एकदम ध्यान लगाकर सुनती है, यह भीड़ हार्दिक के इशारों पर चलती है मानो किसी जादूगर ने उसे सम्मोहन में बांध लिया हो. अगर राजनीति को जादू माना जाए तो हार्दिक पटेल निश्चित ही उसके गोगिया पाशा या पीसी सरकार हैं.
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‘जय सरदार’- हार्दिक स्टेज से नारा लगाते हैं. उनके इशारों को समझकर हजार जोड़ी हाथ हवा में लहराते हैं और ढलती हुई शाम की शांति ‘जय सरदार- जय पाटीदार’ के एक युद्धघोष के साथ टूट जाती है.
क्या हार्दिक के विरोधियों को सचमुच यकीन है कि नायक की हैसियत हासिल कर चुका यह नौजवान अपनी ‘रास-लीला’ के वीडियो सार्वजनिक हो जाने भर से लोगों की नजरों से गिर जाएगा, किसी अंधेरे-एकांत कमरे के उसके तथाकथित प्रेम-प्रसंगों की सीडी उसके नायकत्व को ले डूबेगी? अगर विरोधी ऐसा सोचते हैं, तो फिर वो इस बात को नहीं जान रहे कि हार्दिक पटेल किस कदर नौजवानों के दिल-ओ-दिमाग पर छा चुका है, वो नहीं जानते कि हार्दिक के चाहनेवाले अपने नायक के पीछे हर उस जगह जाने को तैयार हैं जहां वह ले जाए. आज की तारीख में पाटीदार नौजवान हार्दिक नाम की बीन पर बजने वाली हर धुन पर हामी में अपना सिर हिलाने को तैयार हैं.
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जिन्हें हार्दिक की अहमियत पर शक है उन्हें शनिवार रात बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के गृह नगर मनसा आना चाहिए था. कोई कुर्सी खाली नहीं थी, सारे कोने-अंतरे लोगों से अटे पड़े थे और इस विशाल भीड़ के सामने पूरे जोश के साथ हार्दिक पटेल गरज रहे थे, अपनी दहाड़ती आवाज में वो बता रहे थे कि दुष्प्रचार फैलाने वाली बीजेपी की मशीनरी उन पर निशाना साध रही है. हार्दिक ने इस सभा में अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी पर करारा हमला बोला और वादा किया कि दोनों को गुजरात से उखाड़कर ही दम लूंगा.
हार्दिक का भाषण विंस्टन चर्चिल के डनकर्क वाले मशहूर ऐलान की याद दिला रहा है
शाह के किले में घुसकर हार्दिक ने दहाड़ लगाई कि 'हम उनसे दो-दो हाथ कर के रहेंगे. अगर वो चाहते हैं कि हम कानून के अखाड़े में उनसे लड़ें तो फिर हम कानून का दांव आजमाकर उनसे लड़ेंगे और जो वो चाहते हैं कि हम गुंडागर्दी के जरिए उनका मुकाबला करें तो फिर हम गुंडागर्दी से जवाब देंगे'. अपने तेवर, संकल्प और जुझारुपन के लिहाज से हार्दिक का भाषण विंस्टन चर्चिल के डनकर्क वाले मशहूर ऐलान की याद दिला रहा था. तब विंस्टन चर्चिल ने शपथ ली थी कि हम सागर और महासागर, आकाश और समुद्र-तट, युद्ध के मैदान और खेत, गलियों और पहाड़ियों हर जगह लड़ेंगे.
सीटी और तालियों की गूंज और गरज और बॉलीवुड फिल्मों के मशहूर डायलॉग के बीच आग के गोले की तरह जान पड़ते अपने भाषण में हार्दिक ने बीजेपी को दो-फाड़ कर के रख दिया. उसके शीर्ष के नेताओं को चुनौती दी, उनका माखौल उड़ाया और उन पर तंज कसे. जहर बुझे लफ्ज और रुपक हार्दिक के भाषण में कुछ उसी तरह धारा प्रवाह बह रहे थे जैसे साबरमती में पानी की धार बहती है.
हार्दिक और उसके चाहनेवाले बीजेपी के गढ़ में हैं लेकिन उन्हें तनिक भी डर नहीं लग रहा. गुजरात के बाहर से आए किसी आदमी को यह सोचकर हैरत हो सकती है. लेकिन यह बात भी हार्दिक को आकर्षक बनाती है. हार्दिक का ताल ठोंककर सामने वाले से भिड़ जाने वाला अंदाज दर्शकों को अच्छा लगता है. क्योंकि दर्शक मानकर चल रहे हैं कि मोदी और शाह की जोड़ी को अनुनय-विनय से नहीं लड़ाई के मैदान में पटखनी देकर ही चित्त किया जा सकता है.
गांव-गांव घूमकर बिना किसी भय के मोदी-शाह पर सवाल उठा रहा है
बीजेपी के लिए यह चिंता की बात होनी चाहिए. एक ऐसा सूबा जहां नरेंद्र मोदी की पूजा होती है और अमित शाह की तूती बोलती है, वहां एक 23 साल का नौजवान गांव-गांव घूमकर बिना किसी भय के दोनों नेताओं पर सवाल उठा रहा है. भरी सभा में उनका माखौल उड़ा रहा है. एक अहम बात यह भी है कि जो जनता अब तक मोदी की तरफदार थी. कोई मोदी को लेकर कोई जरा भी ऊंच-नीच कहे तो उस पर चढ़ दौड़ती थी, वही जनता आज हार्दिक पटेल को ना सिर्फ चुप्पी साधकर सुन रही है बल्कि उसकी बातों पर ताली बजा रही है और सहमति के शोर उठा रही है. ऐसे में दांव पर सिर्फ गुजरात का चुनाव भर नहीं है बल्कि दांव पर लगा है मोदी का आभा मंडल, यह साख कि मोदी को चुनौती नहीं दी जानी चाहिए.
फ्लैश लाइट से चमकते गुजरात के आसमान के नीचे, साबरमती की कछार पर भजनों के सुर-ताल के बीच गुजरात की सियासत के अजेय जान पड़ते देवताओं को एक आंदोलन अपने जुझारु तेवर में धूल चटाने पर उतारु है.
अगर बीजेपी चाहती है कि गुजरात के किले पर उसका कब्जा बरकरार रहे, उसके शीर्ष के नेता की छवि कायम रहे तो फिर बीजेपी के तरकश में जितने भी तीर हैं उसे वो सब के सब हार्दिक पर छोड़ने होंगे. पाटीदारों के दिल में घर कर चुके इस नौजवान के रासलीला के किस्से उजागर करने से बीजेपी का काम नहीं चलने वाला.
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