ये 'पप्पू' बड़ा चुटीला और मारक शब्द है. वैसे शब्द तो बड़ा कॉमन सा है. आम जिंदगी में हर दूसरे तीसरे घर में एक ना एक पप्पू नाम का प्राणि मिल जाएगा. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस पप्पू नाम ने जितनी ख्याति अर्जित की है, उसने इस नाम का बड़ा भीषण विस्तार दे दिया है. वैसे ख्याति कहना भी ठीक नहीं है. यूं कहें कि इस नाम ने जितनी बदनामी अर्जित की है कि बैठे-ठाले दुनिया जहान के तमाम जहीन 'पप्पुओं' का भी जीना मुहाल हो गया है.
वैसे कह दें कि नाम में क्या रखा है. लेकिन इस पप्पू नाम में बहुत कुछ है या कहें कि बहुत कुछ बना दिया गया है. किसी का मजाक बनाना हो तो कह दो- यार बड़े पप्पू हो कसम से. किसी को गाली दिए बिना ही उसे गाली खा लेने वाली फिलिंग दिलवानी है तो कह दीजिए- क्या पप्पू जैसी हरकतें करते हो यार.
अश्लीलता और शालीनता के दायरे से कहीं बाहर की चीज है पप्पू. एक बार को पप्पू कह देने भर से शालीनता की सीमा का कोई बेजा उल्लंघन नहीं होता. लेकिन कई बार पप्पू नाम का उच्चारण अपमान की उस सीमा रेखा को पार कर जाता है कि चुनाव आयोग को उसे बैन करना पड़ जाता है.
दरअसल पप्पू की चर्चा भी इसीलिए हो रही है. गुजरात चुनावों में चुनाव आयोग ने पोस्टर, बैनर, होर्डिंग्स के साथ किसी तरह के विज्ञापन में पप्पू नाम के इस्तेमाल को बैन कर दिया है. चुनाव प्रचार में बीजेपी इस नाम का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही थी.
इसके खिलाफ चुनाव आयोग को कुछ शिकायती पत्र मिले थे. अब शिकायत किस 'पप्पू' ने की थी ये कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. लेकिन इसके बाद चुनाव आयोग ने बीजेपी को खत लिखकर हिदायत दी है कि वो पप्पू का अपमानजनक इस्तेमाल बंद करे. आयोग ने चुनाव प्रचार सामाग्री से 'पप्पू' नाम हटाने को कहा है.
पप्पू नाम पर ये सारा बवाल इसलिए है क्योंकि कुछ लोगों ने मान लिया है कि 'पप्पू' का जिक्र हो रहा है मतलब राहुल गांधी के मजे लिए जा रहे हैं. राजनीति में आने के बाद से राहुल गांधी को सिलसिलेवार तरीके से पप्पू घोषित करवाने की कवायद चली है.
राहुल के हल्के फुल्के राजनीतिक बयानों पर तंज करते वक्त कई बार वो राहुल गांधी से राहुल बाबा हुए, कई बार युवराज और जब तंज गहराई पर जाकर होने लगे तो वो 'पप्पू' बन गए. राहुल गांधी के विरोधियों के लिए उन्हें निपटाने का मारक शब्द बन गया पप्पू.
गुजरात चुनाव आयोग तक ने कहा है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष के लिए परोक्ष रूप से पप्पू नाम का इस्तेमाल कर निशाना साधना मर्यादा के अनुरूप नहीं है. चुनाव आयोग ने बीजेपी की प्रचार सामग्री की जांच पड़ताल के बाद कहा कि उसमें एक खास व्यक्तित्व की तरफ इशारा करते हुए पप्पू शब्द का अपमानजनक इस्तेमाल किया गया है.
टाइम्स नाउ की खबर के मुताबिक अब बीजेपी ने अपने चुनावी विज्ञापन में पप्पू शब्द तो हटा लिया है लेकिन उसकी जगह अब युवराज डाल दिया है. ये भी बदमाशी ही है. सब जानते हैं कि युवराज के नाम पर किस पर तंज कसा जाता है. ये लोग राहुल गांधी को छोड़ने वाले नहीं हैं.
#YuvrajReplacesPappu in BJP’s Gujarat advertisement pic.twitter.com/btUHEkseIQ
— TIMES NOW (@TimesNow) November 15, 2017
वैसे पप्पू नाम के इस्तेमाल का इतिहास बड़ा मजेदार है. चुनाव आयोग बीजेपी के पप्पू नाम का इस्तेमाल करने पर ऐतराज जता रही है. लेकिन खुद चुनाव आयोग मतदान के लिए लोगों को जागरुक करने में पप्पू नाम का इस्तेमाल कर चुकी है.
2009 में चुनाव आयोग ने 'पप्पू कॉन्ट वोट' के नाम से कैंपेन चलाया था. चुनाव आयोग का स्लोगन था- पप्पू मत बनना, मतदान करना. मतलब पप्पू बनने से बचना है तो मतदान जरूर करें. वैसे चुनाव आयोग का वो कैंपेन देशभर के 'पप्पू' नाम के लोगों के लिए अपमान सरीखा ही था. लेकिन उस वक्त दबेकुचले 'पप्पुओं का कोई मुखर विरोध नहीं हुआ. अब हो रहा है. क्योंकि अब बात मामूली वाले 'पप्पू' की नहीं रह गई है.
'पप्पू' नाम पर जारी चुनाव आयोग के अलर्ट पर अब कई तरह की प्रतिक्रिया आ रही है. कहने वाले ये भी बोल रहे हैं कि क्या चुनाव आयोग ने भी मान लिया है कि राहुल गांधी ही पप्पू हैं. अगर ऐसा है तो ये बड़ी अफसोस की बात है. फिर तो असली अपमान चुनाव आयोग ही कर रही है.
I am with #Pappu. I oppose #PappuCensored . pic.twitter.com/Ie9clt4GjD
— Amaresh Ojha (@Amreso99) November 15, 2017
किसी ने ट्विटर पर लिखा कि कांग्रेस के विरोध के बाद चुनाव आयोग ने पप्पू नाम के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है. अब ये ऑफिशियल हो गया है कि दरअसल कांग्रेस खुद राहुल गांधी को पप्पू मानती है.
By objecting to the word "Pappu", the Congress has accepted that he's actually Pappu!!#PappuCensored
— Priti Gandhi (@MrsGandhi) November 14, 2017
किसी ने लिखा कि गूगल पर उसने टाइप किया कि हू इज़ पप्पू. गूगल रिजल्ट में राहुल गांधी का नाम आ गया. चुनाव आयोग की गंभीर कोशिश को भी लोगों ने पलीता लगा दिया है. उन्हें मजे लेने का एक और मौका मिल गया है. पप्पू पुराण शुरू हो चुका है.
When I searched on Google that "who is #Pappu" the search showed answers as "RahulGandhi's name in the first place, Really I didn't know before #PappuCensored See the real picture below pic.twitter.com/t4gsBLe595
— Narayan Singh Rawat (@rawat_narayan) November 14, 2017
अब देखना ये है कि देशभर में फैले 'पप्पू' नाम के असली लोग इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं. उन्हें खुद को राहुल गांधी से तुलना करने पर फख्र महसूस होता है कि वो भी इस पर ऐतराज जताते हैं, ये देखने वाली बात होगी. लेकिन चुनाव आयोग की पाबंदी पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है. बीजेपी का कहना है कि उनकी प्रचार सामग्री में किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया गया है, इसलिए चुनाव आयोग का ऐसा निर्देश देना ठीक नहीं है.
वैसे गाहे बगाहे पप्पू नाम का रचनात्मक इस्तेमाल होता रहा है. कई बार आपत्तियां भी दर्ज करवाई गई हैं. लेकिन 'पप्पुओं' के दिन फिरे नहीं. 2006 में कैडबरी चॉकलेट के विज्ञापन में पप्पू के नाम का इस्तेमाल हुआ. स्लोगन बना था- पप्पू पास हो गया. किशोरावस्था से युवा होते हुए अधेड़ावस्था की ओर अग्रसर पप्पू आखिरकार अपना एग्जाम पास कर जाता है. सेलिब्रेशन में वो कैडबरी चॉकलेट खिलाता है. बिग बी भी नजर आए थे उस विज्ञापन में. ये भी 'पप्पुओं' का अपमान वाला ही मामला था लेकिन ऐड देखकर चेहरे पर मुस्कान ही आती थी.
पप्पू की बदनामी का डंका ऐसा बजा कि 2007 में पप्पू के नाम का एक ऑनलाइन गेम भी बन गया- Pappu The Piligrim. इसी दौरान 'पप्पू कांट डांस साला' भी पॉपुलर हुआ. पप्पू के लिए लगातार शामत आई हुई थी. गोया कि पप्पू नाम ही होना गुनाह हो गया.
2011 में कार कंपनी मारुति ने पप्पू की कहानी ही शुरू कर दी. स्लोगन रखा- मारुति के पार्ट्स लगवाओगे तो पप्पू नहीं कहलाओगे. कहने का मतलब है कि एक दौर था कि सोनू-मोनू, चिंटू-पिंटू की तरह एक नाम पप्पू भी हुआ करता था. लेकिन बदलते वक्त में पप्पू ने इतनी बदनामियां अर्जित कर ली. कि अब किसी भी मम्मी में इतनी हिम्मत नहीं कि वो अपने राजदुलारे का नाम पप्पू रख ले. पप्पू नाम के साथ इस नाइंसाफी पर गुजरात चुनाव आयोग ने मरहम रखा है कि उसे और खरोंच दिया है ये कहना तक मुश्किल है.
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