शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में लिखा है, ‘राहुल गांधी ने बेहद नाजुक मोड़ पर कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी स्वीकार की है. उन्हें शुभकामना देने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.’
मराठी दैनिक अखबार लिखता है, ‘अब राहुल गांधी को फैसला करने दें कि वो कांग्रेस को सफलता के शिखर पर ले जाना चाहते हैं या रसातल में.’ पार्टी ने कहा कि राहुल गांधी ने गुजरात में अंतिम चुनावी परिणाम की परवाह किए बगैर चुनाव प्रचार में खुद को झोंका.
पिछले 60 सालों के विकास को नकारने वाले मूर्खता के प्रतीक
इसके अनुसार, ‘जब हार के डर से (बीजेपी के) बड़े-बड़े महारथियों के चेहरे स्याह पड़ गए थे तब राहुल गांधी नतीजे की परवाह किए बगैर चुनावी रण में लड़ रहे थे. यही आत्मविश्वास राहुल को आगे ले जाएगा’
बीजेपी और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए शिवसेना ने पूछा, ‘जो ये सोचते हैं कि बीते 60 बरस में कुछ नहीं हुआ और भारत ने सिर्फ इन्हीं तीन साल में प्रगति की है, ऐसा जिन्हें लगता है वे इंसान हैं या मूर्खता के प्रतीक?’
पार्टी ने दावा किया, ‘कौन जानता है कि हमारे सामने ऐसा नया इतिहास रख दिया जाए कि भारत ने बीते एक साल में ही आजादी हासिल की और ये भी कि 150 वर्ष का आजादी का आंदोलन एक झूठ है.’
वहीं कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा, ' कांग्रेस ने जिस तरह चुनाव प्रचार किया और राहुल गांधी ने जिस तरह बस यात्राएं की, वह बहुत अच्छा चुनाव प्रचार था. चुनाव के परिणाम जो भी हों मगर देश इस चुनाव परिणाम को कांग्रेस की 'जीत' के रूप में देखेगा.'
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