कांग्रेस गुजरात में अपना भाग्य बदलने को पूरी तरह जुटी हुई है. यूपी निकाय चुनाव के नतीजे फिर एक बार उसके लिए एक शिकस्त लेकर आए हैं. कहा जा रहा है कि इसका फर्क गुजरात चुनावों के परिणामों पर भी पड़ेगा, लेकिन लगता है कि इस बार कांग्रेस ने हार न मानने की कसम खा ली है.
कांग्रेस की बुरी हालत को लेकर कहा जा रहा है कि जबतक शीर्ष नेतृत्व बिल्कुल निचले स्तर यानी पार्टी की जान कहे जाने वाले कार्यकर्ताओं में जान नहीं फूकेंगी, तब तक पार्टी का दुबारा उभरना मुश्किल लगता है. इस बात से सबक लेते हुए कांग्रेस ने गुजरात में लगभग तीन लाख बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं की भर्ती की है. ये सारा जिम्मा एक पूर्व आईपीएस ऑफिसर उठा रहे हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, 2015 में कांग्रेस जॉइन कर चुके रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर कुलदीप शर्मा के नेतृत्व में कांग्रेस ने पिछले 6 महीनों में 182 विधानसभा क्षेत्रों में से 114 क्षेत्रों के 25,000 बूथों में बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी है.
कुलदीप शर्मा कहते हैं, 'हम बीजेपी की तरह कैडर पर आधारित पार्टी बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ये जरूरी है कि चुनाव के लिेए एक अच्छा मैनेजमेंट सिस्टम बनाएं.' शर्मा अपने इस अभियान को गुजरात कांग्रेस के ऑफिस में बनाए गए चीफ इलेक्शन कोऑर्डिनेशन सेंटर से अंजाम दे रहे हैं. शर्मा ने इस काम के लिए सैम एनालिटिक्स के वेंकट रमानी की मदद ली है. वो कोऑर्डिनेशन सेंटर से पूरे कार्यकर्ताओं से संपर्क बनाए रखते हैं और जरूरी दिशा-निर्देश देते रहते हैं.
शर्मा के अनुसार, उन्होंने मई में काम करना शुरू किया था. उन्होंने 182 विधानसभा क्षेत्रों में से 131 विधानसभा क्षेत्रों में काम करना शुरू किया. दरअसल, उन्होंने 182 सीटों में 28 ऐसी सीटें निकाल दी, जहां कांग्रेस की जीत लगभग निश्चित है. इसी तरह 23 सीटें ऐसी निकाल दी गईं, जहां कांग्रेस की हार निश्चित है. बची 131 सीटों पर मेहनत शुरू की गई.
राज्य को 6 हिस्सों में बांट दिया गया और हर हिस्से में एक रीजनल मैनेजर को नियुक्त किया गया. इन रीजनल मैनेजरों ने फील्ड एक्जीक्यूटिव के साथ काम किया. इन एक्जीक्यूटिव्स ने गांवों में जाकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पहचान की और उन्हें पार्टी के लिए काम करने और वोटरों को बाहर निकालने के लिए प्रोत्साहित किया. अब ये कार्यकर्ता पार्टी प्रत्याशी के साथ डोर-टू-डोर कैंपेनिंग कर रहे हैं.
देखा जाए, तो राहुल की सफल जनसभाओं में उमड़ने वाली भीड़ के पीछे भी शर्मा की मशीनरी का ही हाथ है. शर्मा बताते हैं, 'कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दक्षिणी गुजरात में कैंपेनिंग शुरू करने से एक दिन पहले रीजनल मैनेजरों ने कार्यकर्ताओं को मोबाइल से संदेश दे दिया. अगले दिन रैली में इसका जबरदस्त प्रभाव पड़ा.'
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