गुजरात चुनाव के पहले चरण की वोटिंग की ठंडी शुरुआत में एक सवाल ने सरगर्मी ला दी. सवाल कि आखिर कौन है सलमान निजामी. ये सवाल किसी और ने नहीं उठाया. सवाल हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उठाया था. गुजरात के महिसागर जिले के लूणावाडा की रैली में लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘कांग्रेस के एक नेता सलमान निजामी हैं, जो कहते हैं कि हर घर से अफजल निकलेगा. यहां का मुस्लिम भी ऐसा नहीं कहता. क्या गुजरात की जनता इसे माफ करेगी.’
पीएम मोदी के इस बयान के पहले किसी को नहीं पता था कि ये सलमान निजामी है कौन है? लेकिन ऐन पहले चरण की वोटिंग के दौरान सलमान निजामी की कारस्तानी बताते हुए अफजल गुरु को याद किया गया, कश्मीर की आजादी के सपने देखने वाले देशद्रोहियों की याद दिलाई गई, सेना के खिलाफ अपमानजनक बातें करने वाले राष्ट्रद्रोही को बेनकाब किया गया और इन सबसे कांग्रेस पार्टी के जुड़ाव का खुलासा किया गया. इतना काफी था चुनावों के दौरान पूरी बहस को बदल देने के लिए. लोगों के मन मस्तिष्क को झकझोरने के लिए.
#WATCH: PM Modi speaks on Salman Nizami's tweets about PM's family, says, 'even an enemy doesn't ask who is your mother, who is your father.' pic.twitter.com/YPIAW7W2ZX
— ANI (@ANI) December 9, 2017
ये बड़ा दिलचस्प है कि गुजरात के विकास के नाम पर पूरा चुनाव लड़ने की बात करने वाली बीजेपी पहले चरण की वोटिंग के तीन दिन पहले कपिल सिब्बल के सुप्रीम कोर्ट में दिए बयान के बहाने राम मंदिर की बात करने लगती है. चुनाव के दो दिन पहले मणिशंकर अय्यर के पीएम मोदी पर दिए स्तरहीन बयान को जबरदस्त तरीके से रैलियों में उठाया जाता है.
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चुनाव के एक दिन पहले तक नीचले स्तर की राजनीति में पीएम मोदी को लेकर कितनी बुरी बातें कही जाती हैं, इसे ही प्रमुखता से उठाया जाता है. एक केंद्रीय मंत्री कांग्रेस नेताओं के गालियों की लिस्ट लेकर हाजिर होते हैं और प्रधानमंत्री मोदी उस लिस्ट पर बनासकांठा की रैली में विस्तार से चर्चा करते हैं. और इन सबके बाद ऐन चुनाव के दिन गुजरात के विकास बजाए चर्चा कश्मीर की होती है, अफजल गुरु की होती है, राजनीति के ऐसे फ्रिंज एलिमेंट पर पूरा फोकस कर दिया जाता है, जिसकी चर्चा भी करना सबसे गैरवाजिब बात है.
श्री @narendramodi जी के लिए कांग्रेस के नेताओं ने इस्तेमाल किए हुए कुछ चुनिंदा शब्द।
शायद वे किसी गरीब घर के आम आदमी को आगे बढ़ते देख ही नहीं सकते। @BJP4India और कांग्रेस के बीच Class War जैसे हालात हो गए हैं। pic.twitter.com/990qnoMRY9— Rajyavardhan Rathore (@Ra_THORe) December 7, 2017
राजनीति में जितनी स्तरहीनता बयानों में आई है, उतनी ही चुनावी बहस की दिशा को बदल देने में भी आई है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने इस दिशा में जोरदार कदम उठाए हैं. देखिए कि जिस सलमान निजामी का नाम लेकर प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस की बखिया उधाड़ देते हैं. उस निजामी को कांग्रेस अपना मानने को तैयार ही नहीं है. ॉ
पता चलता है कि सलमान निजामी जम्मू-कश्मीर कांग्रेस से जुड़े हुए हैं. सोशल मीडिया पर उनके राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक सबके साथ तस्वीरें भी हैं. 2014 में उनके जम्मू कश्मीर से ज्वाइंट सेक्रेटरी चुने जाने की बात भी की जा रही है. लेकिन पीएम मोदी के भाषण में उनका जिक्र आते ही कांग्रेस निजामी को यकायक भूल बैठती है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला कहते हैं कि, 'सलमान निजामी कौन है, हम जानते ही नहीं. पार्टी में वे किसी पद पर नहीं हैं. हम भी कह सकते हैं कि बीजेपी में कोई रामलाल है, जिसने कुछ कहा है.' इसके बाद कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी कहती हैं कि सलमान निजामी कांग्रेस पार्टी के प्राथमिक सदस्य भी नहीं है. वो निजामी को सेल्फी वाली उस भीड़ का हिस्सा करार दे देती हैं जो शौकिया तौर पर कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ फोटो खिंचाते हैं.
Salman Nizami kaun hai hum jaante hi nahi. He does not hold any position in the party. We can also say that there is some random person Ram Lal in BJP who said something: Rajiv Shukla on PM Modi's remarks about Salman Nizami pic.twitter.com/nKWe2WDnDD
— ANI (@ANI) December 9, 2017
बीजेपी जिन-जिन मुद्दों पर कांग्रेस को घेरती है उन पर कांग्रेस के लिए बचाव करना भी मुश्किल हो जाता है. कपिल सिब्बल की बात आई तो उन्हें एक झटके में गुजरात में चुनाव प्रचार से बाहर खदेड़ दिया गया. मणिशंकर अय्यर की बात उछली तो उन्हें एक झटके में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया. और अब जब सलमान निजामी का नाम सामने आया तो उन्हें अपना प्राथमिक सदस्य मानने से भी इनकार कर रही है. गुजरात चुनाव में जितने गैरवाजिब ये मुद्दे रहे हैं, उतनी ही गैरजरूरी कांग्रेस की प्रतिक्रिया रही है.
सलमान निजामी, जो अचानक इतनी फुटेज खा चुके हैं, को क्या इस प्रखर विमर्श की जरूरत भी है. लेकिन इस विमर्श को जानबूझकर पैदा किया जाता है. समझा जा सकता है कि इसके पीछे की मंशा क्या है? अब सलमान निजामी भी सामने आकर सफाई दे रहे हैं. लेकिन उनकी बातों पर यकीन करना किसी के लिए मुश्किल है. क्योंकि सब जानते हैं कि राजनीति में तीसरे दर्जे के नेता सोशल मीडिया पर ऐसे विष वमन करते रहते हैं. मुद्दा तो ये है कि क्या इस पर इतनी बड़ी बहस होनी चाहिए या नहीं?
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पीएम मोदी लूणावाडा की रैली में कहते हैं, ʻएक युवा कांग्रेस नेता सलमान निजामी हैं, जो गुजरात में कांग्रेस के लिए प्रचार भी कर रहे हैं. उन्होंने ट्विटर पर राहुल जी के पिता, दादी के बारे में लिखा. ये ठीक था, लेकिन उन्होंने कहा- मोदी आप बताएं, आपके मां-बाप कौन हैं. ऐसी भाषा दुश्मनों के लिए भी इस्तेमाल नहीं होनी चाहिए.' पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि सलमान निजामी ने आजाद कश्मीर की बात कही है. भारतीय सेना को रेपिस्ट कहा और हर घर में अफजल होंगे ऐसी बातें बोलीं. ऐसे लोगों को कैसे स्वीकार किया जा सकता है?
पीएम मोदी के इस बयान के बाद सलमान निजामी कई टेलीविजन चैनलों पर अवतरित हुए. वो सफाई दे रहे हैं, हालांकि इसकी जरूरत ही नहीं है क्योंकि कांग्रेस पार्टी पहले से ही उन्हें अपना कार्यकर्ता तक मानने से इनकार कर रही है. हालांकि सलमान निजामी कहते हैं कि वो कांग्रेस से जुड़े रहे हैं. वो कहते हैं कि उनका अकाउंट हैक किया गया है.
I want to tell all Congress leaders who are abusing me, mocking my poor family, asking who my parents are- this nation is my everything. Every moment of my time is devoted to India and 125 crore Indians: PM @narendramodi pic.twitter.com/JGYxfiBPjA
— narendramodi_in (@narendramodi_in) December 9, 2017
एक न्यूज चैनल से बात करते हुए सलमान निजामी ने कहा, ’वायरल हो रहे ट्वीट साल 2013 के हैं और यह फेक ट्वीट थे. इस बारे में मैंने साल 2015 में पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी.’ उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस का सदस्य हूं और 'हर घर से अफजल निकलेगा' वाला ट्वीट मेरा नहीं है. मेरा अकाउंट हैक हो गया था.
निजामी एक कदम आगे बढ़ते हुए कहते हैं, ’मैं उस पार्टी के साथ हूं, जिसने अफजल गुरु को फांसी दी थी. मैंने कभी अफजल गुरु को शहीद नहीं कहा. मैं खुद आतंकवाद के खिलाफ हूं और मुझे ही देशविरोधी बताया जा रहा है.’
सलमान निजामी को कल तक कोई नहीं जानता था. ठीक उसी तरह जैसे उन लोगों को कोई नहीं जानता है जिनको प्रधानमंत्री मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं और जो सोशल मीडिया पर कभी गौहत्या, कभी हिंदुत्व तो कभी भारतीय संस्कृति के नाम पर बेहद अपमानजनक और स्तरहीन बातें करते हैं. सवाल ऐसे लोगों पर भी उठते हैं लेकिन क्या इन सवालों को उठाकर किसी चुनाव की दिशा बदल देना ठीक होगा?
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