गांधीनगर के राज्य सचिवालय के खुले मैदान में विजय रूपाणी ने एक बार फिर से गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ डिप्टी सीएम नितिन पटेल समेत और 19 मंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण की. लेकिन, शपथ ग्रहण समारोह में जिस तरीके से मंच पर देश भर की राजनीतिक हस्तियों का जमावड़ा दिखा वो अपने-आप में पूरी कहानी बयां करने वाला था.
शपथ ग्रहण समारोह के लिए तैयार मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी थी. दोनों का गृह –राज्य गुजरात है लिहाजा इस बार कड़े मुकाबले के बावजूद गुजरात में बीजेपी की लगातार छठी बार सरकार बनाने का श्रेय भी दोनों को ही जाता है.
मोदी-शाह के साथ गुजरात के गांधीनगर से लोकसभा सांसद लालकृष्ण आडवाणी की भी मौजूदगी रही. विधानसभा चुनाव में प्रचार से नदारद रहने वाले आडवाणी को मंच पर मोदी के साथ-साथ बैठाया गया था.
लेकिन, मंच पर बीजेपी-एनडीए शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों की मौजूदगी पर सबका ध्यान केंद्रित रहा. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ-साथ यूपी के मुख्यमंत्री भगवाधारी योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी मंच पर बीजेपी के अलग-अलग राज्यों में बढ़ते जनाधार और सरकार की धमक का एहसास कराने भर के लिए काफी थी.
‘नीतीश’ को मिली तरजीह
इसी साल जुलाई में दोबारा बीजेपी के साथ बिहार में सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मंच पर अगली पंक्ति में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी के साथ मौजूद रहे. नीतीश कुमार को इस मंच पर प्रमुखता से जगह दी गई थी.
यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने भी उनके साथ ज्यादा वक्त बिताया. मंच पर आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौजूद पार्टी के नेताओं, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों का अभिवादन स्वीकार किया, उनके पास जाकर उनसे अलग-अलग मुलाकात भी की, लेकिन, इस दौरान मोदी-शाह दोनों ने नीतीश कुमार के साथ ज्यादा वक्त गुजारा. शपथ-ग्रहण समारोह खत्म होने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने समारोह स्थल से निकलने से पहले नीतीश कुमार से कुछ देर मंच पर ही बात की.
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एनडीए के भीतर नीतीश कुमार के बड़े कद का एहसास मोदी और शाह को है. 2019 की लड़ाई से पहले मोदी-शाह को इस बात का अंदाजा है कि उस दौरान नीतीश की भूमिका काफी निर्णायक होगी. उनके चेहरे के सहारे अब बाकी उन दलों को भी साधा जा सकता है जो अबतक बीजेपी को अछूत मानकर दूरी बनाते रहे हैं. मोदी विरोध के नाम पर बीजेपी से अलग होने वाले नीतीश कुमार का गुजरात की धरती पर ही जाकर मंच पर मौजूद होना संकेतों में ही सही बहुत कुछ बयां करने वाला था.
नेताओं का लगा जमावड़ा
विजय रूपाणी के शपथ-ग्रहण समारोह में मोदी सरकार के कद्दावर मंत्रियों और बीजेपी के कई पदाधिकारियों की मौजूदगी भी दिख रही थी. मंचासीन नेताओं की मौजूदगी मजबूत और ताकतवर बीजेपी के बढ़ते साम्राज्य का एहसास कराने वाली थी.
Gandhinagar: Vijay Rupani takes oath as chief minister of Gujarat pic.twitter.com/Kzs3G5f60Q
— ANI (@ANI) December 26, 2017
बहरहाल विजय रूपाणी का शपथ-ग्रहण बीजेपी और एनडीए की ताकत का एहसास करा गया. बीजेपी की कोशिश भी यही थी जिसके तहत वो देशभर में 2019 की लड़ाई से पहले गुजरात से ही एकजुट एनडीए और मोदी के मजबूत नेतृत्व के दम पर आगे लड़ाई के लिए तैयार रहने का संदेश देना चाह रही थी.
जातीय समीकरण साधने की कोशिश
विजय रूपाणी की सरकार में जिन 19 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, उसमें जातीय समीकरण साधने की पूरी कोशिश की गई है. मुख्यमंत्री विजय रूपाणी खुद जैन-बनिया समुदाय से हैं जबकि डिप्टी सीएम नितिन पटेल पटेल समुदाय से आते हैं. रूपाणी कैबिनेट में सबसे ज्यादा पाटीदार समाज को ही तरजीह दी गई है.
डिप्टी सीएम नितिन पटेल समेत कुल 6 मंत्री पाटीदार समुदाय से ही हैं. पाटीदार आंदोलन के चलते गुजरात में पाटीदारों की इस बार नाराजगी देखने को मिली थी. बीजेपी ने हार्दिक पटेल के असर को कम करने के लिए पाटीदार समाज को कैबिनेट में तवज्जो दी है. इस बार गुजरात के कुल 49 पाटीदार समाज के एमएलए चुनाव जीतकर आए हैं, जिसमें 32 बीजेपी के ही हैं.
इसके अलावा तीन आदिवासी, एक दलित, एक ब्राम्हण और तीन राजपूत समाज के एमएलए को मंत्री पद से नवाजा गया है. हालांकि रूपाणी कैबिनेट में पिछड़े समाज के अलग-अलग तबकों से कुल 5 मंत्री बनाए गए हैं. जिनमें एक अहीर, एक परमार, एक कोली और एक ठाकोर समुदाय का भी मंत्री शामिल है. हालांकि 20 सदस्यीय रूपाणी कैबिनेट में महज एक ही महिला को महिला मंत्री बनाया गया है. भावनगर पूर्व से तीसरी बार एमएलए बनी विभावरी दवे को राज्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई है.
क्षेत्रीय संतुलन बैठाने की कवायद
विजय रूपाणी के कैबिनेट में क्षेत्रीय संतुलन का पूरा ख्याल रखा गया है. गुजरात की कुल 33 जिलों में से 14 जिलों को प्रतिनिधित्व मिला है. इस दौरान सौराष्ट्र क्षेत्र के अलावा, उत्तर, मध्य और दक्षिण गुजरात के अलग-अलग एमएलए को कैबिनेट में जगह दी गई है.
#Gujarat Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath, Rajasthan CM Vasundhara Raje Scindia and Chhattisgarh CM Raman Singh at swearing-in ceremony of CM elect Vijay Rupani and others in Gandhinagar pic.twitter.com/bWv98XjeQp
— ANI (@ANI) December 26, 2017
सौराष्ट्र-कच्छ इलाके में कुल 54 विधानसभा की सीटें हैं. इस पूरे इलाके से बीजेपी ने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी समेत सात विधायकों को मंत्री बनाया है. मुख्यमंत्री विजय रूपाणी खुद सौराष्ट्र इलाके में ही राजकोट-पश्चिम सीट से एमएलए हैं.
हालांकि इस बार सौराष्ट्र में बीजेपी को कांग्रेस के मुकाबले कम सीटें मिली हैं. बीजेपी को 54 में से 23 सीटें ही मिली हैं जो कि पिछली बार की तुलना में 12 सीट कम है. लेकिन, बीजेपी की तरफ से कोशिश की जा रही है कि अपने पुराने गढ़ सौराष्ट्र में मतदाताओं की नाराजगी को कम कर फिर से अपनी जमीन को मजबूत किया जाए लिहाजा सौराष्ट्र को काफी तरजीह दी गई है.
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इसके अलावा उत्तर गुजरात से बीजेपी ने 3 और मध्य गुजरात से पांच मंत्री बनाया है. दक्षिण गुजरात में भी बीजेपी को अच्छी सफलता मिली थी. बीजेपी सरकार में 5 मंत्री भी दक्षिण गुजरात से बनाए गए हैं.
अब गुजरात में रूपाणी की सरकार बन गई है. आगे हिमाचल में भी बीजेपी की सरकार का शपथ ग्रहण होने वाला है,जिसमें भी इसी तरह बीजेपी अपनी ताकत का एहसास कराने की पूरी कोशिश करेगी. गुजरात बचाने और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को पटखनी देने के बाद बीजेपी के लिए इस साल का अंत बेहद खास रहा है, जो 2018-19 की लड़ाई के लिए संभावनाओं को और मजबूत करने वाला हो सकता है.
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